आज का बाइबल अध्ययन की विषय जीवित रहने का उपाय के बारे में है। दोस्तों आपको सुनने में थोड़ा अजीब लग रहा होगा। पर दोस्तों जरा माफ करना क्योंकि लोगों को अच्छी तरह से समझाने के लिए, इस प्रकार की टाइटल देना जरूरी था। क्योंकि आज का बाइबल अध्ययन की वचन भी मनुष्य की जीवन और मृत्यु के बारे में ही केंद्रीत है। मैं यह आशा करता हूं, कि आज का वचन के माध्यम से बहुतों के जीवन में परिवर्तन आ सकती है।
देखिए इस संसार में कोई भी ऐसा मनुष्य नहीं है, जो कि बेवजह ही मरना चाहेगा। क्योंकि लोग अपने जीवन से बहुत प्यार करते हैं। इसलिए लोग अपने जीवन को बीमारी से, संकट से, समस्याओं से और तरह तरह के आपदाओं से सुरक्षित रखने के लिए, कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। सीधी सी बात कहें तो सबको अपना जीवन बहुत प्यारा लगता है। क्योंकि लोग मरना नहीं! बल्कि जीवित रहने की चाहत रखते हैं।
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जीवित रहने की जानकारी
पर दोस्तों, यदि आप आज का वचन को अच्छी तरह से समझ जाएंगे, तो आपको जीवित रहने का उपाय जरूर मिल जाएगा। यदि आप इसके बारे में जानना चाहते हैं तो वचन को अंत तक जरूर पढ़ने की कृपा करें। तो चलिए वचन की ओर आगे बढ़ते हैं।
दोस्तों यह तो सबको पता है, कि इस धरती पर जिसने भी जन्म हुआ है उसे मरना निश्चित है। चाहे वह धर्मी हो या पापी, उच्च हो या नीच, धनी हो या दरिद्र, मूर्ख हो या पंडीत, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। पर फर्क इस बात से पड़ सकता है, कि यदि आप परमेश्वर का वचन को अच्छी तरह से नहीं जानते हैं। दोस्तों यदि आप वचन को जानते भी होंगे, पर सही से उसका अर्थ समझ नहीं पाए होंगे, तो मैं आपको यह विश्वास दिलाता हूं, की आज इसे पढ़ कर आपके जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन होने वाला है।
देखिए इस संसार में दो तरह के लोग निवास करते हैं। पहला धर्मी लोग! जो की सच्चाई और ईमानदारी से जीवन जीते हैं। दूसरा पापी लोग! और उन्हें इसलिए, पापी कहा जाता है, क्योंकि पापी लोगों का सोच, कर्म और मन की अभिलाषा भी पाप पर आधारित रहता है। खैर रोमियो 3:23 कहता है कि सबने पाप किया है।
पर जीवित रहने का उपाय के बारे में जानने के लिए आज का वचन को पढ़ लेते हैं। क्योंकि धर्मी हो या पापी हो, इस वचन को जानना सब के लिए, बेहद जरूरी है। यहेजकेल 33:10 की वचन कहता है, “फिर हे मनुष्य के सन्तान, इस्राएल के घराने से यह कह, तुम लोग कहते हो, हमारे अपराधों और पापों का भार हमारे ऊपर लदा हुआ है और हम उसके कारण गलते जाते हैं; हम कैसे जीवित रहें?”
देखिए इस वचन में एक बात स्पष्ट रूप से पता चलता है, की लोगों को उनका, अपराधों और पापों का भार जीवित रहने नहीं देना चाहती है। क्योंकि अपराधों और पापों का भार की वजह से लोगों का शरीर गलने लगता है। देखिए दिन भर लोग 8: से 10 घंटे काम करने के पश्चात परिश्रम का भार को उतारते हैं, अर्थात विश्राम ले लेते हैं। पर लोगों के अपराधों और पापों का भार तो दिखाई नहीं देता है, इसलिए, इसका बोझ को कैसे उतारेंगे।
क्योंकि पाप का भार को स्वयं मनुष्य नहीं उतार सकता है। पर यदि कोई पाप का भार सांसारिक अभिलाषाओं का बोझ, विभिन्न प्रकार के अपराधों का बोझ उतारना चाहता है, तो प्रभु यीशु के शरण में जाने की जरूरत है। क्योंकि मत्ती 11:28 की वचन कहता है, “हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा।”
फिर यहेजकेल 33:11 की वचन के अनुसार परमेश्वर इस्राएलीओं को यह कहने के लिए कहते हैं। “सो तू ने उन से यह कह, परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, मैं दुष्ट के मरने से कुछ भी प्रसन्न नहीं होता, परन्तु इस से कि दुष्ट अपने मार्ग से फिर कर जीवित रहे; हे इस्राएल के घराने, तुम अपने अपने बुरे मार्ग से फिर जाओ; तुम क्यों मरो?”
