यीशु मसीह अनुग्रह और सच्चाई के अधिकारी हैं

यीशु मसीह अनुग्रह और सच्चाई के अधिकारी हैं। इसके बारे में यूहन्ना 1:14 के वचन में इस प्रकार लिखा है;

“और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा।”

वह वचन देहधारी हुआ; इसका मतलब यीशु मसीह का जन्म हुआ। फिर क्या देखते हैं हम? अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर वचन अर्थात प्रभु यीशु हमारे बीच में डेरा किया। वचन हमारे बीच में है; अर्थात ईश्वर हमारे बीच में है।

क्योंकि यूहन्ना 1:1 का वचन के अनुसार देखा जाए तो; आदि में कौन था? वचन! और वचन किसके साथ था? ईश्वर के साथ! और आप लोग जानते हैं; की वह वचन ईश्वर था। तो आप लोग समझ गए होंगे; की ईश्वर हमारे बीच में होने का अर्थ; अनुग्रह मिलना स्वाभाविक है।

यूहन्ना 1:16 में इस प्रकार लिखा है;“क्योंकि उस की (अर्थात यीशु की) परिपूर्णता से हम सबको क्या मिलता है? अनुग्रह पर अनुग्रह।”

यूहन्ना 1:17 में लिखा है; व्यवस्था तो मूसा के द्वारा दिया गया; परंतु अनुग्रह और सच्चाई यीशु मसीह के द्वारा मिला था।

क्योंकि लुका 4:22 में लिखा हुआ वचन से ज्ञात होता है; कि यीशु मसीह के मुंह से अनुग्रह की बातें निकलती थी। आप लोगों ने पढ़ा और सुना भी होगा; कि बड़े छोटे पर; धनी दरिद्र को और राजा प्रजा पर अनुग्रह करते थे। परंतु आज हम जिस अनुग्रह की बात कर रहे हैं; वह सर्वशक्तिमान ईश्वर की है। क्योंकि अनुग्रह मांगने से; ढूंढने और तरसने से नहीं मिलती है। परंतु परम पावन ईश्वर की इच्छा हो तो अनुग्रह प्राप्त हो सकती है।

सच्चाई। यीशु मसीह की अनुग्रह

यीशु मसीह अनुग्रह के साथ सच्चाई की अधिकारी हैं। क्योंकि मरकुस 12:14 के अनुसार फरीसि लोग यीशु को कहते हैं; तू सच्चा है; और मुंह देख कर नहीं बोलता! परन्तु ईश्वर की मार्ग सच्चाई से बताता है।

इसका अर्थ यीशु मसीह सच्चाई के अधिकारी हैं। यूहन्ना 14:6 बताती है; यीशु मसीह मार्ग (सच्चाई) और जीवन हैं।

लूका 23:4 वचन के अनुसार यीशु के खिलाफ दंड देने के लिए; पीलातुस को कोई दोष नहीं मिला! तब पीलातुस ने महायाजकों और लोगों से कहा; मैं इस मनुष्य में कुछ दोष नहीं पाता। इसका अर्थ यीशु सच्चा थे; और जो सच्चा है; उसके मुख से सच्चाई ही निकलेगी।

यीशु मसीह अनुग्रह और सच्चाई के अधिकारी हैं
यीशु मसीह अनुग्रह और सच्चाई के अधिकारी हैं

संसार की बातें

एक बात समझने की जरूरत है; कि हम और आप मनुष्य ही हैं। जरा सोचिए; जब भी आप किसी व्यक्ति से मिलते हैं; हो सकता है; वह आपके मित्र हो या परिवार के सदस्य! तब आप उससे क्या क्या बात करते हैं? यही ना कि; जो आप देखे और सुने हैं। उदाहरण के स्वरुप; जब एक मुवी देखते हैं; तो मुवी के बारे में दोस्तों को बताते हैं; कहीं घूमने जाते हैं; या कुछ अच्छी चीज देखते या खा लेते हैं; तो उसके बारे में बार-बार बखान करने लगते हैं। ऐसे बहुत सारी बातें जो आप सुनते या देखते हैं; उसी के बारे में बताते हैं।

इंसान हमेशा संसार की बातें बोलता है। परन्तु यीशु मसीह सच्चाई अर्थात स्वर्ग की बात बताते हैं। इसका प्रमाण यूहन्ना 8:38 के वचन में देखने को मिलता है। जो इस प्रकार लिखा है; मैं वही कहता हूं, जो अपने पिता के यहां देखा है; और तुम वही करते रहते हो जो तुमने अपने पिता से सुना है। इस वचन से पता चलता है; कि यीशु मसीह सच हैं; और सच्चाई की बात बताते थे।

Conclusion

अगर इंसानों को ईश्वर की अनुग्रह चाहिए; तो सच्चाई पर चलना होगा। क्योंकि कोई भी झूठा मनुष्य ईश्वर की अनुग्रह प्राप्त नहीं कर सकता। मेरे दोस्तों ईश्वर सच्चा है; इसलिए आप को भी सच्चाई की बुनियाद पर खड़ा रहना चाहिए। मेरा कामना है; कि ईश्वर की अनुग्रह आपको भी प्राप्त हो।

God bless you for reading to continue.

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