प्रभु यीशु के वचन | bible vachan

आज के समय में प्रभु यीशु के वचन को सुनने के लिए, लोगों के पास समय नहीं है? क्योंकि लोग यूट्यूब, फेसबुक, व्हाट्सएप और तरह-तरह की मनोरंजन करवाने वाले इंटरनेट तथा एप्लीकेशन आदि में उलझे रहते हैं। पर उन लोगों के जीवन में जब भी कोई बीमारी, संकट और असुविधा होने लगता है, तो वे घबरा जाते हैं। इसका वजह यह है, की उनका विश्वास प्रभु यीशु के वचन में नहीं रहता है। क्योंकि उन लोग सुख शांति के समय में प्रभु यीशु के वचन जो कि लोगों को जीवन देता है, उसे सुनते और मानते नहीं हैं।

प्रभु यीशु के वचन

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क्या तुम सिर्फ प्रभु यीशु के वचन सुनते हो.

इसलिए प्रभु यीशु के वचन लूका अध्याय 6 47-49, में इस प्रकार लिखा है, जो कोई मेरे पास आता है, और मेरी बातें सुनकर उन्हें मानता है, मैं तुम्हें बताता हूं कि वह किस के समान है। वह उस मनुष्य के समान है, जिस ने घर बनाते समय भूमि गहरी खोदकर चट्टान की नेव डाली, और जब बाढ़ आई तो धारा उस घर पर लगी, परन्तु उसे हिला न सकी; क्योंकि वह पक्का बना था। परन्तु जो सुनकर नहीं मानता, वह उस मनुष्य के समान है, जिस ने मिट्टी पर बिना नेव का घर बनाया। जब उस पर धारा लगी, तो वह तुरन्त गिर पड़ा, और वह गिरकर सत्यानाश हो गया।

यहां पर प्रभु यीशु जबरदस्त तरीके से घर का उदाहरण देकर बता रहे हैं, कि जो लोग प्रभु यीशु के वचन को सुनकर मानते हैं, उनकी जीवन चट्टान से डाली गई, निंव की तरह दृढ़ होती है। यह तो सबको पता है, कि यदि घर की नींव अच्छी हो, तो आंधी, तूफान, भूकंप बारिश कुछ भी टकराएं, उस घर को हिला नहीं सकता है।

वैसे ही यदि लोग प्रभु यीशु के वचन को सुनकर मानते हैं। तो जरा बताइए, यदि आप प्रभु यीशु के वचन और आज्ञाओं को सुनकर मानने में, उस घर की मज़बूत चट्टान के निंव की तरह नहीं हैं। तो आपके जीवन में आने वाली बीमारी, क्लेश, संकट और तरह-तरह की आपदाओं में निश्चित रूप से विचलित हो सकते हैं। ओह मैं यह कहता हूं, कि आप डेफिनेटली विचलित हो सकते हैं।

प्रभु यीशु के वचन को सुनने और मानने वाला व्यक्ति बने

दोस्तों अपने आप को धोखा में न रखें, की आप वचन को सुनते हैं। क्योंकि इस संसार में प्रभु यीशु के वचन को सुनने वाले बहुत लोग हैं। पर वचन को सुनकर मानने वाले बहुत ही कम लोग हैं। इसके बारे में जानने के लिए, याकूब 1:22-24 की वचन को भी सुन लीजिए, कि वह क्या कहता है? परन्तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं। क्योंकि जो कोई वचन का सुनने वाला हो, और उस पर चलने वाला न हो, तो वह उस मनुष्य के समान है जो अपना स्वाभाविक मुंह दर्पण में देखता है। इसलिये कि वह अपने आप को देख कर चला जाता, और तुरन्त भूल जाता है कि मैं कैसा था।

दर्पण मनुष्य की असलियत को बताता है, क्योंकि मनुष्य दर्पण के सामने खुद को धोखा नहीं दे सकता है। वैसे ही प्रभु यीशु के वचन भी बता देता है, कि लोग प्रभु यीशु के वचन को सुनकर मानने का नाटक तो कर सकते हैं, पर इससे धोखा परमेश्वर को नहीं! बल्कि खुद को ही देते हैं। क्योंकि जिस तरह एक दर्पण मनुष्य को चेहरे की मिथ्या जानकारी नहीं देता है, वैसे ही प्रभु यीशु के वचन को सुनकर न मानने वाले लोगों के असली चरित्र को वचन ज्योति के जरिए से प्रकट करता है। यूहन्ना 8:12 में लिखा है, “तब यीशु ने फिर लोगों से कहा, जगत की ज्योति मैं हूं; जो मेरे पीछे हो लेगा, वह अन्धकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा।”

