Coronavirus epidemic-ईश्वर के क्रोध का सात कारण

coronavirus epidemic- ईश्वर के क्रोध का सात कारण

दोस्तों इन दिनों coronavirus epidemic के चलते लोगों का जीना मुश्किल हो चुका है। लोगों के मुंह से एक ही बात निकलता है, coronavirus से हमें कब राहत मिलेगा? इस महामारी से हमें कब छुटकारा मिलेगी? ना जाने मन में क्या-क्या सवाल आते रहता है। देखा जाए तो इस वक्त मनुष्य, जीवन और मृत्यु के बीच में लटका हुआ है। परंतु आज हम महामारी आने का सात कारण के बारे में जानकारी देना चाहते हैं।। बाइबिल में देखा जाता है कि महामारी ईश्वर भेजते हैं। विभिन्न कारणों के चलते और विभिन्न समय में ईश्वर महामारी को भेजे थे।

पहला कारण

निर्गमन अध्याय 10 वचन संख्या 3 और 4 में लिखा है, कि फिरौन ईश्वर की आज्ञा को नहीं माना। जो वह चाहते थे कि उनके लोगों को वह छोड़ दे। फिरौन ईश्वर के सामने खुद को नम्र नहीं किया। इस वजह से ईश्वर मिस्र देश पर महामारी भेजे थे। यहां पर देखा जाता है कि मनुष्यों का घमंड एक ऐसा चीज है, जो ईश्वर को क्रोध दिलाता है। ईश्वर घमंडी को दंड देते हैं। Daniel 4: 29-31 मैं देखने को मिलता है, कि राजा नबूकदनेस्सर के घमंड के चलते ईश्वर उन्हें 7 साल तक के लिए गाय बैलों के साथ चरने के लिए दंड देते हैं। Daniel 5: 20-30 वचन में पढ़ सकते हैं, की बेलशस्सर भी अपने पिता नबूकदनेस्सर की तरह घमंडी था। इसलिए ईश्वर उसको भी दंडित करते हैं। हेरोद राजा को भी ईश्वर दंड दिये थे। ईश्वर घमंडी लोगों को पसंद नहीं करते हैं। यहां पर सवाल आता है, क्या coronavirus महामारी आने का कारण हम लोगों का घमंड तो नहीं है? प्रभु कहते हैं, यदि मैं आकाश को ऐसा बन्द करूं, कि वर्षा न हो, वा टिडियों को देश उजाड़ने की आज्ञा दूं, वा अपनी प्रजा में मरी फैलाऊं,  2 इतिहास 7:13

तब यदि मेरी प्रजा के लोग जो मेरे कहलाते हैं, दीन हो कर प्रार्थना करें और मेरे दर्शन के खोजी हो कर अपनी बुरी चाल से फिरें, तो मैं स्वर्ग में से सुन कर उनका पाप क्षमा करूंगा और उनके देश को ज्यों का त्यों कर दूंगा।  2 इतिहास 7:14

प्रभु हम से नम्रता की अपेक्षा करते हैं। वह घमंडी को पसंद नहीं करते हैं। इससे पता चलता है कि, महामारी आने का पहला कारण घमंड है।

दूसरा कारण

बाईबल बताती है कि जब इसराइली लोग ईश्वर को छोड़कर मूर्ति पूजा करने लगे तो ईश्वर का क्रोध उनका ऊपर भड़क उठा। यहेजकेल  7:1-14 मैं आप पढ़ सकते हैं, की इसराइली लोगों ने ईश्वर को छोड़कर सूरज देवता की मूर्ति का उपासना करने लगे थे। तो ईश्वर ने उन्हें तलवार भूख और मरी से नाश करने के लिए कहते हैं। विशेष करके Christian देशों में ईश्वर को छोड़कर दूसरे देवी देवताओं को पूजा करने से ईश्वर क्रोधित होकर महामारी भेजते हैं। महामारी भेजने का दूसरा कारण मूर्ति पूजा है।

