आज का वचन 1 | बाइबिल के पद

आज का वचन 1, (सभोपदेशक 11:6) की वचन में लिखा है,“भोर को अपना बीज बो, और सांझ को भी अपना हाथ न रोक; क्योंकि तू नहीं जानता कि कौन सफल होगा, यह वा वह वा दोनों के दोनों अच्छे निकलेंगे।” देखिए दोस्तों मनुष्य का जन्म ही कर्म करने के लिए हुआ है। इसलिए लोगों को आलसी नहीं बनना चाहिए। क्योंकि आलसी लोग धरती का बोझ होते हैं। परमेश्वर ने मनुष्य को कितनी ही सुंदर बनाया है। परमेश्वर की सृष्टि में मनुष्य को छोड़कर सबसे सुंदर और बुद्धिमान कोई नहीं। देखिए पहली बात यह है, कि हमारा परमेश्वर भी काम करते हैं। इस सृष्टि को उसने 6 दिन में बनाया था।

परमेश्वर पुत्र यीशु (Jesus) की प्रचार का विरोध क्यों होता है? bible Vachan in hindi 2021

पाप किसे कहते हैं: आज का बाइबल पाठ: Paap kya hai

आज का बाइबल पाठ | मरकुस 1:15 | यीशु की वचन का 5 खास बात | Best bible teaching

Bible study in hindi | हिंदी बाइबल प्रचार

आज का वचन 1

क्योंकि निर्गमन 20:11 की वचन में लिखा है, छ: दिन में यहोवा ने आकाश, और पृथ्वी, और समुद्र, और जो कुछ उन में है, सब को बनाया, और सातवें दिन विश्राम किया; इस कारण यहोवा ने विश्रामदिन को आशीष दी और उसको पवित्र ठहराया। देखिए काम के साथ कितनी बेहतरीन कनेक्शन है परमेश्वर का। अर्थात काम करना सभी लोगों के लिए अनिवार्य है। पर सवाल यह उठता है कि कब तक मनुष्य को काम करना चाहिए?

भाई बुद्धिमान लोग तो फटाफट जवाब दे देंगे कि जब तक जिंदा हो काम करते रहो। दोस्तों हमने सभोपदेशक 11:6 की वचन में पढ़ा था, कि भोर को अपना बीज बो, और सांझ को भी अपना हाथ न रोक; क्योंकि तू नहीं जानता कि कौन सफल होगा, अर्थात मनुष्य को जब तक सफलता नहीं मिलती है, तब तक कर्म करते रहना चाहिए। देखिए मनुष्य को कब सफलता मिलेगी यह पता नहीं चलता है। पर परमेश्वर ने आकाश, पृथ्वी, समुद्र और उसमें जो कुछ भी है सबको 6 दिन में बनाया था। अर्थात परमेश्वर अपना काम को सफलतापूर्वक 6 दिन में खत्म किया था।

बहुत लोगों का मन में डाउट होता होगा कि, क्या सच में परमेश्वर मनुष्य को काम करने के लिए बनाया है? Wait wait wait, मैं आपका डाउट को वचन के माध्यम से ही क्लियर कर देता हूं। देखिए, उत्पत्ति 2:15 की वचन इसके बारे में क्या कहता है, “तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को ले कर अदन की वाटिका में रख दिया, कि वह उस में काम करे और उसकी रक्षा करे,” क्या बात है, सर्वप्रथम परमेश्वर ने सृष्टि की रचना करने के लिए काम किया, तत्पश्चात आपने वचन से देख लिया कि, प्रथम मनुष्य जिस आदम को उसने बनाया था, उसको भी अदन की वाटिका में काम करने के लिए रख दिया था।

तो आपको क्या लगता है, कि मनुष्य को आलसी होना चाहिए। खास करके आलसी न हो कर जवानों को अच्छे कर्म करना चाहिए। जब तक आप इस वचन को नहीं जानते थे तब तक बहुत बार आलसी हो चुके होंगे। पर वचन को परमेश्वर आपके सम्मुख जाहिर कर दिया है। यह मेरा वचन नहीं है परमेश्वर का वचन है।

क्योंकि मैं तो एक साधारण इंसान हूं, परमेश्वर के सामने मैं कुछ भी नहीं हूं। देखिए, प्रभु यीशु ने किस रीती से लोगों की सेवा के लिए,काम किए थे, यह बताने की जरूरत नहीं है। यूहन्ना 5 अध्याय 1 से 17 की वचन में प्रभु यीशु ने एक 38 बरष से बीमार में पीड़ित व्यक्ति को सब्त के दिन चंगा करते हैं।

पर सब्त के दिन के कारण फरीसी लोग प्रभु यीशु का विरोध करते थे। परंतु प्रभु यीशु ने यूहन्ना 5 अध्याय 17 की वचन में कहा था। कि मेरा पिता अब तक काम करता है, और मैं भी काम करता हूं। अर्थात यदि परमेश्वर सृष्टिकर्ता काम करते हैं तो आप और हम कौन हैं जो आलसी हो कर घर में बैठे रहे। इस वचन से स्पष्ट जाहिर होता है कि लोगों को हर वक्त काम करते रहना चाहिए। बुरे कर्मों को नहीं बल्कि अच्छे कर्म करना चाहिए मैं उम्मीद करता हूं, कि आप इस वचन को अच्छी तरह से समझ गए होंगे।

