1 कुरिन्थियों अध्याय 1:1-31 biblevachan.com

1 कुरिन्थियों अध्याय 1:1-31

1 कुरिन्थियों अध्याय 1:1-31 ¹ पौलुस की ओर से जो परमेश्वर की इच्छा से यीशु मसीह का प्रेरित होने के लिये बुलाया गया और भाई सोस्थिनेस की ओर से।

² परमेश्वर की उस कलीसिया के नामि जो कुरिन्थुस में है; अर्थात उन के नाम जो मसीह यीशु में पवित्र किए गए; और पवित्र होने के लिये बुलाए गए हैं; और उन सब के नाम भी जो हर जगह हमारे और अपने प्रभु यीशु मसीह के नाम की प्रार्थना करते हैं।

³ हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे॥

यीशु के द्वारा आशिर्वाद। 1 कुरिन्थियों अध्याय 1:1-31

⁴ मैं तुम्हारे विषय में अपने परमेश्वर का धन्यवाद सदा करता हूं; इसलिये कि परमेश्वर का यह अनुग्रह तुम पर मसीह यीशु में हुआ।

⁵ कि उस में होकर तुम हर बात में अर्थात सारे वचन और सारे ज्ञान में धनी किए गए।

⁶ कि मसीह की गवाही तुम में पक्की निकली।

⁷ यहां तक कि किसी वरदान में तुम्हें घटी नहीं; और तुम हमारे प्रभु यीशु मसीह के प्रगट होने की बाट जोहते रहते हो।

⁸ वह तुम्हें अन्त तक दृढ़ भी करेगा; कि तुम हमारे प्रभु यीशु मसीह के दिन में निर्दोष ठहरो।

⁹ परमेश्वर सच्चा है; जिस ने तुम को अपने पुत्र हमारे प्रभु यीशु मसीह की संगति में बुलाया है॥

कलिसिया का बंटवारा। 1 कुरिन्थियों अध्याय 1:1-31

¹⁰ हे भाइयो; मैं तुम से यीशु मसीह जो हमारा प्रभु है; उसके नाम के द्वारा बिनती करता हूं; कि तुम सब एक ही बात कहो; और तुम में फूट न हो; परन्तु एक ही मन और एक ही मत होकर मिले रहो।

¹¹ क्योंकि हे मेरे भाइयों; खलोए के घराने के लोगों ने मुझे तुम्हारे विषय में बताया है; कि तुम में झगड़े हो रहे हैं।

¹² मेरा कहना यह है; कि तुम में से कोई तो अपने आप को पौलुस का; अपुल्लोस का; कोई कैफा का; कोई मसीह का कहता है।

¹³ क्या मसीह बँट गया? क्या पौलुस तुम्हारे लिये क्रूस पर चढ़ाया गया? या तुम्हें पौलुस के नाम पर बपतिस्मा मिला?¹⁴ मैं परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं; कि क्रिस्पुस और गयुस को छोड़; मैं ने तुम में से किसी को भी बपतिस्मा नहीं दिया।

¹⁵ कहीं ऐसा न हो; कि कोई कहे; कि तुम्हें मेरे नाम पर बपतिस्मा मिला।

¹⁶ और मैं ने स्तिफनास के घराने को भी बपतिस्मा दिया; इन को छोड़; मैं नहीं जानता कि मैं ने और किसी को बपतिस्मा दिया।

¹⁷ क्योंकि मसीह ने मुझे बपतिस्मा देने को नहीं; वरन सुसमाचार सुनाने को भेजा है; और यह भी शब्दों के ज्ञान के अनुसार नहीं; ऐसा न हो कि मसीह का क्रूस व्यर्थ ठहरे।

ईश्वर की शक्ति और ज्ञान का आधार—यीशु

¹⁸ क्योंकि क्रूस की कथा नाश होने वालों के निकट मूर्खता है; परन्तु हम उद्धार पाने वालों के निकट परमेश्वर की सामर्थ है।

¹⁹ क्योंकि लिखा है; कि मैं ज्ञानवानों के ज्ञान को नाश करूंगा, और समझदारों की समझ को तुच्छ कर दूंगा।

²⁰ कहां रहा ज्ञानवान? कहां रहा शास्त्री? कहां इस संसार का विवादी? क्या परमेश्वर ने संसार के ज्ञान को मूर्खता नहीं ठहराया?

²¹ क्योंकि जब परमेश्वर के ज्ञान के अनुसार संसार ने ज्ञान से परमेश्वर को न जाना तो परमेश्वर को यह अच्छा लगा, कि इस प्रचार की मूर्खता के द्वारा विश्वास करने वालों को उद्धार दे।

²² यहूदी तो चिन्ह चाहते हैं; और यूनानी ज्ञान की खोज में हैं।²³ परन्तु हम तो उस क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह का प्रचार करते हैं; जो यहूदियों के निकट ठोकर का कारण, और अन्यजातियों के निकट मूर्खता है।

²⁴ परन्तु जो बुलाए हुए हैं; क्या यहूदी, क्या यूनानी, उन के निकट मसीह परमेश्वर की सामर्थ; और परमेश्वर का ज्ञान है।

²⁵ क्योंकि परमेश्वर की मूर्खता मनुष्यों के ज्ञान से ज्ञानवान है; और परमेश्वर की निर्बलता मनुष्यों के बल से बहुत बलवान है॥

²⁶ हे भाइयो; अपने बुलाए जाने को तो सोचो; कि न शरीर के अनुसार बहुत ज्ञानवान; और न बहुत सामर्थी; और न बहुत कुलीन बुलाए गए।

