परमेश्वर ने लोगों को एक ऐसी बुद्धि और दिमाग से बनाया है, जो तर्क करने और महत्वपूर्ण निर्णय लेने में सक्षम है। मेरे विचार से बुद्धि लोगों के कार्यों को प्रभावित करती है। फिर बुद्धि से लि गई विचार लोगों के जीवन को को प्रभावित करती रहती है। यदि कोई माँगे, तो परमेश्वर उसका मार्गदर्शन करने का वादा करता है, और लोगों को हर चुनौतियों का सामना करने के लिए, ज्ञान भी देता है।
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परमेश्वर से बुद्धि मांगे
जब कोई परमेश्वर से बुद्धि मांगता है, तो उसे वह प्रदान करता है। देखिए बुद्धिमान बनने के लिए लोग अपने बच्चों को फूल भेजा करते हैं। सुबह शाम ट्यूशन किया करते हैं। तरह-तरह की किताबों से ज्ञान भी देते हैं। पर बुद्धि तो ऊपर वाला की देन है। अर्थात यदि परमेश्वर नहीं चाहे तो कोई कैसे बुद्धिमान बन सकता है। पर परमेश्वर लोगों के बुद्धि प्राप्ति के लिए एक विकल्प रखे हैं, और उसे आप वचन के माध्यम से जान सकते हैं। क्योंकि याकूब 1:5 की वचन इस प्रकार कहता है,“पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है; और उस को दी जाएगी।”
इसलिए लोगों को प्रार्थनाओं में परमेश्वर से बुद्धि मांगने की जरूरत है। क्योंकि यदि किसी के पास संसार के सभी चीजें है, पर बुद्धि नहीं है। तो आप समझ सकते हैं न उनको सम्मान मिलना भी मुश्किल होता है। जरा सोचिए यदि किसी के पास बुद्धि है, पर धन नहीं है। तो वह अपने बुद्धि के बल से धन भी अर्जित कर सकता है। परंतु यदि किसी की अत्यधिक धन होने पर भी यदि बुद्धि नहीं है, तो धन गंवाने में भी देर नहीं लगेगी।
इसलिए ऐसा काम करें जिससे परमेश्वर को प्रसन्नता मिले। अर्थात खुद को पाप से हमेशा अलग रखने की प्रयत्न करते रहें। क्योंकि परमेश्वर उन्हें ज्ञान देते हैं, जो प्रभु को प्रसन्न करते हैं।
क्योंकि सभोपदेशक 2:26 की वचन कहता है,“जो मनुष्य परमेश्वर की दृष्टि में अच्छा है, उसको वह बुद्धि और ज्ञान और आनन्द देता है; परन्तु पापी को वह दु:खभरा काम ही देता है कि वह उसका देने के लिये संचय कर के ढेर लगाए जो परमेश्वर की दृष्टि में अच्छा हो। यह भी व्यर्थ और वायु को पकड़ना है।”
अर्थात यदि किसी को बुद्धि की आवश्यकता है, तो उसे परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप जीवन जीना है। अन्यथा यह जानना भी आवश्यक है, कि पापी को परमेश्वर दुख भरा काम देता है। इसलिए ऐसा काम करने की प्रयत्न करते रहें, जो परमेश्वर लोगों से आशा रखता है।
क्योंकि 2 इतिहास 1:11-12 की वचन में इस प्रकार लिखा है, परमेश्वर ने सुलैमान से कहा, तेरी जो ऐसी ही मनसा हुई, अर्थात तू ने न तो धन सम्पत्ति मांगी है, न ऐश्वर्य और न अपने बैरियों का प्राण और न अपनी दीर्घायु मांगी, केवल बुद्धि और ज्ञान का वर मांगा है, जिस से तू मेरी प्रजा का जिसके ऊपर मैं ने तुझे राजा नियुक्त किया है, न्याय कर सके, इस कारण बुद्धि और ज्ञान तुझे दिया जाता है। और मैं तुझे इतना धन सम्पत्ति और ऐश्वर्य दूंगा, जितना न तो तुझ से पहिले किसी राजा को, मिला और न तेरे बाद किसी राजा को मिलेगा।
देखिए आजकल लोग सबसे पहले परमेश्वर से जीवन में प्रतिष्ठा, खुशहाल जिंदगी, धन दौलत, तथा दीर्घायु जैसे चीजों को मांगते हैं। परंतु परमेश्वर यह चाहते हैं, कि लोग सुलैमान की तरह बुद्धि तथा महिमा करने के लिए ज्ञान मांगा करें। और मैं आपको यह उम्मीद दिलाता हूं, यदि आप सुलैमान की तरह मांगते हैं। तो आपको निश्चित रूप से उस चीजें भी परमेश्वर देंगे, जिसे आप नहीं मांगे होंगे।