प्रार्थना

आज का वचन 1 के अनुसार प्रार्थना! प्रिय परमेश्वर, मैं एक पापी व्यक्ति हूँ जिसे आपकी कृपा की आवश्यकता है। कृपया मुझे अपने और इस दुनिया के लिए, आपकी तरह अच्छा काम करने के लिए सशक्त बनाईए। बुरे कर्म के लिए नहीं बल्कि अच्छे कर्म के लिए सामर्थ प्रदान कीजिए। यीशु के नाम में मैं प्रार्थना करता हूँ, आमीन।

आज का वचन 1 (i)

आज का वचन 1 (i) (कुलुस्सियों 3:9-10) में लिखा है, एक दूसरे से झूठ मत बोलो क्योंकि तुम ने पुराने मनुष्यत्व को उसके कामों समेत उतार डाला है। और नए मनुष्यत्व को पहिन लिया है जो अपने सृजनहार के स्वरूप के अनुसार ज्ञान प्राप्त करने के लिये नया बनता जाता है।

आज का वचन 1

आज आपको यह याद दिलाने का सही समय है कि जब आप अपना जीवन मसीह को देते हैं तो आप पूरी तरह से नए बन जाते हैं। यह आपकी एकदम नई शुरुआत है। जब आप अपना जीवन मसीह को देते हैं तो आप वह सब कुछ हो सकते हैं जो वह चाहता है कि आप बनें। आप वह सब कर सकते हैं जो वह चाहता है कि आप करें। आप वह सब कुछ प्राप्त कर सकते हैं जो वह चाहता है कि आप प्राप्त करें और आपके पास अनन्त मुक्ति की आशा होती है।

जब लोग मसीह को नहीं जानते हैं, तो संसारिक अभिलाषाओं के अनुसार जीवन जीते हैं। परन्तु मसीह में आ जाते हैं, तो वे डेफिनेटली नये मनुष्यत्व को पहिना लेते हैं। अर्थात नए बन जाते हैं, प्रभु में सब कुछ नएं बन जाते हैं। फिलिप्पियों 4:13 की वचन कहता है, “जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं।” देखिए पौलुस कहता है, इस वचन में जो मुझे सामर्थ देता है, अर्थात सामर्थ कौन देता है, परमेश्वर: अगर आप संसारिक अनुसार जीएंगे, तो संसारिक चिजों में आपका मन लगा रहेगा। परन्तु जब आप मसीह के अनुसार जीवन जीएंगे, तो मसीह से आपको सामर्थ मिलेगा।

कुलुस्सियों 3:17 की वचन भी कहता है, और वचन से या काम से जो कुछ भी करो सब प्रभु यीशु के नाम से करो, और उसके द्वारा परमेश्वर पिता का धन्यवाद करो।” अर्थात जब आप मसीह में आ जाते हैं, मसीह के अनुसार जीते हैं, प्रभु के अनुसार चलते हैं, तो आप जो भी काम करते हैं, तो प्रभु के नाम से करना है। प्रभु के नाम से सब कुछ करना है। उसके द्वारा क्या होगा, पिता परमेश्वर को धन्यवाद देना होगा। पिता परमेश्वर को प्रभु यीशु के नाम में हर काम में के लिए धन्यवाद देते रहना चाहिए। देखिए, संसार में ऐसा कोई नहीं, जो परमेश्वर की वचन के अनुसार नहीं चलता।

चलता है, पर जब वह दुनिया से धोखा खा जाता है। तब प्रभु की ओर फिरने लगता है। तो मैं अब यह कहना चाहता हूं, कि दुनिया से धोखा खाने से पहले ही आप परमेश्वर की ओर चले आइए, परमेश्वर की इच्छा के अनुसार जीवन जीएं। मसीह के अनुसार मसीह को पहन लिजिए। प्रभु आपको आशीष और कृपा से भरे, आपका दिन शुभ हो: और आप प्रभु की आशीष का अधिकारी बने।

प्रार्थना

आज का वचन 1 (i) के अनुसार प्रार्थना! प्रिय प्रभु, सर्वशक्तिमान पिता, कृपया मुझे एक नया व्यक्ति बनाएं, जो आपकी आत्मा से भरा हो। आपकी महिमा की महिमा के निमित्त मेरे लिए जो कल्पना आपने की है, 2022 में मेरे सभी लक्ष्यों और सपनों को पूरा करने में मेरी मदद करें। यीशु के नाम में मैं प्रार्थना करता हूँ, आमीन।

आज का वचन 1 (ii)