²⁷ परन्तु परमेश्वर ने जगत के मूर्खों को चुन लिया है; कि ज्ञान वालों को लज्ज़ित करे; और परमेश्वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया है; कि बलवानों को लज्ज़ित करे।²⁸ और परमेश्वर ने जगत के नीचों और तुच्छों को; वरन जो हैं; भी नहीं उन को भी चुन लिया; कि उन्हें जो हैं; व्यर्थ ठहराए।

घमंड ना करें।

²⁹ ताकि कोई प्राणी परमेश्वर के साम्हने घमण्ड न करने पाए।³⁰ परन्तु उसी की ओर से तुम मसीह यीशु में हो; जो परमेश्वर की ओर से हमारे लिये ज्ञान ठहरा अर्थात धर्म; और पवित्रता; और छुटकारा।

³¹ ताकि जैसा लिखा है; वैसा ही हो; कि जो घमण्ड करे वह प्रभु में घमण्ड करे॥

1 कुरिन्थियों अध्याय 1:1-31
1 कुरिन्थियों अध्याय 1:1-31

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यशायाह 5:1-7

¹ अब मैं अपने प्रिय के लिये और उसकी दाख की बारी के विषय में गीत गाऊंगा: एक अति उपजाऊ टीले पर मेरे प्रिय की एक दाख की बरी थी।² उसने उसकी मिट्टी खोदी और उसके पत्थर बीनकर उस में उत्तम जाति की एक दाखलता लगाई; उसके बीच में उसने एक गुम्मट बनाया, और दाखरस के लिये एक कुण्ड भी खोदा; तब उसने दाख की आशा की, परन्तु उस में निकम्मी दाखें ही लगीं॥³ अब हे यरूशलेम के निवासियों और हे यहूदा के मनुष्यों, मेरे और मेरी दाख की बारी के बीच न्याय करो।

⁴ मेरी दाख की बारी के लिये और क्या करना रह गया जो मैं ने उसके लिये न किया हो? फिर क्या कारण है कि जब मैं ने दाख की आशा की तब उस में निकम्मी दाखें लगीं?⁵ अब मैं तुम को जताता हूं कि अपनी दाख की बारी से क्या करूंगा। मैं उसके कांटे वाले बाड़े को उखाड़ दूंगा कि वह चट की जाए, और उसकी भीत को ढा दूंगा कि वह रौंदी जाए।

⁶ मैं उसे उजाड़ दूंगा; वह न तो फिर छांटी और न खोदी जाएगी और उस में भांति भांति के कटीले पेड़ उगेंगे; मैं मेघों को भी आज्ञा दूंगा कि उस पर जल न बरसाएं॥⁷ क्योंकि सेनाओं के यहोवा की दाख की बारी इस्राएल का घराना, और उसका मनभाऊ पौधा यहूदा के लोग है; और उसने उन में न्याय की आशा की परन्तु अन्याय देख पड़ा; उसने धर्म की आशा की, परन्तु उसे चिल्लाहट ही सुन पड़ी!

फिलिप्पियों 4:6-9

⁶ किसी भी बात की चिन्ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं।⁷ तब परमेश्वर की शान्ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी॥

⁸ निदान, हे भाइयों, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सदगुण और प्रशंसा की बातें हैं, उन्हीं पर ध्यान लगाया करो।⁹ जो बातें तुम ने मुझ से सीखीं, और ग्रहण की, और सुनी, और मुझ में देखीं, उन्हीं का पालन किया करो, तब परमेश्वर जो शान्ति का सोता है तुम्हारे साथ रहेगा॥

मत्ती 21:33-43

³³ एक और दृष्टान्त सुनो: एक गृहस्थ था, जिस ने दाख की बारी लगाई; और उसके चारों ओर बाड़ा बान्धा; और उस में रस का कुंड खोदा; एवं गुम्मट बनाया; फिर किसानों को उसका ठेका देकर पर देश चला गया।³⁴ जब फल का समय निकट आया, तो उस ने अपने दासों को उसका फल लेने के लिये किसानों के पास भेजा।³⁵ पर किसानों ने उसके दासों को पकड़ के, किसी को पीटा, और किसी को मार डाला; और किसी को पत्थरवाह किया।³⁶ फिर उस ने और दासों को भेजा, जो पहिलों से अधिक थे; और उन्होंने उन से भी वैसा ही किया।³⁷ अन्त में उस ने अपने पुत्र को उन के पास यह कहकर भेजा, कि वे मेरे पुत्र का आदर करेंगे।

³⁸ परन्तु किसानों ने पुत्र को देखकर आपस में कहा, यह तो वारिस है, आओ, उसे मार डालें: और उस की मीरास ले लें।³⁹ और उन्होंने उसे पकड़ा और दाख की बारी से बाहर निकालकर मार डाला।⁴⁰ इसलिये जब दाख की बारी का स्वामी आएगा, तो उन किसानों के साथ क्या करेगा?⁴¹ उन्होंने उस से कहा, वह उन बुरे लोगों को बुरी रीति से नाश करेगा; और दाख की बारी का ठेका और किसानों को देगा, जो समय पर उसे फल दिया करेंगे।

⁴² यीशु ने उन से कहा, क्या तुम ने कभी पवित्र शास्त्र में यह नहीं पढ़ा, कि जिस पत्थर को राजमिस्त्रियों ने निकम्मा ठहराया था, वही को ने के सिरे का पत्थर हो गया?⁴³ यह प्रभु की ओर से हुआ, और हमारे देखने में अद्भुत है, इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि परमेश्वर का राज्य तुम से ले लिया जाएगा; और ऐसी जाति को जो उसका फल लाए, दिया जाएगा।

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