परमेश्वर कितना दयालु है, यह इस वचन से पता चलता है, क्योंकि उसने अपने ही सौगन्ध खाकर लोगों को विश्वास दिलाने की कोशिश कर रहे हैं, की कोई भी दुष्ट या पापी की मृत्यु से उन्हें प्रसन्नता नहीं मिलती है। अर्थात परमेश्वर कभी नहीं चाहता है, कि दुष्ट की मृत्यु हो। लोग अपने बात को सत्य प्रमाणित करने के लिए, अपने सर की कसम, परमेश्वर की कसम, या बहुत सारे चीजों का कसम खा लेते हैं। पर परमेश्वर से बड़ा और कोई नहीं है, इसलिए उन्होंने अपने जीवन की ही सौगंध खाकर बात को सत्य प्रमाणित करते हैं।
क्योंकि परमेश्वर यह कहना चाहते हैं, कि यदि कोई जीवित रहना चाहता है, तो दुष्टता छोड़कर सुधर जाए, पाप और बुराई करना छोड़कर सच्चाई के मार्ग की ओर लौट आए। तो वह जीवित रह सकता है। हे प्रभु के लोगों, मसीह के पवित्र जनों परमेश्वर आपसे यह कहना चाहता है, कि आप भी पाप को छोड़ दें, और जीवित रहें।
जीवित रहने की ज्ञान का वचन
हे प्रभु के लोग, यदि आप जीवित रहना चाहते हैं, तो यहेजकेल 33:12 की वचन को जरा ध्यान से सुनिए, क्योंकि परमेश्वर यह कहता है, “और हे मनुष्य के सन्तान, अपने लोगों से यह कह, जब धमीं जन अपराध करे तब उसका धर्म उसे बचा न सकेगा; और दुष्ट की दुष्टता भी जो हो, जब वह उस से फिर जाए, तो उसके कारण वह न गिरेगा; और धमीं जन जब वह पाप करे, तब अपने धर्म के कारण जीवित न रहेगा।”
देखिए मनुष्य को जीवित रहने के लिए परमेश्वर का यह दो बड़ी बात हमेशा याद रखना चाहिए। पहला धर्मी जन का अपराध और दूसरा दुष्ट की परिवर्तन। देखिए परमेश्वर यहां पर यह बताने की कोशिश कर रहे हैं, कि यदि कोई धार्मिक व्यक्ति, जो की सच्चाई और ईमानदारी के मार्ग पर चलते हुए जीवन जीता है, यदि वह पाप और अपराध करता है, तो उसका पहले की धार्मिक जीवन, उसे नहीं बचा पाएगा।
अर्थात यदि धार्मिक व्यक्ति पाप करता है, तो वह जीवित नहीं रहेगा। क्योंकि यहेजकेल 18:24 की वचन कहता है, “परन्तु जब धमीं अपने धर्म से फिरकर टेढ़े काम, वरन दुष्ट के सब घृणित कामों के अनुसार करने लगे, तो क्या वह जीवित रहेगा? जितने धर्म के काम उसने किए हों, उन में से किसी का स्मरण न किया जाएगा। जो विश्वासघात और पाप उसने किया हो, उसके कारण वह मर जाएगा।”
फिर यहेजकेल 18:26 की वचन भी यह कहता है,कि “जब धमीं अपने धर्म से फिर कर, टेढ़े काम करने लगे, तो वह उनके कारण मरेगा, अर्थात वह अपने टेढ़े काम ही के कारण मर जाएगा।” यहां पर धर्मियों को परमेश्वर का स्पष्ट संदेश है, की यदि वे जीवित रहना चाहते हैं, तो सिर्फ धार्मिकता के मार्ग पर ही चलते रहना होगा। क्योंकि परमेश्वर को धर्मियों का पाप करना कतई मंजूर नहीं है।
पर इसके विपरीत कोई दुष्ट व्यक्ति यदि अपनी दुष्टता छोड़कर सच्चाई और अच्छाई के मार्ग पर चलने लगता है, तो वह वचन के अनुसार डेफिनेटली जीवित रहेगा। क्योंकि यहेजकेल 18:21 की वचन में इस प्रकार लिखा है, “परन्तु यदि दुष्ट जन अपने सब पापों से फिर कर, मेरी सब विधियों का पालन करे और न्याय और धर्म के काम करे, तो वह न मरेगा; वरन जीवित ही रहेगा।”
देखिए परमेश्वर यह चाहते हैं, कि लोग हमेशा सच्चाई के रास्ते पर चलकर जीवन जीते रहें। इसलिए वह दुष्टों को भी यह अवसर देते हैं, कि वे पापों को छोड़कर परमेश्वर की आज्ञाओं को मानते हुए भक्ति, न्याय, प्रेम, तथा सच्चाई और इमानदारी से जीवन जिए, जिससे वह जीवित रह पाएगा।
