Hindi Bible Vachan: Complete Answer to 19 Questions based on bible verses

ज्ञान के बिना मनुष्य का जीवन अंधकारमय रहता है। आज हम Hindi Bible Vachan की विषय पर ऐसा ही कुछ अनमोल वचन से परिपूर्ण ज्ञान की जानकारी देना चाहते हैं, जिसे पढ़ कर आप अपने जीवन में नई प्रकाश ला सकते हैं। क्योंकि लोग भले ही आपका साथ दे या न दे पर प्रभु का ज्ञान आपका साथ जरूर देगा।

परमेश्वर कौन है? Hindi Bible Vachan

परमेश्वर सारी सृष्टि के बादशाह है। क्योंकि उसनेे जल, स्थल, नभ, मनुष्य, पशु, पक्षी, जीव, निर्जीव, जीवन, मृत्यु, दृश्य अदृश्य सब कुछ को बनाया है। उनकी आज्ञा के बिना पेड़ का पत्ता भी नहीं हिल सकता। तो जरा सोचिए वह कितना सर्वशक्तिमान है। Hindi Bible Vachan की विषय में सबसे पहले हम (अय्यूब 11:8-9) के वचन को पढ़ते है, जिसमें लिखा है, की परमेश्वर आकाश से ऊंचा, अधोलोक से गहिरा, उसकी माप पृथ्वी से लम्बी और समुद्र से भी चौड़ी है।

फिर हमें ( निर्गमन 3:14 ) कि वचन को पढ़ने से से यह पता चलता है, कि मूसा की परमेश्वर से यह गुजारिश था, कि जब इस्राएली लोग पुछेंगे कि तुझे किसने भेजा है, तो मैं उन्हें क्या उत्तर दूंगा। क्योंकि परमेश्वर मूसा को मिस्रीयों की गुलामी से इसराएलियों को छुड़ाने के लिए मिस्र देश भेज रहा था।

इसलिए “परमेश्वर मूसा से कहता है, मैं जो हूं सो हूं। फिर उस ने कहा, तू इस्राएलियोंसे यह कहना, कि जिसका नाम मैं हूं है उसी ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है।”

परमेश्वर का सही जवाब मूसा को मिल जाता है, कि वह जो है, सो है। उसका नाम मैं हूं कहने का मतलब वह सर्वदा और सर्वत्र विद्यमान रहने वाला परमेश्वर है।

इसलिए ( यशायाह 41:4 ) की वचन से यह ज्ञात होता है, कि परमेश्वर यहोवा पहले भी था; वर्तमान भी है, और अन्त में भी वही रहेगा।

फिर ( व्यवस्थाविवरण 32:40 ) की वचन में परमेश्वर कहता है; मैं अपना हाथ स्वर्ग की ओर उठा कर कहता हूं, क्योंकि मैं अनन्त काल के लिये जीवित हूं,”

और ( व्यवस्थाविवरण 32:39) की वचन में परमेश्वर कह रहा है; कि अब तुम देख लो कि मैं ही वह हूं, और मेरे संग कोई देवता नहीं; मैं ही मार डालता, और मैं जिलाता भी हूं; मैं ही घायल करता, और मैं ही चंगा भी करता हूं; और मेरे हाथ से कोई नहीं छुड़ा सकता।

इन सब वचनों से हमें यह पता चलता है, कि परमेश्वर सर्वशक्तिमान, अविनाशी और सारी सृष्टि का कर्ता-धर्ता है। जीवन मृत्यु, स्वर्ग-नर्क, जमीन-आसमान, जीव-जंतु, दृश्य दृश्य, चल-अचल सब कुछ का वह स्वामी है।

यीशु कौन है? Hindi Bible Vachan

अभी हम Hindi Bible Vachan के इस विषय में प्रभु यीशु कौन है, उसे वचन से जानेंगे, क्योंकि वचन के बिना प्रभु के बारे में सही जानकारी पाना मुश्किल है। मेरा कहने का मतलब Bible Vachan प्रभु यीशु के बारे में गवही देता है। क्योंकि वचन में लिखा है,

यीशु मार्ग सत्य और जीवन है। यूहन्ना 14:6

“यीशु ने उस से कहा, मार्ग और सच्चाई और जीवन मैं ही हूं; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता।”

यीशु जीवन की रोटी है। यूहन्ना 6:48

“जीवन की रोटी मैं हूं।”

