यहोवा का भय मानना लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्यों है: 2021

जिस तरह एक बच्चे को कक्षा में शिक्षक और घर में अपने माता-पिता का भय मानना पड़ता है; उसी प्रकार सभी मनुष्यों को यहोवा का भय मानना चाहिए। क्योंकि यहोवा परमेश्वर सबका मालिक है। भय मानने का मतलब आदर करना होता है; और आदर बड़ों का किया जाता है। ज्ञात हो कि परमेश्वर सबसे बड़ा है। इसलिए उनका भय मानना या आदर करना अनिवार्य है। तो ईश्वर का भय मानने और न मानने से मनुष्यों को क्या-क्या लाभ मिलता है? वचन से जानने की कोशिश करें।

यहोवा का भय क्यों मानना चाहिए

पृथ्वी के सब देशों के लोगों को यह पता होना चाहिए; कि यहोवा का हाथ बलवन्त है; इसलिए अपने परमेश्वर यहोवा का भय सर्वदा मानते रहें। यहोशू 4:24

फिर यहोवा भी यह चाहता है; कि लोग अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानें और उसके मार्ग पर चलकर, सच्चे मन प्राण से उसकी सेवा करें। व्यवस्थाविवरण 10:12

यहोशू 24:14 वचन कहता है; तुम्हारे पुरखा जिस तरह महानंद के उस पार और मिस्र में पराए देवताओं की सेवा करते थे; तुम उन्हें दूर करके सच्चाई और खराई से यहोवा का भय मान कर उसकी सेवा करो।

1 शमूएल 12:24 के वचन कहता है; यहोवा का भय मान कर संपूर्ण रीति से उसकी उपासना करना चाहिए

यहोवा का भय शत्रुओं के हाथ से बचाता है

जो कोई भी यहोवा परमेश्वर को अपना प्रभु मान कर उनका दिया हुआ आज्ञा और नियम के अनुसार चलने से, वह सदा करूणा करते हैं। परन्तु सृष्टि के नियम की विपरीत चलने वाले लोगों पर उनका क्रोध भड़कता है। सब जानते है, कि ईश्वर के विरोधी दुसरा कोई नहीं बल्कि पाप है, और ईश्वर के प्रति भय न होने के कारण लोग पाप करते हैं। अगर ईश्वर के प्रति लोगों का भय अथवा भक्ति नहीं है; तो विपत्ति के समय उन्हें कौन बचाएगा।

क्योंकि 2 राजा 17:39 के वचन कहता है, कि तुम केवल अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानना; क्योंकि वही तुम को तुम्हारे सब शत्रुओं के हाथ से बचाएगा।

अन्धियारे में ज्योति

यशायाह 50:10 के वचन से पता चलता है; कि जो यहोवा का भय मानता और उसके दास की बातें सुनता है; वह परमेश्वर पर भरोसा करना चाहिए कि उसका वचन अंधियारे में भी राह दिखा सकता है।

धन

धन कमाने के लिए लोगों को बहुत परिश्रम करना पड़ता है, कभी कभार देखा जाता है, की जितनी मेहनत करने पर भी धन ठहरता नहीं। क्योंकि लोग ईश्वर की मर्जी के खिलाफ चलते हैं; और यह भी जानना अति आवश्यक है, कि जब तक ईश्वर किसी को न दे तो कुछ भी नहीं मिलता। कहावत तो आपने सुना ही होगा; कि ऊपरवाला जब भी देता, तो छप्पर फाड़ के देता है। इसलिए सबसे पहले ईश्वर को ढूंढें जो आपका असली धन है। क्योंकि यशायाह 33:6 के वचन कहता है; की यहोवा का भय मानना ही उसका धन होगा।

नीतिवचन 22:4 मैं भी लिखा है; की नम्रता और यहोवा के भय मानने का फल धन; महिमा और जीवन होता है।

न्याय

संसार में बहुत सारे ऐसे लोग होते हैं, जो मुंह देखकर या धन लेकर न्याय को बिगाड़ते हैं; अर्थात मुंह देखा न्याय करना। परंतु यशायाह 11:3 का वचन कहता है; कि जो यहोवा का भय मानते हैं, वे मुंह देखा या कानों से सुनकर न्याय नहीं करते। क्योंकि यहोवा का भय उन्हें सुगंध सा लगता है।

