Jesus said-नाशमान भोजन के लिये परिश्रम न करो
Jesus Christ के नाम से नमस्कार, ईश्वर की सृष्टि में मनुष्य एकमात्र ऐसा प्राणी है, जो बात कर सकता है। अपना सुख दुख को बांट सकता है। अपनी इच्छा के अनुसार जी सकता है। स्वादिष्ट भोजन बना के खा सकता है। एक तरह से देखा जाए तो मानव एक बुद्धिमान प्राणी है। ज्यादातर देखा जाए तो लोग हमेशा दो प्रकार की चिंता करते है।
पहला वर्तमान की चिंता। दूसरा भविष्य के बारे में चिंता। बढ़िया भोजन चाहिए, अच्छे कपड़ा चाहिए, अच्छे मकान, गाड़ी, बंगला चाहिए, अच्छी नौकरी चाहिए, अच्छी घरवाली चाहिए, यह सब वर्तमान की सोच के दायरे में आता है।
उपरोक्त चीजें जब लोगों के पास परिपूर्ण रहती है, तब वे भविष्य के बारे में सोचने लगते हैं। उनके बच्चे की भविष्य, धन दौलत की भविष्य, एक खुशहाल जिंदगी की भविष्य, अच्छे रिटायरमेंट की भविष्य की चिंता लगी रहती है। इन सब चीजों के बीच भोजन एक प्रमुख विषय रहता है। देखा जाए तो पेट एक छोटी ही है, परंतु उसको तृप्त करना मुश्किल होता है। और उस पेट के लिए लोग दिन-रात परिश्रम करते हैं। पेट भर भोजन के लिए भविष्य की योजना बनाते हैं। इन सब चीजों का का मूल कारण खुशहाल जिंदगी जीना है। लोग खा पी कर चैन से रहना चाहते हैं। अगर आपके पास सब कुछ है, परंतु भोजन की वस्तु नहीं है, तो कोई लाभ नहीं है। क्योंकि जब तक लोग नहीं खाएंगे काम या दूसरी चीजों की चिंता नहीं कर पाएंगे। इसलिए भोजन के लिए काम करना भी जरूरी है।
प्रत्येक लोगों को सच्चे मन से परिश्रम करना चाहिए। क्योंकि मेहनत का फल मीठा होता है। क्या आपका परिश्रम करना भोजन और शारिरिक विषय तक सीमित है? क्या आपका भविष्य की सोच पार्थिव विषय तक सीमित है? इन सब के बारे में जानने के लिए Jesus की वाणी को पढ़ते हैं।
Today verses
उसमें लिखा है, नाशमान भोजन के लिये परिश्रम न करो, परन्तु उस भोजन के लिये जो अनन्त जीवन तक ठहरता है, जिसे मनुष्य का पुत्र तुम्हें देगा, क्योंकि पिता, अर्थात परमेश्वर ने उसी पर छाप कर दी है। यूहन्ना 6:27
अब तक आपने जो भोजन के लिए काम किए हैं, वह नाशमान भोजन के लिए ही करते आये हैं। नाशमान का मतलब नाश होने वाला भोजन। परंतु उस भोजन के लिए भी परिश्रम करना चाहिए, जो अनंत जीवन तक ठहरता है। अनंत जीवन तक ठहरने वाला भोजन क्या है, और वह हमें कहां से मिलेगा? यहां पर प्रभु यीशु कह रहे हैं, जो भोजन अनंत जीवन तक ठहरता है, उसे मनुष्य पुत्र अर्थात मैं दूंगा। कहने का मतलब पिता ईश्वर ने प्रभु यीशु को यह अधिकार दिया है। जब प्रभु Jesus ने, पांच रोटी और दो मछली को 5000 लोगों को खिलाए थे, उसके पश्चात लोगों ने उनको ढूंढते हुए आए थे। उस समय में प्रभु उन लोगों को यह बात बोले थे। तुम चमत्कार देखकर मेरे पीछे नहीं आए हो। परंतु तुम भोजन खा के तृप्त हो गए, इसलिए मेरे पीछे आए हो। प्रभु कहते हैं, जीवन की रोटी में हूं। तुम्हारे बाप दादों ने जंगल में मन्ना खाया और मर गए। यूहन्ना 6:49 यह वह रोटी है जो स्वर्ग से उतरती है ताकि मनुष्य उस में से खाए और न मरे। यूहन्ना 6:50
प्रभु Jesus अपने आप को जीवन की रोटी बताते हैं। और कहते हैं, जो उन्हें खाता वह मरता नहीं सदा के लिए जीवित रहेगा। तुम्हारे बाप दादों ने भी खाया था, मन्ना पर वे मर गए। परंतु मैं जो रोटी दूंगा, जो उसे खायेगा वह मरेगा नहीं, वरन जीवित रहेगा। इसका मतलब अनंत जीवन का भोजन प्रभु खुद है, और वह लोगों को देता है। वह भोजन उन पर विश्वास करने से मिलता है। उनके शिक्षा के अनुसार चलने से मिलता है। उनकी आज्ञा को मानने से मिलता है। अनंत जीवन का भोजन अर्थात आत्मा का भोजन प्रभु देते हैं। क्योंकि जो उन पर विश्वास करते हैं, उन्हें जीवन मिलता है। इसलिए अपना बोली बचन कर्म से perfect रहना चाहिए। आप जो भी काम करते हैं, भले ही आप नश्वर शरीर के लिए करते हैं। नश्वर भोजन के लिए करते हैं। परंतु आप उस काम को सच्चे मन से करें, जैसा कि वह ईश्वर की काम हो। अगर आप संसारीक धन में सच्चे नहीं ठहरेंगे तो आपको स्वर्गीय धन कौन प्रदान करेगा। आपका प्रत्येक काम को ईश्वर बारीकी से देखता है। लोगों को आप ठग सकते हैं। परंतु ईश्वर को आप ठग नहीं सकते।
Pray
सारी सृष्टि के मालिक, जीवित Jesus परमेश्वर, आज तक आदमी होने के नाते हम लोग जो कुछ भी काम किया वह नश्वर भोजन के लिए ही किया। पेट के लिए ही काम किया। परंतु पिता परमेश्वर आपके वचन से हमें पता चलता है, और यह शिक्षा मिलता है कि हमने ऐसा काम करके आपके खिलाफ गुनाह किया है। इसलिए हम लोगों को विशेष करके क्षमा प्रदान कीजिए। और आज से अनंत जीवन तक ठहरने वाले भोजन के लिए काम करने का एक मौका दीजिए। जिस काम में आप साथ ना हो, तो क्या लाभ और जिस भोजन में आपका आशीष ना हो तो उस भोजन खाकर क्या लाभ। इसलिए हे खुदाबंद यीशु पिता हमारे काम, खाने पीने, उठने बैठने और सोचने लेकर हर घड़ी में आप ही रहें। मेरी प्रार्थनाओं को सुनने के लिए पिता आपको मैं तहे दिल से धन्यवाद करता हूं। आमीन।।
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