यीशु जगत की ज्योति हैं। यूहन्ना 8:12

“तब यीशु ने फिर लोगों से कहा, जगत की ज्योति मैं हूं; जो मेरे पीछे हो लेगा, वह अन्धकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा।”

यीशु अच्छा चरवाहा है। यूहन्ना 10:11

“अच्छा चरवाहा मैं हूं; अच्छा चरवाहा भेड़ों के लिये अपना प्राण देता है।”

यीशु द्वार हैं। यूहन्ना 10:7

“तब यीशु ने उन से फिर कहा, मैं तुम से सच सच कहता हूं, कि भेड़ों का द्वार मैं हूं।”

यीशु सच्ची दाखलता है। यूहन्ना 15:1 “सच्ची दाखलता मैं हूं; और मेरा पिता किसान है।”

यीशु पुनरुत्थान और जीवन है। यूहन्ना 11:25

“यीशु ने उस से कहा, पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा।”

यीशु प्रथम और अंतिम है। प्रकाशित वाक्य 1:17

“जब मैं ने उसे देखा, तो उसके पैरों पर मुर्दा सा गिर पड़ा और उस ने मुझ पर अपना दाहिना हाथ रख कर यह कहा, कि मत डर; मैं प्रथम और अन्तिम और जीवता हूं।”

यीशु अदृश्य परमेश्वर का प्रतिरूप है। कुलुस्सियों 1:15

“वह तो अदृश्य परमेश्वर का प्रतिरूप और सारी सृष्टि में पहिलौठा है।

यीशु प्रभु और गुरु हैं। यूहन्ना 13:13

“तुम मुझे गुरू, और प्रभु, कहते हो, और भला कहते हो, क्योंकि मैं वही हूं।”

यीशु शान्ति का राजकुमार है। यशायाह 9:6

“क्योंकि हमारे लिये एक बालक उत्पन्न हुआ, हमें एक पुत्र दिया गया है; और प्रभुता उसके कांधे पर होगी, और उसका नाम अद्भुत, युक्ति करने वाला, पराक्रमी परमेश्वर, अनन्तकाल का पिता, और शान्ति का राजकुमार रखा जाएगा।”

यीशु मसीह है। लूका 2:11

“कि आज दाऊद के नगर में तुम्हारे लिये एक उद्धारकर्ता जन्मा है, और यही मसीह प्रभु है।” यीशु उद्धारकर्ता है। 1 यूहन्ना 4:14 “और हम ने देख भी लिया और गवाही देते हैं, कि पिता ने पुत्र को जगत का उद्धारकर्ता करके भेजा है।” यीशु परमेश्वर का पुत्र है। यूहन्ना 10:36 “तो जिसे पिता ने पवित्र ठहराकर जगत में भेजा है, तुम उस से कहते हो कि तू निन्दा करता है, इसलिये कि मैं ने कहा, मैं परमेश्वर का पुत्र हूं।”

Hindi Bible Vachan
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पवित्र आत्मा कौन है?

Hindi Bible Vachan की इस विषय पर अभी हम पवित्र आत्मा के बारे में जानेंगे। पवित्र आत्मा तीन परमेश्वर में से एक हैं; जिसे हम पिता परमेश्वर, पुत्र प्रभु यीशु और पवित्र आत्मा अर्थात सत्य की आत्मा ( यूहन्ना 15:26 ) के नाम से जानते हैं। ( मत्ती 3:16-17 ) के वचन में पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा एक साथ प्रकट होते हैं। पवित्र आत्मा परमेश्वर का आत्मा अर्थात सत्य का आत्मा है। क्योंकि पवित्र आत्मा प्रेरितों के ऊपर पिन्तेकुस ( प्रेरितों के काम 2:1) के दिन आया। जिस व्यक्ति के अंदर सत्य और धार्मिकता होती है, वहां पवित्र आत्मा निवास करता है।

परंतु जो लोग गन्दी चाल-चलन, संसारिक अभिलाषा और पाप गुनाहों में लिप्त रहते हैं, उनसे ( इफिसीयों 4:30 ) पवित्र आत्मा शोकित रहता है। क्योंकि पवित्र आत्मा लोगों की उद्धार के लिए काम करते हैं। परंतु पवित्र आत्मा को परमेश्वर ने हमारे मन में रखा है, और ( 2 कुरिन्थियों 1:22 ) अमूल्य धन को पहले ही दे कर उद्धार की मुहर लगा दी है।