इसलिए यहेजकेल 18:22 की वचन में परमेश्वर यह कहते हैं,“उसने जितने अपराध किए हों, उन में से किसी का स्मरण उसके विरुद्ध न किया जाएगा; जो धर्म का काम उसने किया हो, उसके कारण वह जीवित रहेगा।” वाह बहुत बढ़िया,इसे सुनकर दिल को सुकून मिल गया। क्योंकि परमेश्वर ने दुष्टों के लिए बहुत बड़ी बात कह दी है। अर्थात यदि वे अपने किए हुए, कुकर्म और पाप से फिरते हैं, तो उनका अधर्म को स्मरण न किया जाएगा।
फिर यहेजकेल 18:27-28 की वचन में इस प्रकार लिखा है, फिर जब दुष्ट अपने दुष्ट कामों से फिर कर, न्याय और धर्म के काम करने लगे, तो वह अपना प्राण बचाएगा। वह जो सोच विचार कर अपने सब अपराधों से फिरा, इस कारण न मरेगा, जीवित ही रहेगा। तो दोस्तों यदि आप भी किसी प्रकार के पाप और गुनाह में लिप्त हैं, तो आपके लिए समय है, कि पश्चाताप करते हुए परमेश्वर के मार्ग में लौट जाएं। क्योंकि इसी में ही आपकी भलाई है।
क्योंकि यहेजकेल 33:13 की वचन भी यह कहता है, कि “यदि मैं धमीं से कहूं कि तू निश्चय जीवित रहेगा, और वह अपने धर्म पर भरोसा कर के कुटिल काम करने लगे, तब उसके धर्म के कामों में से किसी का स्मरण न किया जाएगा; जो कुटिल काम उसने किए हों वह उन्ही में फंसा हुआ मरेगा।”
क्योंकि जो लोग बुद्धिमान हैं, वे समय से पहले या अकाल मृत्यु से मरना नहीं चाहेंगे। देखिए उत्पत्ति 2:16-17 की वचन में परमेश्वर ने आदम को कहा था, कि अदन वाटिका के सभी वृक्षों का फल खा सकते हो। पर भले या बुरे के ज्ञान के बृक्ष का फल न खाना, और जिस दिन उस वृक्ष का फल खाओगे अवश्य तुम मर जाओगे।
यहां आपको मैं एक बात बता देना चाहता हूं, कि आप लोग बुद्धिमान होने के नाते जरा अपनी दिमाग लगा कर सोच सकते हैं, कि शायद उस समय आदम को यह नहीं पता होगा, की जीवन और मृत्यु क्या होती है। अन्यथा उसने परमेश्वर की आज्ञाओं को नहीं टाला होता। पर अब के लोग तो ज्यादा बुद्धिमान हैं।
इसलिए परमेश्वर का कहा हुआ वचन को अच्छी तरह से समझ सकते हैं। क्योंकि जिस परमेश्वर ने आदम और हव्वा को भले या बुरे के ज्ञान के बृक्ष का फल खाने से मना किया था। उसी परमेश्वर ने आज धर्मी और पापी दोनों तरह के लोगों को, अर्थात आपको, मुझको और सबको जीवित रहने के लिए, आज्ञाओं को मानकर चलने की आदेश दे रहा है।
निष्कर्ष
दोस्तों अन्त में मैं यही कहना चाहूंगा कि, यदि आप धर्मी व्यक्ति हैं, तो सदैव सच्चाई और ईमानदारी से जीवन जीते रहें। क्योंकि यदि आप अपनी धार्मिकता पर घमंड करके पाप करते हैं, तो विनाश को ही आमन्त्रित करते हैं। इसलिए धर्मीयों को जीवित रहने के लिए, सच्चाई के मार्ग पर हमेशा चलते रहना जरूरी है।
फिर जो लोग दुष्टता से जीवन जी रहे हैं, यदि वे जीवित रहना चाहते हैं, तो उनको अपने किए हुए, पाप से सम्पूर्ण मन से फिर कर परमेश्वर की आज्ञाओं के अनुसार सच्चाई और ईमानदारी से जीवन जीना होगा। अन्यथा आदम की तरह आप भी परमेश्वर के सम्मुख से, हमेशा हमेशा के लिए, बाहर हो सकते हैं। दोस्तों मैं उम्मीद करता हूं, कि आज आपको जीवित रहने का उपाय मिल गया होगा। धन्यवाद।।
Bhut acha hai parbhu ka pavitar vachan
Thanks! Prabhu hamesha aap ke rahe.