भजन संहिता 1 | बाइबिल के उपदेश

दोस्तों आज हम bible vachan में भजन संहिता 1 पर चर्चा करेंगे। क्योंकि भजन संहिता मनुष्य का दैनिक जीवन पर आधारित सुख दुख से लेकर परमेश्वर की इच्छा और योजना क्या है प्रकट करती है। इस अध्याय खास करके मनुष्य को अपने जीवन में सफलता प्राप्त करने की मार्ग दिखाता है। तो चलिए आज हम इसे शुरू करते हैं।

भजन संहिता 1 :1

भजन संहिता 1:1 की वचन कहता है, क्या ही धन्य है वह पुरूष जो दुष्टों की युक्ति पर नहीं चलता, और न पापियों के मार्ग में खड़ा होता; और न ठट्ठा करने वालों की मण्डली में बैठता है! भजन संहिता 1:1 की वचन कहता है, क्या ही धन्य है वह पुरूष जो दुष्टों की युक्ति पर नहीं चलता, और न पापियों के मार्ग में खड़ा होता; और न ठट्ठा करने वालों की मण्डली में बैठता है!

अर्थात जो व्यक्ति दुष्टों की संगति नहीं करता, पाप कर्म नहीं करता, पाप के मार्ग में नहीं चलता है। फिर ठठ्ठा करने वालों की मंडली से खुद को दूर रखता है। दरअसल ठठ्ठा करने वाले लोग सिर्फ अच्छी बातों से हंसी मजाक नहीं करते हैं! बल्कि अभद्रता की सीमा को भी लांघ कर हंसी मजाक करते हैं। इसलिए भजन संहिता कहता है, कि जो ऐसे लोगों से दूर रहते हैं, वे धन्य है। आप समझ रहे हैं न, आपको किस प्रकार की लोगों से संगति करना है। क्योंकि यदि आप दुष्ट और पापीयों के मार्ग पर चलेंगे तो नुकसान आपका ही होगा।

भजन संहिता 1 :2

परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता; और उसकी व्यवस्था पर रात दिन ध्यान करता रहता है।

अर्थात जो लोग पाप के मार्ग से खुद को दूरी बनाए रखते हैं, खासकर वे परमेश्वर की व्यवस्था से प्रसन्न रहकर परमेश्वर की आज्ञा और विधियों को दिन-रात ध्यान करते हुए जीवन जीते हैं। वैसे लोग परमेश्वर की आज्ञा से प्रसन्न रहते हैं। और जो लोग परमेश्वर की आज्ञा से प्रसन्न रहते हैं, उन्हें प्रभु की ओर से कृपा मिलती है। फिर जिस व्यक्ति को प्रभु की कृपा मिलती है।

भजन संहिता 1 :3

भजन संहिता 1 :3 की वचन उसके बारे में यह कहता है, वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है। और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिये जो कुछ वह पुरूष करे वह सफल होता है।

अर्थात परमेश्वर की नियम को मानकर चलने वाले लोगों के ऊपर परमेश्वर की करुणा सदा बरसती रहती है। उनके जीवन में चाहे किसी भी प्रकार की समस्या क्यों ना आए परमेश्वर की करुणा के कारण कोई भी मुसीबत का सामना करने में वे सक्षम होते हैं। क्योंकि उनका मुसीबत परमेश्वर दूर करता है। ( भजन संहिता 92:12 ) कि वचन कहता है, धर्मी लोग खजूर की नाईं फलेगें और लबानोन के देवदार की तरह बढ़ेंगे। खजूर का फल एक या दो नहीं फलता है, बल्कि बहुत फल फलता है। उसि तरह परमेश्वर का वरदान धर्मीयों को बहुतायत से मिलता है।

भजन संहिता 1

भजन संहिता 1 :4

भजन संहिता 1 :4 की वचन कहता है, दुष्ट लोग ऐसे नहीं होते, वे उस भूसी के समान होते हैं, जो पवन से उड़ाई जाती है।अर्थात दुष्ट लोगों के जीवन में कभी भी स्थिरता नहीं रहती है। दुष्ट लोगों के जीवन से शांति पवन की तरह उड़ते रहता है। क्योंकि वे पाप के कर्म को प्राथमिकता देते हैं।

भजन संहिता 1 :5

इसलिए भजन संहिता 1 :5 कहता है, इस कारण दुष्ट लोग अदालत में स्थिर न रह सकेंगे, और न पापी धर्मियों की मण्डली में ठहरेंगे;

दुष्ट लोग अदालत में धर्मीयों के खिलाफ न्याय बिगाड़ने का काम करते हैं। परंतु परमेश्वर दुष्टों को अदालत में स्थिर रहने नहीं देता है। और दुष्टों को धर्मीयों की संगति में भी जगह नहीं मिलता है। क्योंकि सभी लोग दुष्टों को घृणा करते हैं।

भजन संहिता 1 :6

फिर भजन संहिता 1 :6 की वचन कहता है, क्योंकि यहोवा धर्मियों का मार्ग जानता है, परन्तु दुष्टों का मार्ग नाश हो जाएगा।

अर्थात ( नहूम 1:7 ) की वचन कहता है, कि“यहोवा भला है; संकट के दिन में वह दृढ़ गढ़ ठहरता है, और अपने शरणागतों की सुधी रखता है। क्योंकि परमेश्वर धर्मियों का मन को जनता है, और उन्हें संकट के समय में बचाता है। परंतु दुष्टों को वह नाश होने के लिए छोड़ देता है। इसलिए आपको परमेश्वर की सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए, दुष्टों की तरह पाप और कुमार्ग को चुनकर बेवजह समस्या संकट और दुखदाई जीवन को दावत न दें तो बेहतर होगा।

निष्कर्ष

मैं आशा करता हूं कि भजन संहिता 1 अध्याय आपको समझ में आ गया होगा। क्योंकि यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन में सच्चे मन से प्रभु की मार्ग पर चलते हुए, जीवन जीता है, तो परमेश्वर उसका साथ रहता है। परमेश्वर के दरवार में किसी भी चीज की सुनवाई में देर हो सकता है, पर अन्धेर नहीं। दोस्तों वचन अच्छा लगा हो, तो comment जरूर कीजिएगा। धन्यवाद।।

1 thought on “भजन संहिता 1 | बाइबिल के उपदेश”

  1. Ame , sab ko jaiy mashih ki bahut hi achha explain hai prbhu apko or padhne wale sare logo ko Ashish de amen

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