इसलिए ( 1 थिस्सलुनीकियों 5:19 ) वचन यह कहता है, आत्मा को नहीं बुझाना चाहिए। आत्मा को बुझाने का मतलब, मनुष्य की पाप की वजह से पवित्र आत्मा चला जाता है। हम इस वचन को गहराई से समझ सकते हैं, कि पवित्र आत्मा कौन है? उसकी व्यक्तित्व कितनी महत्वपूर्ण है, और वह कितनी आदरणीय है। क्योंकि पापियों के मन में वह कदापि नहीं रहता है।

स्वर्ग दूत कौन हैं?

स्वर्ग दूत ऐसा अदृश्य प्राणी हैं, जिनको परमेश्वर स्वर्ग राज्य के निमित्त बनाया है। वे परमेश्वर की आज्ञा का पालन तथा दिन-रात उपासना और सेवा में लगे रहते हैं। स्वर्ग दूत अपनी इच्छा से नहीं! बल्कि परमेश्वर की इच्छा से काम करते हैं। ( लूका 1:19)

Hindi Bible Vachan के अनुसार स्वर्ग दूतों की भी अपनी-अपनी अहोदा होती है। जैसे कि प्रधान स्वर्ग दूत मिकाईल ( यहूदा 1:9 )। संदेश दाता जिब्राईल ( लूका 1:26) बाइबल में जिब्राईल स्वर्ग दूत की वर्णन ( दानिय्येल 8:16 ) और ( दानिय्येल 9:21 ) के वचन में भी देखने को मिलता है। ( उत्पत्ति 3:24 ) के वचन से यह पता चलता है, कि परमेश्वर जीवन वृक्ष की सुरक्षा के लिए करुबों की नियुक्ति की थी। प्रकाशित वाक्य में स्वर्ग दूतों को परमेश्वर की स्तुति और स्वर्ग की सेना के रूप में कार्य करते हुए देखने को मिलता है।

शैतान कौन है?

शैतान भी परमेश्वर की राज्य अर्थात स्वर्ग का दूत था। परंतु उसने अपनी पद पर स्थिर न रह सका और परमेश्वर से बगावत की। फलस्वरूप उसे स्वर्ग से निकाल दिया जाता है। सिर्फ शैतान ही नहीं! बल्कि शैतान के पक्ष में जितने भी स्वर्ग दूत थे, उन्हें भी स्वर्ग से बाहर निकाल दिया गया। क्योंकि Hindi Bible Vachan ( यहूदा 1:6 ) कि वचन कहता है, कि वे अपने-अपने पद पर स्थिर न रह सके। अर्थात उन स्वर्ग दूतों ने शैतान का साथ दिया। शैतान के बारे में ( प्रकाशित वाक्य 12:9 ) का वचन कहता है, की शैतान; बड़ा अजगर, पुराना सांप और इब्लीस के नाम से जाना जाता है।

शैतान की युक्तियों को तो आप लोग जानते हैं, ( 2 कुरिन्थियों 2:11 ) जिससे उसका दांव आप पर न चले इसलिए सतर्क रहें। क्योंकि शैतान लोगों को अपने जाल में फंसाकर, विशेष करके परमेश्वर का काम को रोकना चाहता है।

क्योंकि शैतान परिक्षा करता है। ( मत्ती 4:1-11 ) ( मरकुस 1:13 ) ( लूका 4:1-13 )

शैतान स्वर्ग दूत का रूप धारण करता है। ( 2 कुरिन्थियों 11:14 )

शैतान धार्मिक लोग और सेवकों को अच्छा काम करने से रोकता है। ( 1 थिस्सलुनीकीयों 2:18 ) ( दानिय्येल 10:13 )

शैतान लोगों को सताता है। ( प्रेरितों के काम 10:38 )

शैतान लोगों को बिमारी से पीड़ित करता है। ( अय्यूब 2:7 )

शैतान लोगों को बिमारी के बन्धन में बान्धता है। ( लूका 13:16 )

शैतान सिंह की नाई फाड़ता है। ( 1 पतरस 5:8 )

शैतान किसी भी मनुष्य को अपने वश में कर सकता है। ( लूका 22:3 )