देखिए, जितनी भी लाइट आप घर में या बाहर में जलाते हैं, वे सब अपने आप नहीं जलती है, बल्कि उनको जलाना पड़ता है। पर प्रभु यीशु स्वयं न बुझने वाली महान ज्योति है। और एक बात, लोग घर में लाइट क्यों जलाते हैं? दरअसल घर से अन्धकार को दूर करने के लिए है न। प्रभु यीशु के वचन में लिखा है, कि जगत की ज्योति मैं हूं। देखिए जगत की ज्योति का मतलब सारी सृष्टि के ज्योति के बारे में बात हो रही है। आपको यह अंदाजा नहीं होगा कि, आपके घर में जलने वाली लाइटें सम्पूर्ण अंधकार को दूर करने में नाकामयाब रहती है। आपके चारों ओर की अंधकार तब दुर होता है, जब आप लाइट के पास जाते हैं।

वैसे ही जो लोग प्रभु यीशु के पीछे चलते हैं, अर्थात जो लोग ज्योति के पास जाते हैं, उनके जीवन से, मन से, घर और परिवार से अंधकार दूर हो जाती है। क्योंकि स्वयं प्रभु यीशु ज्योति हैं। समझने वाली बात यह है, कि जब तक लोग ज्योति अर्थात उजाले जिसे आप लाइट भी कहते हैं, उस में चलते हैं, तब तक गिरने या कहीं पर टकराने की डर नहीं रहती है। प्रभु यीशु के वचन के अनुसार यदि कोई यह कहता है, कि मैं एक विश्वासी हुं, बाइबिल पड़ता हुं, वचन सुनता हूं, चर्च जाता हूं और रात दिन प्रार्थना भी करता हूं। यदि वह सिर्फ वचन को पढ़ने और सुनने वाला ही व्यक्ति है, परन्तु आज्ञाओं को नहीं मानता है।

तो आप ही बताइए वह कैसा विश्वासी है। अर्थात यदि कोई सांसारिक अभिलाषा, पाप और अन्धकार के कामों को करता रहता है। तो उसमें प्रभु यीशु के वचन वास नहीं करता है। क्योंकि वह प्रभु यीशु के वचन को सिर्फ सुनता है, पर मानता नहीं है। इसलिए 2 कुरिन्थियों 13:5 की वचन यह कहता है, कि“अपने आप को परखो, कि विश्वास में हो कि नहीं; अपने आप को जांचो, क्या तुम अपने विषय में यह नहीं जानते, कि यीशु मसीह तुम में है, नहीं तो तुम निकम्मे निकले हो।”

सबसे पहले लोगों को खुद की छानबीन करना अर्थात जांचना जरूरी है, कि प्रभु यीशु के वचन अर्थात प्रभु यीशु अंतर में है या नहीं, यदि नहीं तो, वचन कहता है, कि निकम्मे हो। दोस्तों संसार की दृष्टि में यदि आप निकम्मा ठहरते हैं, तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा। क्योंकि आप खुद की मर्जी के मालिक हैं। पर परमेश्वर की दृष्टि में निकम्मा न ठहरना। क्योंकि परमेश्वर मनुष्य नहीं है, जिसे आप न्याय के दिन बहला-फुसलाकर या घुस देकर अपने तरफ कर लेंगे।

प्रभु यीशु के वचन
प्रभु यीशु के वचन

क्योंकि गिनती 23:19 की वचन में इस प्रकार लिखा है, “ईश्वर मनुष्य नहीं, कि झूठ बोले, और न वह आदमी है, कि अपनी इच्छा बदले। क्या जो कुछ उसने कहा उसे न करे? क्या वह वचन देकर उस पूरा न करे?” अर्थात परमेश्वर जो कह देता है, वह बदलता नहीं! बल्कि पुरा होता है। क्योंकि प्रभु यीशु के वचन मरकुस 13:31 में इस प्रकार लिखा है,“आकाश और पृथ्वी टल जाएंगे, परन्तु मेरी बातें कभी न टलेंगी।” देखिए, परमेश्वर का वचन लोगों के लिए, कितना महत्वपूर्ण है, तौ भी उसे नहीं मानकर लोग पाप के रास्ते पर चलते रहते हैं। दोस्तों मैं उम्मीद करता हूं, कि आज आप परमेश्वर की वचन को अच्छी तरह से समझ गए होंगें।

निष्कर्ष

अन्त में मैं यही कहना चाहता हूं, कि प्रभु यीशु के वचन को सिर्फ पढ़ने और सुनने वाला व्यक्ति न बने, बल्कि उसकी आज्ञाओं को दृढ़ता से पालन भी करें। अन्यथा आप की मसीह होने या न होने में परमेश्वर को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इसलिए परमेश्वर के वचन को पढ़ें, सुने और उसकी आज्ञाओं को मानते जीवन जीएं। अन्यथा आप खुद ही धोखा खाएंगे। क्योंकि आप जब भी कुछ खाते हैं, तो दूसरों के लिए नहीं! बल्कि खुद के लिए ही खाते हैं। वैसे ही प्रभु यीशु के वचन को पढ़ने, सुनने और मानने में चौकसी करें। क्योंकि यह सिर्फ आपके लिए ही है, दुसरों के लिए नहीं। दोस्तों यदि वचन अच्छा लगा हो तो सब्सक्राइब और लाईक करना न भूलें। धन्यवाद।।

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