तीसरा कारण

महामारी फैलने का तीसरा कारण व्यभिचार है। गिनती अध्याय 25 का 1 से 9 वचनों में आप देख सकते हैं। इस्राएली षिट्टीम में अपने पड़ाव डाले हुए थे। उस समय वे मोआबी स्त्रियों के साथ व्यभिचार करने लगे।उन स्त्रियों ने उन को अपने देवताओं की पूजा में आमन्त्रित किया। इस्राएलियों ने उनके देव प्रसाद खाये और उनके देवताओं को दण्डव्त किया।इस प्रकार इस्राएली बाल देवता की पूजा करने लगे और उनके विरुद्ध प्रभु का कोप भड़क उठा। प्रभु ने मूसा से कहा, उनके सब नेताओं को पकड़ कर प्रभु के सामने धूप में खूँटों पर लटका दो, जिससे प्रभु की क्रोधाग्नि इस्राएल पर से दूर हो। इस पर मूसा ने इस्राएलियों के न्यायाधीषों को यह आदेष दिया, तुम में प्रत्येक उन लोगों को मार डाले, जिन्होंने बाल-देवता, की पूजा की है।  जब मूसा और इस्राएल का सारा समुदाय दर्षन-कक्ष के द्वार पर विलाप कर रहा था, तो लोगों के देखते ही एक इस्राएली पुरुष एक मिदयानी स्त्री को अपने घर ले गया।याजक हारून के पुत्र एलआजार के बेटे पीनहास ने उसे देखा। वह उठा और सभा छोड़ कर, हाथ में एक बरछी लिये, उस इस्राएली पुरुष के पीछे-पीछे उसके घर के भीतरी भाग तक घुस आया। वहाँ उसने उन दोनों को उस पुरुष और उस स्त्री के शरीर में बरछी भोंक दिया।इसके बाद इस्राएलियों के बीच फैली हुई महामारी दूर हो गयी।उस महामारी के कारण चौबीस हजार लोगों की मृत्यु हुई। इस संसार में व्यभिचार इतना फैल चुका है की, लोग mobile phone से लेकर multimedia, social media हर जगह में गंदी फिल्में, गंदी एक्टिंग को देखने में लगे हैं। इससे व्यभिचार नामक पाप का वृद्धि हो रहा है। बहुत सारे देशों में वेश्यालय भी खोल दिए गए हैं, और खुलेआम व्यभिचार हो रहा है।। इन सब कारणों से भी ईश्वर की क्रोध भड़कता है। यह भी महामारी का कारण है।

चौथा कारण

ईश्वर की आज्ञा और नियमों को ना मानने से भी ईश्वर की ओर से महामारी आ सकता है। मनुष्य एक हठीले किस्म होते के हैं। अच्छी बात बोलोगे तो वे सुनने के लिए तैयार नहीं होते हैं।

इसलिए लिखा है, यदि तुम मेरी न सुनोगे, और इन सब आज्ञाओं को न मानोगे,  लैव्यवस्था 26:14

और मेरी विधियों को निकम्मा जानोगे, और तुम्हारी आत्मा मेरे निर्णयों से घृणा करे, और तुम मेरी सब आज्ञाओं का पालन न करोगे, वरन मेरी वाचा को तोड़ोगे,  लैव्यवस्था 26:15

तो मैं तुम से यह करूंगा; अर्थात मैं तुम को बेचैन करूंगा, और क्षयरोग और ज्वर से पीड़ित करूंगा, और इनके कारण तुम्हारी आंखे धुंधली हो जाएंगी, और तुम्हारा मन अति उदास होगा। और तुम्हारा बीच बोना व्यर्थ होगा, क्योंकि तुम्हारे शत्रु उसकी उपज खा लेंगे,  लैव्यवस्था 26:16

और मैं भी तुम्हारे विरुद्ध हो जाऊंगा, और तुम अपने शत्रुओं से हार जाओगे, और तुम्हारे बैरी तुम्हारे ऊपर अधिकार करेंगे, और जब कोई तुम को खदेड़ता भी न होगा तब भी तुम भागोगे।  लैव्यवस्था 26:17