आकाश और पृथ्वी

जिस आकाश और पृथ्वी को हम देख रहे हैं, उसे Hindi Bible Vachan ( , उत्पत्ति 1:1 ) के अनुसार परमेश्वर ने उसे आदि में सृष्टि किया था। क्योंकि ( भजन संहिता 102: 25 ) की वचन कहता है; परमेश्वर ने पृथ्वी की नेव डाली और आकाश को उसने अपने हाथों से बनाया है। परमेश्वर आकाश को बनाने के साथ-साथ ( भजन संहिता 8:3 ) के वचन के अनुसार; वह सूर्य, चांद और तारों को भी आकाश में नियुक्त किया।

आकाश से बरसात भी परमेश्वर की नियत समय पर ही होती है। जिससे पृथ्वी को हरी-भरी करे। क्योंकि दिन-रात, सूर्य, चांद का उदय-अस्त होना, दिन, महीने और वर्ष मनुष्य की इच्छा से नहीं होता! बल्कि परमेश्वर की मर्जी से कार्य करता हैं।

मनुष्य कौन है?

विज्ञान मनुष्य को भले ही बन्दर से उत्पन्न होने के बारे में बताती है, परन्तु हम बाइबल पर विश्वास करते हैं, इसलिए Hindi Bible Vachan के इस विषय पर बाइबल से ही बात करेंगे। परमेश्वर ने जो भी बनाया और उसे बहुत अच्छा लगा। परन्तु खाश बात यह है, कि ( उत्पत्ति 1:27 ) के वचन में मनुष्य को उसने अपने स्वरूप में बनाया है। अर्थात मनुष्य परमेश्वर का प्रतिरूप है, बन्दर का नहीं। ( उत्पत्ति 2:7 ) का वचन कहता है, कि परमेश्वर मनुष्य को भूमि की मिट्टी से बनाया। और उसके नथनो में जीवन की श्वास फुंका।

परमेश्वर के संतान होने के नाते मनुष्य बुद्धिमान और चतुर हैं। परंतु परमेश्वर सत्य तथा न्यायवान होने के नाते वह चाहता है, कि लोग सत्य को पहचान कर सच्चाई और खराई से चलें। परंतु मनुष्य कभी-कभी विवेक शुन्य होकर खुद की पहचान भूल जाते हैं; और असभ्य उपद्रव करने लगते हैं। इसलिए हर प्रकार की अन्याय काम से लोगों को दूर रहना चाहिए। लोगों को अपना हर कदम जांच-परख कर आगे बढ़ाना चाहिए। सत्य, न्याय और इमानदारी का झंडा लोगों के बीच में गाड़ देना चाहिए, जिससे आने वाला कल तक लोग स्मरण करते रहेंगे।

माता-पिता कौन हैं?

यह तो लोगों को जरूर पता होगा, की परमेश्वर सब का पिता है। परन्तु परमेश्वर ने पृथ्वी के माता-पिताओं को सृष्टि के कार्यों में योगदान देने के लिए चुना है। अर्थात परमेश्वर की सृष्टि के कार्यों में माता-पिताओं का अहम भूमिका है। इसलिए सभी लोग अपने माता-पिता का आदर करना चाहिए। क्योंकि Hindi Bible Vachan ( कुलुस्सियों 3:20 ) कहता है; कि तुम अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करना, ऐसा इसीलिए क्योंकि इससे परमेश्वर प्रसन्न होता है।

माता-पिता को परमेश्वर सृष्टि की बड़ी भूमिका दी है। इसलिए सभी माता-पिताओं को सत्य का अनुसरण करना चाहिए। परमेश्वर यह भी नहीं चाहते हैं, कि माता-पिता अपने कर्तव्य निभाने में नाकामयाब रहे। अर्थात सभी माता-पिताएं सत्य निष्ठा पर चलकर अपने बच्चों के लिए आदर्श नमूना बने। बच्चे पैदा करना आसान है। परंतु अपने बच्चे के लिए उत्तम माता-पिता बन कर, उन्हें सर्वोत्तम बनाएं।

पाप क्या है?