यहोवा का भय
यहोवा का भय

प्रशंसा

आप लोग किसी स्त्री की सुंदरता का प्रशंसा करते लोगों से सुना होगा। परंतु नीतिवचन 31:30 कहता है, जो स्त्री यहोवा का भय मानती है; उसकी प्रशंसा की जाएगी। क्योंकि जो यहोवा का भय मानते हैं, वे पाप से दूर रहते हैं। उनका स्वभाव नम्र होने के साथ-साथ चाल चलन भी अच्छी रहती है।

आयु

नीतिवचन 10:27 के वचन कहता है, कि यहोवा का भय मानने वालों को लंबी आयु मिलती है। परंतु दुष्टों का जीवनकाल अल्पकालीन रहती है। इसलिए दुष्टता को त्याग कर लोगों को सच्चे जीवन जीना चाहिए।

नीतिवचन 19:23 की वचन के अनुसार, जो लोग यहोवा का भय मानते हैं; उनका जीवन बढ़ता है। वे विपत्ति से दूर रह कर और सुखी जीवन गुजारते हैं।

बुराई करने से बच जाते हैं

नीतिवचन 16:6 कहता है; लोगों की अधर्म का प्रायश्चित तो ईश्वर की कृपा और सच्चाई से होती है। परंतु यहोवा का भय मानने वाले लोग बुराई करने से बच जाते हैं।

क्योंकि यहोवा का भय मानना बुराई से बैर करना होता है। नीतिवचन 8:13

शिक्षा

संसार में सब कोई अच्छी शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं। शिक्षा ऐसा है,की बचपन से लेकर बुढ़ापे तक शिक्षने पर भी संपुर्ण नहीं होती। क्योंकि किसी भी मनुष्य के लिए शिक्षा असंपूर्ण रहती है। परंतु हमें सांसारिक शिक्षा के साथ-साथ ईश्वर की शिक्षा का भी ख्याल रखना चाहिए, क्योंकि नीतिवचन 15:33 कहता है; यहोवा के भय मानने से शिक्षा प्राप्त होती है।

बुद्धि का मूल

लोग अपने बच्चे को बुद्धिमान बनाने के लिए बहुत प्रकार की प्रयत्न करते हैं; इसे आप लोग देखे होंगे, यहां पढ़ाओ, वहां ट्यूशन करो; परंतु बच्चे जैसी कि तैसी ही रहते हैं। क्योंकि नीतिवचन 1:7 कहता है, ईश्वर का भय मानना बुद्धि का मूल है। अगर माता-पिता यहोवा का भय नहीं मानते, तो बच्चे को बुद्धि कहां से मिलेगी।

क्योंकि नीतिवचन 9:10 कहता है, यहोवा का भय मानना बुद्धि का आरम्भ है, और परमपवित्र ईश्वर को जानना ही समझ है। भजन संहिता 111:10 भी कहता है; की अच्छी बुद्धि के लिए परमेश्वर का भय मानना आवश्यक है।

ज्ञान से बैर

नीतिवचन 1:29 कहता है, यहोवा का भय न मानना ज्ञान से बैर करना जैसी है; क्योंकि नीतिवचन 2:5 कहता है, की यहोवा का भय को समझने वाले लोगों को परमेश्वर का ज्ञान मिलता है।

निष्कर्ष

व्यवस्थाविवरण 6:2 कहता है, अगर तू; तेरा बेटा और तेरा पोता यहोवा का भय मान कर, उसकी नियम और आज्ञाओं को मान कर चलता रहे; तो बहुत दीन तक बना रहेगा। क्योंकि जो प्रभु की भय मानते हैं, वे आशीष पाएंगे। (भजन संहिता 128:4) इसलिए लोगों को विचार करना चाहिए कि ईश्वर का भय मानना कितना महत्वपूर्ण है। मैं आशा करता हूं, कि इस वचन को पढ़ने के द्वारा आपके जीवन में एक नया अध्याय जुड़ने वाला है। हाल्लेलुया।

God bless you for reading to continue.

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