Your Answer-हां और ना में सिमीत हो।

Your answer हां और ना में सिमीत हो।

जय मसीह की ईश्वर के लोग। आज हम बात करेंगे कि कोई आपसे कुछ भी सवाल पूछे, तब आपकी जवाब कैसा होना चाहिए? समाज में देखा जाता है, कि जब कोई कुछ सवाल पूछता है, तब लोग क्या कहते हैं? लोग उस सवाल का जवाब न देने के लिए बात को टालते हैं। बात को घुमा फिरा कर बोलते हैं। झूठ बोलते हैं, जो कि उचित नहीं है।

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कुलुस्सियों अध्याय 4 के 6 पद में लिखा है, तुम्हारा वचन सदा अनुग्रह सहित और सलोना हो, कि तुम्हें हर मनुष्य को उचित रीति से उत्तर देना आ जाए।

आपकी जबाव इस प्रकार होना चाहिए कि, लोगों को सुनकर संतुष्टि मिले। क्योंकि लोग बात से ज्यादा प्रभावित होते हैं। आपकी बात दिलचस्प और सच्चा होना चाहिए। लोग कह सके कि आदमी अच्छा है। आपका उत्तर देने का तरीका ही, आपको एक कदम आगे बढ़ा सकता है। आप लोगों के बीच में एक मजबूत इंसान बन सकते हैं। आपका जवाब से लोग आपको पहचानते हैं। इसलिए उचित तरीके से उत्तर देने सीखिए। उचित तरीके से आपकी बातों को लोगों के सामने रखिए। जिससे वे आपकी बातों को सुनकर कुछ सीख सकेंगे।

मत्ती लिखित सुसमाचार अध्याय 5 और 37 वा पद में लिखा है। परन्तु तुम्हारी बात हां की हां, या नहीं की नहीं हो; क्योंकि जो कुछ इस से अधिक होता है वह बुराई से होता है।

अगर आप लोगों के बीच में साधारण सी हां और ना शब्द का इस्तेमाल करने सीख जाएंगे, तब आपको परेशानियां झेलना नहीं पड़ेगी। क्योंकि लोग अपने बात को दृढ़ता से लोगों के बीच रखने के लिए कसम खाते हैं। लोगों को लगता है, कि कसम खाने से उनकी बात सच्ची समझी जाएगी। और इस प्रकार से वे गलती कर बैठते हैं। जब दो लोगों के बीच में खाई हुई कसम झूठी निकलती है, तब उनके मध्य की संबंध खराब होता है। इसलिए कसम खाकर अपनी बात को दृढ़ता के साथ रखने की कोशिश ना करें।

परमेश्वर सच्च बोलने वाले लोगों से प्रसन्न होते हैं। ज्यादा बोलने से लोग बोलते हैं, कि यह आदमी पका रहा है। कम बोलने से लोग बोलते हैं, कि यह आदमी गूंगा है। इसलिए ना तो कम बोलें और ना ज्यादा, परंतु मधुर बोलें। जिससे सुनने वाले लोगों के लिए आत्मिक उन्नति हो सके।

इफिसियों की 4:29 में लिखा है, कोई गन्दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो।

आपकी मुंह से गंदी बात नहीं निकलना चाहिए। जिससे आत्मिक उन्नति में बाधा आ सके। क्योंकि लोगों की चाल चलन देखकर और बातों को सुनकर किसी का बदलाव हो सकता हैं। अगर आप परमेश्वर कि सिखाई हुई बात कहेंगे, तब लोगों को उसे अनुग्रह मिलेगा। उन शिक्षा के प्रभाव को वे अपने जीवन में अनुभव कर पाएंगे। इसलिए किसी से भी ऐसी बातें ना करें जो उनके जीवन में गलत प्रभाव छोड़ सके।

जब भी कोई आपसे कुछ पूछे, तब आपकी जवाब साधारण सी बातों में हां और ना के द्वारा होना चाहिए। आपका अच्छा जवाब किसी भी एक आदमी को बदल सकता है। नई पहचान दे सकता है। अच्छे इंसान बना सकता है। सच्चाई से चलने के लिए शिक्षा दे सकती है। तो देर किस बात की अपना स्वभाव को बदल दीजिए। अच्छी बातें करने से रोकने वाली बुरी सोच को त्याग दीजिए। एक नई पहचान बनाइए। एक नया जीवन गुजारिए।

महा पवित्र परम पावन परमेश्वर, लोगों को अच्छे और सच्चे बोलने के लिए इतनी शक्ति प्रदान कीजिए, जिससे वे जो भी बोले लोगों की उन्नति हो। अच्छी बात बोलने से लोगों को शांति मिले। सच्ची बात बोलने से लोग पाप से दूर रहकर आपकी शिक्षा पर चले। लोगों की मुंह की प्रत्येक गंदी बात को उनके जीवन से दूर कीजिए, जो आपकी शिक्षा पर चलते हैं। आपकी शिक्षा को मुंह पर और दिल में बसाने के लिए अनुग्रह प्रदान कीजिए। आपकी शिक्षा को वे अपने पांव का दीपक बना ले। मैं यह निवेदन करता हूं, आपके पुत्र यीशु मसीह के नाम पर। आमीन।

God bless you for reading continue.

2 thoughts on “Your Answer-हां और ना में सिमीत हो।”

  1. Really, our lord is great .He is the real God and give us peaceful life and eternal life. Prabhu mujhe or aap sabhi ko aisa bnae ki yeshu masih hmare Jeevan me dikhe or hmara chaal chalan yeshu masih jaisa ho jaae amen

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