पाप एक ऐसा कलंक है, जो शरीर और आत्मा को अपवित्र करने के साथ-साथ मनुष्य का मान-सम्मान को मिट्टी में मिला देता है। कुछ पाप को लोग छिप छिप कर और लोगों के दृष्टि से बचकर करते हैं। उन्हें डर रहता है, कि कहीं उनकी बदनाम न हो जाए। जैसे कि चोरी, व्यभिचार, दुष्कर्म, हत्या इत्यादि। फिर ऐसे भी कुछ पाप है, जिसे लोग नहीं जानते हैं, कि वह पाप है। जैसे कि गन्दी बात बोलना, ईर्ष्या करना, गन्दी फिल्म देखना, डाह, गन्दी सोचना, गाली देना, झगड़ा करना, गन्दी इशारा करना इत्यादि इत्यादि।

Hindi Bible Vachan के द्वारा हम यह बताना चाहते हैं; की भले ही लोगों को पाप क्या है, ज्ञात हो या न हो; परन्तु परमेश्वर प्रत्येक मनुष्य का बुरी चाल और पाप को जानता है। इसलिए यह सोच कर पाप न करें की कोई नहीं देख रहा है। क्योंकि परमेश्वर ( भजन संहिता 44:21 ) मन की बातों को जानता है। ( यिर्मयाह 17:10 ) की वचन कहता है, यहोवा परमेश्वर मानव हृदय को जांचता है, फिर लोगों की चाल-चलन तथा उनके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करता है। इसलिए जिस पाप के चलते मनुष्य का शरीर और आत्मा अपवित्र हो; तथा मनुष्य जाति के सामने बदनामी झेलना पड़े, उससे सर्वदा दूरी बनाए रखना उचित है।

पश्चाताप ( मन फिराओ ) क्या है?

पश्चाताप का मतलब अपने बुरी चाल-चलन छोड़ना, कुमार्ग से फिरना, गुनाहों को छोड़ना, अन्याय अत्याचार न करना और सभी प्रकार के बुराई से मन फिराने को पश्चाताप कहते हैं। पाप तो सभी करते हैं, इसलिए पश्चाताप की भी आवश्यकता है। परंतु सच्ची पश्चाताप ऐसी होनी चाहिए जैसे दोबारा पाप न हो। अर्थात पाप करने से पहले उसे भय हो, कि परमेश्वर से माफी मांगना पड़ेगा। क्योंकि बारंबार पाप करके पश्चाताप करते रहने से परमेश्वर प्रसन्न नहीं होता है। इसलिए सर्वदा पाप से परहेज करना ही मनुष्य के लिए उचित है।

Hindi Bible Vachan की ( नीतिवचन 1:23 ) में यह मालूम होता है; की प्रभु की डांट से मन फिराना चाहिए, जिससे प्रभु का आत्मा मिलेगा। फिर ( प्रेरितों के काम 3:19 ) का वचन कहता है कि अपने पापों की क्षमा के लिए पश्चाताप करना चाहिए।

क्षमा क्या है?

क्षमा का मतलब, मनुष्य के गुनाहों के ऊपर पर्दा डालने को कहा जाता है। क्योंकि गुनाह करने के पश्चात कोई भी मनुष्य दंड की भागी हो सकता है। परंतु क्षमा किया जाना या क्षमा लोगों को दंड से बचा सकता है। इससे यह समझ में आता है, की क्षमा बहुत सारे गुनाहों को ढ़ाँपता है।

क्योंकि Hindi Bible Vachan ( भजन संहिता 32:1 ) लोगों को धन्य कहता है, जिनके गुनाहों को क्षमा किया गया, और पाप ढ़ाँप दी गई थी। सीधी सी बात यह है, कि क्षमा दंड से बचाता है; और गुनाह दंड दिलाता है। बाइबिल में सभी पापों की क्षमा मिल सकती है; परन्तु ( मत्ती 12:32 ) की वचन के अनुसार, पवित्र आत्मा के विरुद्ध की जाने वाली पापों की क्षमा नहीं मिलता है। इस प्रकार की पापों की क्षमा सिर्फ पृथ्वी पर नहीं! बल्कि स्वर्ग लोक में भी क्षमा नहीं मिल सकती है। इसलिए परमेश्वर की वचनों को बारीकी से अध्ययन करना चाहिए।

परमेश्वर की आज्ञा क्या है?

