End plan-मैं धरती के ऊपर से सब का अन्त कर दूंगा
End plan विश्व भर के लोगों का पाप देखकर परमेश्वर यहोवा बहुत क्रोधित हो गए। क्योंकि संसार में लोग मनमर्जी चलने लगे थे; कोई किसी की बात नहीं सुनते थे। चारों तरफ पाप फैला हुआ था। हत्या, चोरी, व्यभिचार, काम, क्रोध, मोह माया से लोग डूबे रहते थे।
परमेश्वर ने देखा; कि कहीं पर एक भी अच्छे आदमी नहीं मिला। क्योंकि लोग पाप के सिवा कुछ अच्छा काम करना; नहीं चाहते थे; इसलिए परमेश्वर को बहुत दुख हुआ। इसलिए परमेश्वर ने कहा,
Today verses
मैं धरती के ऊपर से सब का अन्त कर दूंगा, यहोवा की यही वाणी है। सपन्याह 1:2
परमेश्वर की क्रोध End plan
जो मनुष्य को परमेश्वर ने अपने हाथों से और अपने स्वरूप में बनाया था। जब उसी मनुष्य परमेश्वर की आज्ञा को ना माने तो परमेश्वर को जरूर क्रोध आएगा। दंड देना एक साधारण बात है। परंतु पृथ्वी पर से सबका अंत कर देना छोटी बात नहीं है। यह वचन ईश्वर की अत्यंत क्रोध को दर्शाता है।
लोग समाज में भी देखते हैं, जो दुष्ट प्रकृति के लोग होते हैं, उनको कोई पसंद नहीं करता; क्योंकि वे काम ही गलत करते हैं। सोचिए जब मनुष्य होकर आप एक मनुष्य का दुष्टता देख नहीं सकते; तो परमेश्वर को कैसा लगता होगा जब लोग उनकी आज्ञा को ना मानकर पाप में जीवन गुजारते हैं।
मनुष्य जाति का End plan
परमेश्वर कहते हैं, मैं मनुष्य और पशु दोनों का अन्त कर दूंगा; मैं आकाश के पक्षियों और समुद्र की मछलियों का; और दुष्टों समेत उनकी रखी हुई ठोकरों के कारण का भी अन्त कर दूंगा; मैं मनुष्य जाति को भी धरती पर से नाश कर डालूंगा, यहोवा की यही वाणी है। सपन्याह 1:3
ईश्वर के विरुद्ध पाप
परमेश्वर की सृष्टि में चाहे वे आदमी हो या पशु, आकाश की पक्षियां हो या समुद्र की मछलीयां सबको ईश्वर नाश करने के लिए सोचते हैं। क्यों? क्योंकि जो ईश्वर को अच्छा नहीं लगता वह काम लोग करते हैं।
ईश्वर की नियम और आज्ञा का पालन ना करना मतलब पाप होता है; किसी स्री पर कुदृष्टि करके व्यभिचार की इच्छा; नाना प्रकार के पाप अत्याचार से लिप्त रहना; और अन्याय तरीके से धन कमा कर लोग जल्दी अमीर बनना चाहते हैं; यह भी इस समय का सबसे बड़ा पाप है। तन, मन; वचन से ईश्वर की आज्ञा को अनसुना करके लोग पाप करते हैं।
वचन से चेतावनी
देखो, परमेश्वर यहोवा की दृष्टि इस पाप-मय राज्य पर लगी है, और मैं इस को धरती पर से नाश करूंगा; तौभी मैं पूरी रीति से याकूब के घराने को नाश न करूंगा, यहोवा की यही वाणी है। आमोस 9:8
इस कारण यहोवा की यह वाणी है, कि जब तक मैं नाश करने को न उठूं; तब तक तुम मेरी बाट जोहते रहो। मैं ने यह ठाना है; कि जाति-जाति के और राज्य-राज्य के लोगों को मैं इकट्ठा करूं कि उन पर; अपने क्रोध की आग पूरी रीति से भड़काऊं; क्योंकि सारी पृथ्वी मेरी जलन की आग से भस्म हो जाएगी। सपन्याह 3:8
क्रोध की आग
जलते हुए आग को आप देखे होंगे उसमें कोई चीज डालने से जलकर भस्म हो जाती है; परंतु परमेश्वर कि क्रोध की आग से कौन बच सकता है? लोगों के पापों के कारण परमेश्वर कहते हैं; सारी पृथ्वी मेरी जलन की आग से भस्म हो जाएगी; वह आग लकड़ी, तेल, गैस से जलने वाली आग नहीं है; जो बुझ जाती है; परंतु परमेश्वर की क्रोध की आग से आपको कोई बुझा नहीं सकता। जब तक वह जलाकर राख ना बना डाले; तब तक वह जलती रहती है। लोगों की अन्त करे बिना वह रुकती नहीं।
इसलिए परमेश्वर की क्रोध से बचने के लिए आपको परमेश्वर का भय मानकर; उनकी आज्ञाओं के अनुसार चलना होगा। लोग भूत प्रेत, बीमारी; महामारी; संकट, समस्याओं को डरने लगते हैं। परंतु लोग परमेश्वर को डरना चाहिए। जो सारी सृष्टि को बना भी सकता है; और अंत भी कर सकता है उसे डरिए।
परमेश्वर की उपासना
डरते हुए यहोवा की उपासना करो, और कांपते हुए मगन हो। भजन संहिता 2:11
परमेश्वर को डरते हुए उसकी उपासना करना चाहिए। क्योंकि वह वही परमेश्वर है; जो आपको मृत्यु और जीवन दे भी सकता है। इसलिए आप पाप से दूर रहें; और ईश्वर को क्रोधित ना करें। उनका क्रोध से आदमी को कौन बच सकता है।
पवित्रता से शोभायमान होकर यहोवा को दण्डवत करो, हे सारी पृथ्वी के लोगों उसके साम्हने कांपते रहो। भजन संहिता 96:9
पवित्रता से परमेश्वर के सामने दंडवत करें। उनको डरते कांपते हुए नमन करें। उनका भय मानकर उनकी आज्ञा का पालन करें। उनकी करुणा हो तो आप हर प्रकार के संकट और विपत्ति से बचे रहेंगे। क्योंकि ईश्वर का क्रोध और दंड से कोई बच नहीं सकता।
ऐसा काम ना करें जिससे उनका क्रोध आपके ऊपर भड़क उठे; और आपके विनाश का कारण बने। लोग अपना अन्त अपने पाप के द्वारा ही करते हैं; इसलिए आप पाप से दूर रहें।
Pray ईश्वर की End plan से बचा सकता है
हे सर्वशक्तिमान पिता परमेश्वर; मनुष्य होने के नाते इस संसार के लोग आपकी आज्ञा और नियम को ना मानकर पाप किए हैं; उनके पाप के कारण आपका आपका क्रोध भड़क उठता है; प्रभु मानव आपके ही संतान हैं। इसलिए आपकी क्रोध को शांत करके उन लोगों की पाप को क्षमा करें।
क्योंकि आपके क्रोध से कौन बच सकता है। कौन आपकी विनाशकारी क्रोध से बच सकेगा; धरती को अन्त कर सकता है; इसलिए करुणामय, दयामयम और प्रेम का सागर परमेश्वर; मानव जाति का पाप क्षमा करके अपने क्रोध को शांत करें; और आपका विनाश की योजना को बदल दें। मैं यह निवेदन आपके चरणों पर करता हूं। आमीन।।
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