और यदि तुम इन बातों के उपरान्त भी मेरी न सुनो, तो मैं तुम्हारे पापों के कारण तुम्हें सातगुणी ताड़ना और दूंगा,  लैव्यवस्था 26:18

और यदि तुम मेरे विरुद्ध चलते ही रहो, और मेरा कहना न मानों, तो मैं तुम्हारे पापों के अनुसार तुम्हारे ऊपर और सातगुणा संकट डालूंगा।  लैव्यवस्था 26:21

और मैं तुम्हारे बीच बन पशु भेजूंगा, जो तुम को निर्वंश करेंगे, और तुम्हारे घरेलू पशुओं को नाश कर डालेंगे, और तुम्हारी गिनती घटाएंगे, जिस से तुम्हारी सड़कें सूनी पड़ जाएंगी।  लैव्यवस्था 26:22

फिर यदि तुम इन बातों पर भी मेरी ताड़ना से न सुधरो, और मेरे विरुद्ध चलते ही रहो,  लैव्यवस्था 26:23

तो मैं भी तुम्हारे विरुद्ध चलूंगा, और तुम्हारे पापों के कारण मैं आप ही तुम को सातगुणा मारूंगा।  लैव्यवस्था 26:24

तो मैं तुम पर एक ऐसी तलवार चलवाऊंगा, जो वाचा तोड़ने का पूरा पूरा पलटा लेगी, और जब तुम अपने नगरों में जा जा कर इकट्ठे होगे तब मैं तुम्हारे बीच मरी फैलाऊंगा, और तुम अपने शत्रुओं के वश में सौंप दिए जाओगे।  लैव्यवस्था 26:25

फिर यदि तुम इसके उपरान्त भी मेरी न सुनोगे, और मेरे विरुद्ध चलते ही रहोगे,  लैव्यवस्था 26:27

तो मैं अपने न्याय में तुम्हारे विरुद्ध चलूंगा, और तुम्हारे पापों के कारण तुम को सातगुणी ताड़ना और भी दूंगा।  लैव्यवस्था 26:28

परन्तु यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की बात न सुने, और उसकी सारी आज्ञाओं और विधियों के पालने में जो मैं आज सुनाता हूं चौकसी नहीं करेगा, तो ये सब शाप तुझ पर आ पड़ेंगे।  व्यवस्थाविवरण 28:15

अर्थात शापित हो तू नगर में, शापित हो तू खेत में।  व्यवस्थाविवरण 28:16

शापित हो तेरी टोकरी और तेरी कठौती।  व्यवस्थाविवरण 28:17

शापित हो तेरी सन्तान, और भूमि की उपज, और गायों और भेड़-बकरियों के बच्चे।  व्यवस्थाविवरण 28:18

शापित हो तू भीतर आते समय, और शापित हो तू बाहर जाते समय।  व्यवस्थाविवरण 28:19

फिर जिस जिस काम में तू हाथ लगाए, उस में यहोवा तब तक तुझ को शाप देता, और भयातुर करता, और धमकी देता रहेगा, जब तक तू मिट न जाए, और शीघ्र नष्ट न हो जाए; यह इस कारण होगा कि तू यहोवा को त्यागकर दुष्ट काम करेगा।  व्यवस्थाविवरण 28:20

और यहोवा ऐसा करेगा कि मरी तुझ में फैलकर उस समय तक लगी रहेगी, जब तक जिस भूमि के अधिकारी होने के लिये तू जा रहा है उस से तेरा अन्त न हो जाए।  व्यवस्थाविवरण 28:21

यहोवा तुझ को क्षयरोग से, और ज्वर, और दाह, और बड़ी जलन से, और तलवार से, और झुलस, और गेरूई से मारेगा, और ये उस समय तक तेरा पीछा किये रहेंगे, तब तक तू सत्यानाश न हो जाए।  व्यवस्थाविवरण 28:22