परमेश्वर की आज्ञा एक ऐसा धर्मादेश है, जिसे पालन करना जरूरी है। अन्यथा मनुष्य, परमेश्वर का विरोधी बन सकता है। ( 1 शमूएल 15:22 ) की वचन कहता है, कि परमेश्वर बलिदान से ज्यादा आज्ञा मानने से प्रसन्न होता है। क्योंकि राजा शाऊल के द्वारा, परमेश्वर की आज्ञा का उलंघन करने के पश्चात, परमेश्वर ने उसे त्याग कर दाऊद को इस्राएल का राजा चुन लिया था। इससे यह ज्ञात होता है, कि आज्ञा सब बातों का शीर्ष और मूल है। खास करके जो कोई परमेश्वर की आज्ञा का उल्लंघन करता है; वह परमेश्वर को इनकार करता है।

Hindi Bible Vachan ( मरकुस 7:7-9 ) में देखने को मिलता है; कि आजकल लोग परमेश्वर की आज्ञा को टाल कर मनुष्य की आज्ञा का पालन करने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाते हैं। परन्तु ( प्रेरितों के काम 5:29 ) की वचन कहता है, कि मनुष्य की आज्ञा से बढ़कर परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना ही कर्तव्य और कर्म है।

( निर्गमन 20:1-17 ) के वचन में लिखा है; की परमेश्वर ने लोगों को दश आज्ञा दिए थे। और यह दश आज्ञा इसलिए दिये थे, कि लोग पाप और अपराधिक कार्य से बच सकें। क्योंकि परमेश्वर पाप और गुनाहों से घृणा करते हैं। इसलिए यह जान लें कि जहां आज्ञा का पालन नहीं होता, वहां पाप है। फिर जहां पाप है; वहां परमेश्वर नहीं रहता और जहां परमेश्वर नहीं; वहां अनुग्रह भी नहीं मिलती है।

आशीष क्या है?

आशीष उसे कहते हैं; जिसकी प्राप्ति से मनुष्य की शारीरिक, मानसिक और आत्मिक उन्नति परिलक्षित हो। कोई भी बुराई करने वाला मनुष्य को परमेश्वरआशीष नहीं देता। आशीष का हकदार वही होता है, जो धार्मिक व्यक्ति हो, और परमेश्वर की सिद्ध व्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करते रहता है, तथा उसको सुनकर नहीं! ( याकूब 1:25 ) बल्कि उसके अनुसार काम भी करता है।

हर कोई व्यक्ति आशीष पाना चाहता है। परंतु परमेश्वर की इच्छा के अनुसार चलना नहीं चाहता, तो आशीष कैसे मिलेगा। संसार में जीने के लिए लोगों का काम करना जरूरी है। परंतु सभी कामों में परमेश्वर को आगे रखें, क्योंकि परमेश्वर आगे रहेंगे तो आशीषें भी पीछे-पीछे आएंगी। परन्तु यदि आप संसारिक चीजों को आगे रखकर परमेश्वर को पीछे रखेंगे; तो आशीषें भी निश्चित रूप से दूर चली जाएंगी।

इसलिए Hindi Bible Vachan के इस विषय के द्वारा खास तौर से यह जानकारी देना चाहता हूं, की पाप से हमेशा दूरी बनाए रखना चाहिए। ऐसा न हो कि पाप के कारण आप आशीष से वंचित हो जाएं।

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स्राप क्या है?

आशीष का विपरीत को स्राप कहते हैं। स्राप मनुष्य के जीवन को उजाड़ कर रख देता है। लोगों के जीवन में संकट, समस्या, बीमारी और अशांति भर देता है। परमेश्वर चाहता है, कि सभी मनुष्य को आशीष मिले और वे सुकुन से रहे। परंतु Hindi Bible Vachan की इस विषय पर आज हम शाप की कुछ वचनों को देखेंगे, जो परमेश्वर की आज्ञा का उल्लंघन करने की वजह से मनुष्य के ऊपर स्राप पड़ती है।

( व्यवस्थाविवरण 28:15 ) की वचन के अनुसार जो व्यक्ति परमेश्वर की बात न सुने, आज्ञा का पालन न करे और विधियों का उल्लंघन भी करता रहे, ऊन पर शाप पड़ता है। ( व्यवस्थाविवरण 27:15-26 ) ( व्यवस्थाविवरण 28:15-68 )

( मरकुस 11:13 ) के वचन में यह लिखा है कि, प्रभु यीशु एक अंजीर के पेड़ के पास हम मिलने की आशा लेकर जाते हैं, पर वह यह भी जानते थे, कि अभी अंजीर वृक्ष की फल देने का समय नहीं है। परंतु चेलों को कुछ शिक्षा देना चाहते थे। इसलिए वह अंजीर का पेड़ के पास जाकर फल ना मिलने के कारण उसे स्राप देते हैं।