परमेश्वर की बुद्धि का सामना करना मुश्किल है
एक बात यह भी जान लें कि परमेश्वर ऐसा भी बुद्धि देता है, जिस को मात देना किसी विरोधियों के लिए मुश्किल ही नहीं! बल्कि नामुमकिन भी है। यह लूका 21:15 की वचन में इस प्रकार लिखा है,“क्योंकि मैं तुम्हें ऐसा बोल और बुद्धि दूंगा, कि तुम्हारे सब विरोधी साम्हना या खण्डन न कर सकेंगे।”
अर्थात यदि किसी को परमेश्वर बुद्धिमान बनाता है, तो उसके बोली वचन और बुद्धि के आगे किसी दुश्मन की भी नहीं चलने वाली है। पर लोगों को घमंड नहीं करना चाहिए कि मैं बुद्धिमान व्यक्ति हूं। और एक बात अपनी बुद्धि का इस्तेमाल गलत काम करने के लिए न करें। क्योंकि परमेश्वर बुद्धि देना और लेना भी जानता है। इसलिए परमेश्वर की दी हुई बुद्धि का इस्तेमाल सच्चाई और धार्मिकता के कामों के लिए करें।
इसलिए लोगों को प्रार्थनाओं में क्या मांगना चाहिए? यही ना कि बुद्धि मांगना चाहिए। पर सिर्फ अपने लिए नहीं! बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरित पौलुस की तरह बुद्धि के लिए प्रार्थना करना चाहिए।
क्योंकि कुलुस्सियों 1:9 की वचन में इस प्रकार लिखा है,“इसी लिये जिस दिन से यह सुना है, हम भी तुम्हारे लिये यह प्रार्थना करने और बिनती करने से नहीं चूकते कि तुम सारे आत्मिक ज्ञान और समझ सहित परमेश्वर की इच्छा की पहिचान में परिपूर्ण हो जाओ।”
इसलिए यह समझने की जरूरत है, कि परमेश्वर लोगों को बुद्धि भी देते हैं।क्योंकि नीतिवचन 2:5-7 की वचन में इस प्रकार लिखा है, कि तो तू यहोवा के भय को समझेगा, और परमेश्वर का ज्ञान तुझे प्राप्त होगा। क्योंकि बुद्धि यहोवा ही देता है; ज्ञान और समझ की बातें उसी के मुंह से निकलती हैं। वह सीधे लोगों के लिये खरी बुद्धि रख छोड़ता है; जो खराई से चलते हैं, उनके लिये वह ढाल ठहरता है।
यहां पर समझने वाली बात यह है, कि परमेश्वर को डरने वाले लोग कभी भी पाप नहीं करेंगे। और जो लोग पाप नहीं करते हैं, उनको परमेश्वर बुद्धि, ज्ञान और सुरक्षा देते हैं। जैसे कि 1 राजा 4:29 की वचन सुलैमान के बारे में यह कहता है,“और परमेश्वर ने सुलैमान को बुद्धि दी, और उसकी समझ बहुत ही बढ़ाई, और उसके हृदय में समुद्र तट की बालू के किनकों के तुल्य अनगिनित गुण दिए।”
निष्क्रर्ष
इसलिए हम अन्त में लोगों से यही कहेंगे, कि सबसे पहले पाप को छोड़े और परमेश्वर को पकड़े, तथा सच्चाई और अच्छाई से जीवन जीते रहें। तब आपको परमेश्वर बुद्धि से परिपूर्ण करेंगे। मैं उम्मीद करता हूं कि आज का वचन आपको अच्छी तरह से समझ में आ गया होगा। धन्यवाद।।
आज की प्रार्थना
सर्वोच्च और सर्वशक्तिमान परमेश्वर आपके पास बुद्धि और ज्ञान की कमी नहीं है। पर मुझको बुद्धि और ज्ञान की कमी है। जरा स्मरण कीजिए, आपने कितनी बुद्धिमानी से सारी सृष्टि को बनाया है। क्योंकि न तो किसी ने आपको सुझाव दिया है, और न ही किसी ने आपसे बुद्धिमानी की बात कही है। फिर भी आपने सृष्टि के हर चीजों को बखूबी से बनाया है। दयालु और करुणामय पिता परमेश्वर मुझे भी आपकी जैसी बुद्धि की जरूरत है। हे कृपालु परमेश्वर, आप की महिमा करने के लिए, कृपया मेरी प्रार्थनाओं को विनम्रता पूर्वक सुनने की कृपा कीजिए। आपके पुत्र यीशु के नाम से मांगता हूं। आमीन।।