आज का वचन 1

आज का वचन 1 (ii) (यहोशू 1:6-7) की वचन में लिखा है, इसलिये हियाव बान्धकर दृढ़ हो जा; क्योंकि जिस देश के देने की शपथ मैं ने इन लोगों के पूर्वजों से खाई थी उसका अधिकारी तू इन्हें करेगा। इतना हो कि तू हियाव बान्धकर और बहुत दृढ़ हो कर जो व्यवस्था मेरे दास मूसा ने तुझे दी है उन सब के अनुसार करने में चौकसी करना; और उस से न तो दाहिने मुड़ना और न बांए, तब जहां जहां तू जाएगा वहां वहां तेरा काम सफल होगा।”

यह वचन परमेश्वर की ओर से यहोशु के लिए महा चुनौती भरा काम था। इस वचन में परमेश्वर मूसा के द्वारा दी गई वाचा की स्मरण दिलाने के साथ-साथ उसे मानने में चौकशी करने के लिए हिदायत भी देते हैं। क्योंकि परमेश्वर की आज्ञाओं को माने बिना यहोशु का काम सफल होने वाला नहीं था।

आज के समय में भी लोगों के सामने पाप एक चुनौती बनकर खड़ा रहता है। खास करके युवाओं के लिए इंटरनेट की सदि में पाप एक महान चुनौती बनकर खड़ा है। क्योंकि यहोशु को दी गई हिदायत को माने तो सफलता प्राप्त करने के लिए, आज्ञाओं को मानना बेहद जरूरी है। आज के युवाओं शिक्षा में अव्वल होना चाहते हैं, अच्छी नौकरी पाना चाहते हैं। पर उनके सामने पाप से बड़ा कोई चुनौती नहीं है। क्योंकि पाप और सांसारिक अभिलाषाओं में उलझ कर सत मार्ग के लक्ष्य से लोग पथभ्रष्ट हो जाते हैं।

यदि आप परमेश्वर की आज्ञाओं को मानते हैं, तो आधा अधूरा नहीं: बल्कि संपूर्ण रीति से उसका पालन करें। तब आप हर प्रकार के कर्म में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। अन्यथा आशा निराशा में भी बदल सकता है।

यहां पर मैं लोगों को यहोशू 5:6 की वचन को स्मरण दिलाते हुए, कहता हूं, इस्राएली लोग चालीस वर्ष इसलिए फिरते रहे। क्योंकि उन्होंने यहोवा परमेश्वर की आज्ञाओं को नहीं मानी थी। इसका नतीजा यह हुआ कि परमेश्वर ने जिस देश को उनके पूर्वजों को देने के लिए शपथ खाई थी। आज्ञा न मानने वालों के जीते जी उस देश को उन्हें देना नहीं चाहा। सीधी सी बात कहें तो यहां पर इस्राएलीओं के लिए आशीष रूक चुकी थी।

क्योंकि यहोशू 5:6 की वचन में लिखा है, इस्राएली तो चालीस वर्ष तक जंगल में फिरते रहे, जब तक उस सारी जाति के लोग, अर्थात जितने युद्ध के योग्य लोग मिस्र से निकले थे वे नाश न हो गए, क्योंकि उन्होंने यहोवा की न मानी थी; सो यहोवा ने शपथ खाकर उन से कहा था, कि जो देश मैं ने तुम्हारे पूर्वजों से शपथ खाकर तुम्हें देने को कहा था, और उस में दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, वह देश मैं तुम को नहीं दिखाने का।”

दोस्तों, आप किस का अनुसरण कर रहे हैं, पाप का या परमेश्वर का। यदि आप पाप का अनुसरण कर रहे हैं, तो इस्राएलीओं की तरह परमेश्वर की आशीर्वाद से वंचित हो सकते हैं। परमेश्वर के पास कोई भी चापलूसी या घूस लेने देने की बात नहीं होती है। आप समझदार और चतुर इंसान हैं। इसे जल्दी समझ जाएंगे तो आपके लिए बेहतर हो सकता है।

प्रार्थना

आज का वचन 1 (ii) के अनुसार प्रार्थना! प्रिय प्रभु, कृपया मुझे पाप को छोड़कर आप पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करें, क्योंकि आपकी मदद के बिना कोई भी मनुष्य इस संसार की पाप रूपी मायाजाल बच नहीं सकता है। इसलिए मरे बोलने, सुनने, देखने, सोचने, उठने, बैठने, और चलने के समय आप मेरा मार्गदर्शन करें। यीशु के नाम में मैं प्रार्थना करता हूँ, आमीन।

निष्कर्ष

दोस्तो आज का वचन 1 में लिखा गया, वचनों को आप समझ गए होंगे। मैं चाहता हूं, की आने वाले समय में छोटे-छोटे वचन को लेकर आऊंगा। जिससे लोग कम समय में पढ़ पाएंगे। क्योंकि लोगों को प्रभु की वचन के लिए, समय नहीं मिलता है। पर हां: संसारिक चिजों के लिए लोग खाना-पीना भी छोड़ सकते हैं। दोस्तों यदि आपको वचन अच्छा लगा हो तो, Comment जरूर किजिएगा। धन्यवाद।।

3 thoughts on “आज का वचन 1 | बाइबिल के पद”

Leave a Comment

Connect with me here
Connect with me here!
Connect with me here!