यीशु मसीह कौन हैं? Who is Jesus in hindi 1 simple question in bible

यीशु मसीह कौन हैं? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें कुछ बातों को गौर करना होगा। क्योंकि जब भी संसार में किसी बच्चे की जन्म होती है; तब उस बच्चे का नाम उसके माता-पिता के साथ जुड़ जाता है। अर्थात बच्चा कौन है; यह जानने के लिए सबसे पहले यह लोग पुछते हैं; की उसका माता-पिता कौन हैं? पर ऐसा क्युं होता है? ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि एक माता-पिता के अच्छे या बुरे गुण से ही किसी बच्चे के बारे में आसानी से जानकारी मिल जाती है। दोस्तों यह तो आम इन्सानों की बात है।

परन्तु आज हम बाइबल के वचन अनुसार जानेंगे; की प्रभु यीशु कौन हैं? Who is Jesus? आप लोगों ने उपर पढ़ भी लिया होगा; कि माता-पिता के अच्छे या बुरे गुण से ही बच्चे की चरित्र को पहचानना आसान हो सकता है। परंतु हर क्षेत्र में ऐसा नहीं होता कि पिता के गुणों को पुत्र अपना ले। तो चलिए आज हम सारी सृष्टि का पिता परमेश्वर का पुत्र यीशु मसीह कौन है, इसके बारे में जानने की सम्पूर्ण कोशिश करते हैं?

यीशु मसीह के बारे में बाइबल क्या कहती है?

यीशु मसीह कौन हैं?; यह जानने से पहले आप को यह जानना चाहिए; कि ईश्वर कौन हैं? देखिए, सभी जानते हैं; की ईश्वर सृष्टिकर्ता हैं; क्योंकि यह उत्पत्ति 1:1 की वचन में इस प्रकार लिखा है; “आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की। अर्थात परमेश्वर सृष्टि कर्ता होने का वचन से मिलता है। क्योंकि मनुष्य ने या कोई जीव जंतु, यहां तक की किसी ने भी सृष्टि को नहीं बनाई है; बल्कि सृष्टिकर्ता पिता परमेश्वर ने दृश्य दृश्य और समस्त विश्व ब्रह्मांड कि सृष्टि की है।

”ईश्वर प्रथम और अंतिम होने का प्रमाण भी यशायाह 41:4 की वचन में देखने को मिलता है, क्योंकि वचन कहता है, कि यहोवा परमेश्वर ही सब से पहिला, और अन्त के समय रहेंगे। फिर प्रकाशित वाक्य ( 1:17 ) में भी यूहन्ना से प्रभु यीशु कहते हैं, कि मत डर क्योंकि प्रथम और अंतिम मैं हूं। यहां पर समझने वाली बात यह है, कि पिता परमेश्वर ने भी खूद को प्रथम और अंतिम कह रहे हैं, और प्रभु यीशु भी खुद को प्रथम और अंतिम कहने का मतलब यह दर्शाता है, कि यीशु मसीह ही परमेश्वर हैं।

फिर ( प्रकाशित वाक्य 22:13 ) की वचन में भी प्रभु यीशु मसीह इस प्रकार कहते हैं, कि वह अलफा, ओमिगा, पहिला, पिछला, आदि और अन्त सब कुछ है। तो प्रभु यीशु मसीह कौन है, इस वचन से भी स्पष्ट प्रमाण मिल जाता है। कोई भी संसारी गुरु या जितने भी बुद्धिमान व्यक्ति क्यों न हो, खुद के बारे में इस प्रकार दावा नहीं कर सकता है। यदि वह खुद कुछ होने का दावा कर भी ले, तो चिन्ह और चमत्कार भी चाहिए न। क्योंकि बाइबल की माने तो संसार भर में प्रभु यीशु को छोड़कर कोई भी ऐसा व्यक्ति इतने सारे चिन्ह और चमत्कार नहीं किए हैं।

इससे भी यह पता चलता है कि यीशु मसीह प्रभु हैं। और तो छोड़िए भाई साहब, सिर्फ यीशु के नाम से भी आश्चर्य कर्म भी होते हैं। क्योंकि ( मरकुस 9:38-39 ) की वचन में इस प्रकार लिखा है, कि प्रभु यीशु मसीह के चेलों में से यूहन्ना ने एक व्यक्ति को प्रभु यीशु का नाम लेकर दुष्ट आत्माओं को निकलते हुए देखा था, फिर उसने उसे यीशु नाम लेने से मना करने किया, क्योंकि वह प्रभु के पीछे नहीं चलता था। परंतु प्रभु यीशु ने कहा उसे मना मत करो। क्योंकि संसार में बहुत से ऐसे लोग होंगे जो मेरा नाम लेकर चमत्कार का काम करेंगे।