क्योंकि प्रभु यह शिक्षा देना चाहते थे, कि जो व्यक्ति के पास सब कुछ होते हुए भी अगर वह परमेश्वर के लिए, धार्मिकता का फल उत्पन्न न कर सके, तो इस धरती में किस लिए रहेगा। दूसरे दिन ( मरकुस 11:21 ) भोर को जब वे उस रास्ते से गुजरते हैं, तो अंजीर की पेड़ को सुखा हुआ देखकर पतरस को प्रभु की स्राप याद आती है। क्योंकि प्रभु ने कहा था कि तेरा फल अब से कोई न खाएगा।

इससे हमें यह पता चलता है, कि जो व्यक्ति सत्य और धार्मिकता के मार्ग पर नहीं चलता है, उस पर भी स्राप पड़ सकता है। क्योंकि पाप मनुष्य के जीवन में स्राप को उत्पन्न करता है। इसलिए पाप से मनुष्य को हमेशा दूरी बनाए रखना चाहिए।

दान और वरदान क्या है?

दान और वरदान वह है, जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर की ओर से मिलता है। ( याकूब 1:17 ) कि वचन कहता है, क्योंकि हर प्रकार की उत्तम दान और वरदान ज्योति के पिता परमेश्वर की ओर से आता है, जिसमें कोई परिवर्तन नहीं होता। अर्थात जो दान और वरदान परमेश्वर लोगों को प्रदान करते हैं, उसमें चाहे कुछ भी हो जाए, जब तक वह व्यक्ति परमेश्वर में स्थिर रहता है। तब तक परमेश्वर की अनुग्रह में किसी प्रकार की रुकावट नहीं होता।

Hindi Bible Vachan के द्वारा लोगों को बताना चाहते हैं, कि यह दान उस प्रकार की नहीं है, जिसे एक मनुष्य दूसरे को देता है। इसका मतलब यह है, कि जब कोई व्यक्ति किसी भिखारी को कुछ देने के लिए अपने जेब में हाथ डालता है, तो चिल्लर न होने के कारण वह भिखारी को देने से इनकार करता है। परंतु यदि वह दे भी दे, फिर भी उसका वह दान भिखारी के लिए क्षण स्थाई ही होगा।

परंतु परमेश्वर का दान और वरदान मनुष्य को निखारता है, और उनके जीवन में उन्हें शिखर तक पहुंचाता है। इसलिए कड़ी मेहनत के साथ सत्य और निष्ठा पर चलते हुए, परमेश्वर की दान और वरदान की आशा करते रहना चाहिए। क्योंकि निष्पाप, निष्कलंक और नम्र लोगों से ही परमेश्वर प्रसन्न होता है।

जन्म क्या है?

जन्म का अर्थ इस धरती पर किसी जीवन का आरंभ या अस्तित्व में आने को कहा जाता है। क्योंकि पृथ्वी की खाली जगह को पूर्ण करने के साथ-ही-साथ उसमें संपूर्णता लाने के लिए नया जन्म होता है। मनुष्य का जन्म परमेश्वर की योजनाओं को पूरा करने के लिए होता है। परंतु मनुष्य कौन है? उसका जन्म किस लिए हुआ? और परमेश्वर से उसका संबंध क्या है? इसे जानने की कोशिश किए बिना लोग संसारिक माया जाल में उलझ कर दिशाहीन हो जाते हैं।

जैसे पेड़ पौधों का जन्म पृथ्वी की संतुलन बनाने और फल उत्पन्न करने के लिए होता है। और पेड़ पौधे भी बखूबी से परमेश्वर की योजना को पूरा करते हैं। जरा सोचिए जिस मनुष्य को परमेश्वर अपने स्वरूप में बनाया, वे यदि सत्य से भटक कर परमेश्वर की योजनाओं को पूरा करने में विफल हो जाएं, तो सृष्टिकर्ता परमेश्वर को कैसा लगेगा। कल्पना कीजिए कि मनुष्य कितनी भाग्यवान है, जिसे परमेश्वर ने अपने स्वरूप में बनाया है। क्योंकि ( 1 यूहन्ना 2:29 ) कि वचन के अनुसार जो धर्म व्यक्ति है, वह प्रभु से जन्मा है।

मृत्यु क्या है?