यदि तू इन व्यवस्था के सारे वचनों के पालने में, जो इस पुस्तक में लिखें है, चौकसी करके उस आदरनीय और भययोग्य नाम का, जो यहोवा तेरे परमेश्वर का है भय न माने,  व्यवस्थाविवरण 28:58

तो यहोवा तुझ को और तेरे वंश को अनोखे अनोखे दण्ड देगा, वे दुष्ट और बहुत दिन रहने वाले रोग और भारी भारी दण्ड होंगे।  व्यवस्थाविवरण 28:59

और वह मिस्र के उन सब रोगों को फिर तेरे ऊपर लगा देगा, जिन से तू भय खाता था; और वे तुझ में लगे रहेंगे।  व्यवस्थाविवरण 28:60

Today verses

और जितने रोग आदि दण्ड इस व्यवस्था की पुस्तक में नहीं लिखे हैं, उन सभों को भी यहोवा तुझ को यहां तक लगा देगा, कि तू सत्यानाश हो जाएगा।  व्यवस्थाविवरण 28:61

इन वचनों से पता चलता है, कि ईश्वर की आज्ञा को ना मानने से ईश्वर की ओर से दंड मिलता है। ईश्वर की आज्ञा को ना मानने से अनोखे अनोखे दंड देने के बारे में लिखा है। वह दंड क्या है इस पुस्तक में लिखा नहीं गया है। उस प्रकार की दंड भी मिलने वाला है, अर्थात वह coronavirus भी हो सकता है।  ईश्वर लोगों को सुधारने के लिए पहले छोटे छोटे दंड भेजते हैं। परंतु लोग अगर इससे भी ना सुधरे तो ईश्वर 7 गुणा ज्यादा दंड भेजते हैं। ईश्वर की चार महा दंड के बारे में आपको पता होना चाहिए।  वह इस प्रकार है। क्योंकि प्रभु यहोवा यों कहता है, मैं यरूशलेम पर अपने चारों दण्ड पहुंचाऊंगा, अर्थात तलवार, अकाल, दुष्ट जन्तु और मरी, जिन से मनुष्य और पशु सब उस में से नाश हों।  यहेजकेल 14:21

ईश्वर का चार महा दंड जो तलवार, अकाल, जीव जंतु और महामारी के द्वारा देने वाले हैं वह प्रकाशित वाक्य में भी लिखा है। और मैं ने दृष्टि की, और देखो, एक पीला सा घोड़ा है; और उसके सवार का नाम मृत्यु है: और अधोलोक उसके पीछे पीछे है और उन्हें पृथ्वी की एक चौथाई पर यह अधिकार दिया गया, कि तलवार, और अकाल, और मरी, और पृथ्वी के वनपशुओं के द्वारा लोगों को मार डालें॥  प्रकाशित वाक्य 6:8 इससे पता चलता है, की ईश्वर की आज्ञा को ना मानने से भी वह महामारी भेजते हैं।

पांचवा कारण

मैं उन्हें मरी से मारूंगा, और उनके निज भाग से उन्हें निकाल दूंगा, और तुझ से एक जाति उपजाऊंगा जो उन से बड़ी और बलवन्त होगी।  गिनती 14:12

पांचवा कारण यह है, अगर कोई ईश्वर के विरोध में बोलना, ईश्वर पर अविश्वास करना और ईश्वर के विरोध में कूडकूड़ाने पर भी महामारी भेजते हैं।  गिनती पुस्तक का 14 वां अध्याय में देखने को मिलता है। ईश्वर जिस देश को देना चाहते थे, उस देश का भेद लेने के लिए जितने लोग गए थे, उनमें से यहोशू और कालिब को छोड़कर बाकी सब लोग मर गए। क्योंकि उन्होंने उस देश के ऊंचे कद काठी के लोगों को देखकर ईश्वर के सामर्थ पर अविश्वास किया और कहा ईश्वर ने हमें यहां मरने के लिए लाया है। ऐसा होता कि हम मिस्र में ही मर जाते हैं। इस प्रकार इसराइलीओं के सारी मंडली ईश्वर के खिलाफ बुड़बुड़ाने लगे। उनका बुड़बुड़ाना ईश्वर को अच्छा नहीं लगा। 11 तब यहोवा ने मूसा से कहा, वे लोग कब तक मेरा तिरस्कार करते रहेंगे? और मेरे सब आश्चर्यकर्म देखने पर भी कब तक मुझ पर विश्वास न करेंगे?  गिनती 14:11

फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा,  गिनती 14:26

यह बुरी मण्डली मुझ पर बुड़बुड़ाती रहती है, उसको मैं कब तक सहता रहूं? इस्त्राएली जो मुझ पर बुड़बुड़ाते रहते हैं, उनका यह बुड़बुड़ाना मैं ने तो सुना है।  गिनती 14:27

लोगों का अविश्वास और ईश्वर के खिलाफ बुड़बुड़ाने से भी महामारी आ सकता है। हम सच्चे मसिह लोग होने का तो दावा करते हैं। परंतु हम लोग बहुत बार ईश्वर पर अविश्वास करते हैं। हम लोग पाप के द्वारा उनकी परीक्षा बार बार करते हैं। इसलिए हमें सावधान रहना चाहिए।

छठवां कारण

खाने पीने के बारे में लोग बहुत बार बुड़बुड़ाते हैं। कर्म स्थल पर, घर में या तो बाहर में कहीं पर भी खाने के बारे में कहते हैं। खाना अच्छा नहीं है। खाना ठीक से नहीं मिल रहा है। सब्जी ढंग का नहीं बना, chicken, mutton स्वादिष्ट नहीं है। इस प्रकार की बातें होती रहती है। इसराइली लोग भी मांस खाने के लिए रोने और कहने लगे कि हमें मांस खाने कौन देगा।  मिस्र देश में स्वादिष्ट भोजन मिलता था। मांस, मछली और वहां के प्रत्येक खाने की चीजों को स्मरण करके ईश्वर के विरोध बोलने लगे थे। ईश्वर उन्हें मांस खाने को तो दे दिया। परंतु जितनो ने खाने के लिए लालच किया था, “मांस उनके मुंह ही में था, और वे उसे खाने न पाए थे, कि यहोवा का कोप उन पर भड़क उठा, और उसने उन को बहुत बड़ी मार से मारा।”  गिनती 11:33 इसका मतलब लालच से भी ईश्वर क्रोधित होते हैं। अत्याधिक लालच करना भी महामारी का कारण हो सकता है।

सातवां कारण

सेवक, भक्तजन,  pastor और ईश्वर के चुनें हुए लोगों को बहुत सारे देशों में सताया जा रहा है। उन पर अत्याचार करना, मारना, पीटना और झूठा इल्जाम लगाया जा रहा है। ईश्वर के सेवकों को सताने से भी ईश्वर के कोप भड़क उठता है, और वह महामारी भेजते हैं। आप गिनती अध्याय 16 पद संख्या एक से लेकर पचास तक पढ़ेंगे तो उसमें लिखा है की, कोरह जो लेवी का परपोता, कहात का पोता, और यिसहार का पुत्र था, वह एलीआब के पुत्र दातान और अबीराम, और पेलेत के पुत्र ओन, इन तीनों रूबेनियों से मिलकर मण्डली के अढ़ाई सौ प्रधान, जो सभासद और नामी थे, उन को संग लिया, और वे मूसा और हारून के विरुद्ध उठ खड़े हुए, और उन से कहने लगे, तुम ने बहुत किया, अब बस करो, क्योंकि सारी मण्डली का एक एक मनुष्य पवित्र है, और यहोवा उनके मध्य में रहता है; इसलिये तुम यहोवा की मण्डली में ऊंचे पद वाले क्यों बन बैठे हो?  उन लोगों का विरोध को देखकर ईश्वर का कोप भड़क उठता है। यहोवा मुसा से कहता है, उन लोगों के बीच से हट जाओ। मैं पल भर में उन्हें भस्म कर दूंगा। ईश्वर उन लोगों को जमीन में धंसा देता है। वह सब जिंदा जमीन के नीचे चले जाते हैं। बाकी के 250 लोगों को ईश्वर के तेज से, आग निकलकर भस्म कर देती है।