प्रभु यीशु मसीह भले ह इस संसार में मनुष्य बन कर आए थे, परंतु वह परमेश्वर का प्रतिरूप थे। उनकी वास्तविकता ईश्वर तत्व से परिपूर्ण था। उनके पास संपूर्ण अधिकार होते हुए भी वह एक मनुष्यों की तरह जन्म लेने के कारण पिता परमेश्वर को प्रथम स्थान पर रखते थे। यदि प्रभु यीशु मसीह आम इंसान होता तो जिस प्रकार उनकी शक्ति थी, उनका घमंड भी हो जाता। परंतु ऐसा नहीं हुआ। क्योंकि पिता जो सर्वोच्च ईश्वर है उसका सम्मान किया। इसलिए वचन कहता है,

एक ईश्वर; इसके सिवा दुसरा नहीं; और उसके तुल्य कोई भी नहीं हो सकता; केवल अपने पुत्र यीशु मसीह को ; जिसे वह अधिकार दिया है। क्योंकि “वह तो अदृश्य परमेश्वर का प्रतिरूप और सारी सृष्टि में पहिलौठा है।” कुलुस्सियों 1:15

यीशु मसीह कौन हैं
यीशु मसीह कौन हैं

मसीह पुत्र और उद्धारकर्ता

फिर यीशु मसीह उद्धार कर्ता है; यह मत्ती 1:21 की वचन में देखने को मिलता है; क्योंकि उसमें इस प्रकार लिखा है, “वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना; क्योंकि वह अपने लोगों को उन के पापों से उद्धार करेगा।”फिर लूका 2:11 के वचन में भी लिखा है;“कि आज दाऊद के नगर में तुम्हारे लिये एक उद्धारकर्ता जन्मा है, और यही मसीह प्रभु है।”

पहला बात वचन कहता है कि, प्रभु का नाम यीशु रखन , क्योंकि वही उद्धार कर्ता है।। दूसरा वचन कहता है कि वही मसीह है। इन सारे वचनों को बारीकी से पढ़कर समझने की कोशिश करने से पता चल जाएगा, कि प्रभु यीशु मसीह कौन हैं? क्योंकि और भी वचन इस प्रकार कहता है।

“इस्राएल को उसके सारे अधर्म के कामों से वही छुटकारा देगा।”भजन संहिता 130:8

“शमौन पतरस ने उत्तर दिया, कि तू जीवते परमेश्वर का पुत्र मसीह है।” मत्ती 16:16

“तब उस ने चेलों को चिताया, कि किसी से न कहना! कि मैं मसीह हूं।” मत्ती 16:20

इन सारे वचनों से पता चलता है; की यीशु मसीह उद्धारकर्ता है।

ईश्वर के पुत्र

और रही बात ईश्वर के पुत्र होने की तो; मत्ती 3:17 में लिखा है; “और देखो, यह आकाशवाणी हुई; कि यह मेरा प्रिय पुत्र है; जिस से मैं अत्यन्त प्रसन्न हूं।

”फिर मत्ती 17:5 के वचन में भी ईश्वर; यीशु मसीह को अपने पुत्र होने का प्रमाण देते हैं। लिखा है; “वह बोल ही रहा था, कि देखो, एक उजले बादल ने उन्हें छा लिया, और देखो; उस बादल में से यह शब्द निकला, कि यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं प्रसन्न हूं: इस की सुनो।”

देखिए भाई साहब उपर में लिखी गई दो वचनों में भी खुद परमेश्वर गवाही दे रहे हैं कि यीशु मसीह उनका पुत्र हैं। तो आप क्या समझ सकते हैं कि प्रभु यीशु मसीह कौन हैं?

फिर यीशु मसीह के जन्म से पहले भी लूका 1:35 की वचन में कह गया था; की वह ईश्वर के पुत्र कहलाएंगे। वचन के अनुसार, स्वर्गदूत ने प्रभु की माता मरियम को उत्तर दिया; कि पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगा, और परमप्रधान की सामर्थ तुझ पर छाया करेगी इसलिये वह पवित्र जो उत्पन्न होनेवाला है, परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा। इसके अलावा यीशु मसीह ने भी अपने चिन्ह और चमत्कार के द्वारा ईश्वर पुत्र होने का प्रमाण दिया है।

निष्कर्ष

इन सारे वचनों के द्वारा यह प्रमाण चलता है की यीशु मसीह परमेश्वर का पुत्र, उद्धार करता और ख़ुदा भी हैं। क्योंकि वह जो कुछ भी करते थे वह अपने अधिकार के साथ करते थे। क्योंकि ( 7:29 ) की वचन कहता है, कि प्रभु यीशु मसीह शास्त्रियों की तरह नहीं, बल्कि अधिकार के साथ उपदेश देते थे।

God bless you for reading to continue.

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