मृत्यु का मतलब किसी भी प्राणी की शरीर में श्वास का बंद होने को कहते हैं। फिर मृत्यु इस धरा पर किसी प्राणी की जीवन का अस्तित्व की समाप्ति को भी कहा जाता है। अर्थात जीवन की समाप्ति मृत्यु है। यूं कहे तो जब तक जिस किसी के पास जीवन है, वह जीवित रहता है। फिर जीवन चले जाने के बाद निर्जीव हो जाता है, जिसे लोग मृतक कहते हैं। उसी प्रकार किसी भी प्राणी की अस्तित्व की आरंभ को जन्म और मृत्यु को अस्तित्व की समाप्ती कहा जाता है। बाइबल में मृत्यु दो प्रकार की होती है। एक शारीरिक और दूसरा आत्मिक मृत्यु; जिसे नर्क का दंड भी कहा जाता है।

मृत्यु तो सबकी होती है। परंतु यह निर्णय लोगों को लेना चाहिए कि उनकी मृत्यु पाप की वजह से न हो। क्योंकि ( रोमियो 6:23 ) के अनुसार पाप की मजदूरी मृत्यु है। रोमियो 8:6 ) की वचन कहता है, किस शरीर की इच्छा या शरीर पर मन लगाना मृत्यु है। परंतु आत्मिक जीवन-यापन या आत्मा पर मन लगाना जीवन है। फिर (रोमियो 8:13 ) कि वचन कहता है, कि जो व्यक्ति शारीरिक जीवन-यापन करता है, वह मरेगा। परंतु जो कोई आत्मा से शारीरिक इच्छा को मारता है, वह जीवित रहेगा।

स्वर्ग क्या है?

स्वर्ग परमेश्वर का पवित्र धाम है। जहां पर परमेश्वर निवास करते हैं। स्वर्ग में परमेश्वर के साथ स्वर्ग दूत और धर्मी साधु-संत भी रहते हैं। यूं कहें तो स्वर्ग पवित्र लोगों का घर है।

पर Hindi Bible Vachan के द्वारा एक बात बताना चाहते हैं; कि जो कोई भी बड़े से बड़ा पापी ही क्यों न हो, यदि वह प्रभु पर विश्वास करते हुए सच्चे मन से पश्चाताप करेगा! तब उसके लिए स्वर्ग राज्य का द्वार खुल जाता है। क्योंकि ( लूका 23:39-43 ) वचन में देखने को मिलता है; की दो अपराधियों में से एक प्रभु पर दोष लगाता है; परंतु दूसरा अपने अपराध को कबूल करते हुए; प्रभु से क्षमा निवेदन करता है। इस पर प्रभु कहते हैं, कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा। अर्थात सच्चे मन फिराओ से किसी को भी स्वर्ग राज्य में प्रवेश मिल सकता है।

नर्क क्या है?

अन्यायी, अत्याचारी, दुष्ट, पापी और परमेश्वर के विरोधियों के लिए निर्मित अनंत दंड का स्थान नर्क है। जैसे धरती पर निवास करने वाले अपराधियों को दंड देने के लिए कारागार का निर्माण किया गया है। वैसे ही सारी सृष्टि की प्राणियों के अपराध की दंड के लिए नर्क का निर्माण किया गया है। पर फर्क यह है कि धरती पर रहने वाले अपराधी जेल से जमानत में निकलते हैं; या सजा काटने के बाद रिहा हो जाते हैं। परंतु नर्क इसलिए बनाया गया है; की अपराधियों को अनंत काल तक दंड दिया जा सके।

जिस तरह स्वर्ग धर्मियों के लिए अनंत काल का निवास स्थान है। उसी तरह नर्क भी पापियों के लिए निर्मित दर्दनाक और ज्वलन्तमय आग का कुन्ड है। यहां पर प्रभु यीशु लोगों को ( मत्ती 5:22 ) के वचन में भाई के विरुद्ध की जाने वाली पाप नर्क के आग के दंड योग्य है। अर्थात पाप मनुष्य को नरक ले जाता है।

निष्कर्ष

मैं उम्मीद करता हूं, की कि इस विषय द्वारा लोगो को वचन से जुड़ा कुछ नईं ज्ञान सीखने को जरूर मिला होगा। क्योंकि प्रभु का वचन पढ़ने से आत्मिक ज्ञान बढ़ता है; और आत्मज्ञान के द्वारा मनुष्य का जीवन निखरता है। प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह की बरसात विश्वासियों की आत्मा पर होता रहे। आमीन॥

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