दूसरे दिन इस्त्राएलियों की सारी मण्डली यह कहकर मूसा और हारून पर बुड़बुड़ाने लगते हैं, कि यहोवा की प्रजा को तुम ने मार डाला है। और जब मण्डली के लोग मूसा और हारून के विरुद्ध इकट्ठे हो रहे थे, तब उन्होंने मिलापवाले तम्बू की ओर दृष्टि की, और देखा, कि बादल ने उसे छा लिया है, और यहोवा का तेज दिखाई दे रहा है। तब मूसा और हारून मिलापवाले तम्बू के साम्हने आए,  तब यहोवा ने मूसा और हारून से कहा, तुम उस मण्डली के लोगों के बीच से हट जाओ, कि मैं उन्हें पल भर में भस्म कर डालूं। तब वे मुंह के बल गिरे। और मूसा ने हारून से कहा, धूपदान को ले कर उस में वेदी पर से आग रखकर उस पर धूप डाल, मण्डली के पास फुरती से जा कर उसके लिये प्रायश्चित्त कर, क्योंकि यहोवा का कोप अत्यन्त भड़का है, और मरी फैलने लगी है। मूसा की आज्ञा के अनुसार हारून धूपदान ले कर मण्डली के बीच में दौड़ा गया, और यह देखकर कि लोगों में मरी फैलने लगी है, उसने धूप जलाकर लोगों के लिये प्रायश्चित्त किया। और वह मुर्दों और जीवित के मध्य में खड़ा हुआ, तब मरी थम गई। और जो कोरह के संग भागी हो कर मर गए थे, उन्हें छोड़ जो लोग इस मरी से मर गए वे चौदह हजार सात सौ थे। तब हारून मिलापवाले तम्बू के द्वार पर मूसा के पास लौट गया, और मरी थम गई। इसलिए ईश्वर के सेवक लोगों को सताने से बचना चाहिए। क्योंकि सेवक लोगों को सताने से ईश्वर महामारी भेजते हैं।

Pray

सारी सृष्टि के मालिक हे खुदाबंद आपके चरणों में हम आते हैं पिता। सारे संसार में जितने भी व्यक्ति हैं, सभी लोगों के पापों को क्षमा कर दीजिए पिता और आपका क्रोधाग्नि को शांत कीजिए, आपके वचनों को पढ़ने से यह पता चलता है कि, लोगों के पापों के चलते आपका क्रोध भड़क उठा है। इसके फलस्वरूप coronavirus महामारी दुनिया के लोगों के सामने फैल चुका है। परंतु आप चाहते हैं कि, अगर लोग सच्चे मन से पश्चाताप करके अपना पापमय जीवन को त्याग कर दे, और एक नए जीवन शुरुआत करें, तो आप लोगों को बचाने में विश्वास योग्य हैं। सर्वशक्तिमान सर्वोच्च ईश्वर हम आपके सामने एक बच्चे ही हैं, इसलिए हमें और यह संसार के लोगों को नादान बच्चे समझ कर सारे पापों को क्षमा कर दीजिए। करुणामई दयालु पिता अगर आप क्षमा नहीं करेंगे तो आपका क्रोध से कौन बच सकता है। आपका दंड से कौन बच सकता है। ना जमी में, ना आसमां में, ना पाताल में ऐसा कोई नहीं है जो आप ठान लिया उसे रोक सके। इसलिए पिता मेरी यह दुआ को सुनकर coronavirus महामारी को रोक दीजिए। आपका महिमा, सामर्थ और राज्य अनंत काल तक होते रहे। आमीन।

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