बीमारी मनुष्य को क्यों होता है? कोई भी मनुष्य नहीं चाहता कि वह बीमार हो कर खुद का हानि पहुंचाए। परन्तु बीमारी किसी से कह कर नहीं आता कि मैं आने वाला हूं, थोड़ा सावधान रहना। देखिए जब लोग प्रभु की उपासना करते हैं, बाइबल पढ़ते हैं; तो यह जानना भी जरूरी है, की बीमारी मनुष्य के ऊपर आने के बारे में बाइबल क्या कहती है? आज हम बीमारी आने के विषय पर अध्ययन करने जा रहे हैं। क्योंकि मनुष्य ईश्वर से जितना भयभीत होना चाहिए उससे ज्यादा बीमारियों से भयभीत होते हैं। अगर आप जानना चाहते हैं; कि बीमारी के बारे में बाइबल क्या कहती है, तो इस विषय को पढ़ने की जरूर कष्ट करें।
क्या बीमारी परमेश्वर की महिमा के लिए होती है?
इसका सत्यता जानने के लिए हमें (यूहन्ना 11:4) के वचन में चलना होगा, जिसमें प्रभु कहते हैं कि यह बीमारी मृत्यु कि नहीं परन्तु परमेश्वर की महिमा के लिए है, परमेश्वर के पुत्र प्रभु यीशु की महिमा के लिए है। वाह भाई वाह! प्रभु का कहना बड़ी ही सत्य है; क्योंकि कुछ बीमारी ऐसे भी होती है, जिसके द्वारा प्रभु की महिमा हो।
- ( यूहन्ना 11:1-45) वचन से पता चलता है, कि बैतनिय्याह में एक लाजार नामक व्यक्ति रहता था, और उसके दो बहने थी, परंतु जब वह बीमार में पीड़ित था, तो उसकी बहनों ने प्रभु को कहला भेजा कि आप जिसे प्रीति रखते हैं, वह बीमार है। फिर भी प्रभु जहां पर थेे, वहां और 2 दिन तक रुके, इस बीच लाजार की मृत्यु हो गई और उसे कब्र में दफना दि जाती है। प्रभु को बैतनिय्याह पहुंचने में 4 दिन लग जाता है; और सब को पता है, कि मरे हुए लाजार को कब्र में दफनाए गए 4 दिन हो रहा था; फिर भी प्रभु यीशु उसे जिंदा खड़ा कर दिया। इससे हमें यह सीख मिलती है कि कुछ बीमारी परमेश्वर की महिमा के लिए होती है।
- देखिए मैं आपको और एक वचन के संदर्भ को बताना चाहता हूं; जो कि (यूहन्ना 9:2-3) में जब चेले प्रभु यीशु से एक जन्म के अंधे के बारे में पूछते हैं; कि क्या वह या उसके माता-पिता में से किसने पाप किया था, जो यह व्यक्ति अंधा जन्मा है। पाप के कारण भी बीमारी आती है, पर इसके बारे में हम आगे चर्चा करेंगे। देखिए यहां प्रभु क्या कह रहे हैं; न तो इसने पाप किया था, और न इसके माता-पिता ने; बल्कि परमेश्वर के काम उसमें प्रगट हो जाए, इसलिए वह अंधा जन्मा।
- यहां पर प्रभु के वचन को समझने की आवश्यकता है, क्योंकि जब भी कोई समस्या या बीमारी लोगों के ऊपर आने से वे तरह-तरह के कयास लगाते रहते हैं। प्रभु कभी नहीं चाहते कि लोग नाना प्रकार की उलझन में उलझते रहें; परंतु वे वचन को समझकर उसके अनुसार चलने की कोशिश करते रहें।
क्या पाप के कारण भी बीमारी होती है?
आपने बिल्कुल सही सुना है। क्योंकि इसके बारे में (यूहन्ना 5:14) वचन के अनुसार अड़तीस वर्ष से बीमारी में पीड़ित व्यक्ति को जब प्रभु यीशु चंगा करने के बाद मंदिर में मिलते हैं;
- तब प्रभु कहते हैं; “‘देख, तू तो चंगा हो गया है; फिर से पाप मत करना, ऐसा न हो कि इस से कोई भारी विपत्ति तुझ पर आ पड़े।
- प्रभु का कहना है, कि जो व्यक्ति 38 वर्ष से बीमारी में पीड़ित था, उसे समझ जाना चाहिए, क्योंकि वह बीमार उसके पाप के कारण हुआ था। इसलिए प्रभु इस वचन से मुझको, आपको, सबको बता देना चाहते हैं, कोई भी व्यक्ति पाप न करें, अन्यथा उसका परिणाम बीमारी के रूप में आ सकती है। इसलिए लोगों को पाप करने से बचना चाहिए।
- देखिए बीमारी हो या दंड इसका मूल कारण पाप ही है, (यूहन्ना 8:1-11) वचन में देखने को मिलता है; कि जब एक स्त्री व्यभिचार की पाप में पकड़ी गई, तब शास्त्री और फरीसी उसे यीशु के पास लाकर कहते हैं, की मूसा के व्यवस्था के अनुसार ऐसी स्त्री को पत्थरवाह करने की आज्ञा है; पर आप इसके बारे में क्या कहते हैं? यहां पर प्रभु यीशु उनको जवाब देने के बजाय उंगली से भूमि पर लिखते रहे। पर उनका बार-बार पूछने पर प्रभु का जवाब यह था, कि जो निष्पाप है, वही पहले पत्थरवाह करे। यह सुनकर बड़े से लेकर छोटे तक सब वहां से चले गए। तब प्रभु यीशु स्त्री से पूछते हैं; क्या किसी ने तुझे दंड न दी, उसने कहा नहीं! प्रभु यीशु भी उसे दंड न दी। परन्तु यीशु यहां पर एक बात को स्पष्ट रूप से बता देना चाह रहे हैं, की जा मैंने भी तुझे दंड नहीं देता; परंतु फिर पाप न करना। क्योंकि छुटकारा मिलने के बाद भी अगर कोई बार-बार पाप करता है, तो उसके ऊपर भारी बिपति, दंड या बीमारी आने की संभावना रहती है।
क्या शैतान की परिक्षा के कारण से भी लोग बीमारी में पीड़ित होते हैं?
लोगों को पररख कर पतन की ओर धकेल देना ही शैतान का काम है। वह कभी नहीं चाहता कि लोग आशीषित रहें, इसलिए वह हर बार कुछ न कुछ करके लोगों को फंसा कर परखता है। जब वह प्रभु यीशु को (मत्ती 4:1-11) (लूका 4:1-13) में भी परखने नहीं छोड़ा तो आम इंसान की तो बात ही मत पूछिए।
- और हम जिस विषय पर बात कर रहे हैं वह बीमारी की है। शैतान की परीक्षा के चलते बीमारी आने का वचन के बारे में हमें (अय्यूब 2:7) में देखने को मिलता है; जिसमें शैतान अय्यूब को पांव के तलवे से लेकर सिर की चोटी तक बड़े-बड़े फंडों से पीड़ित करता है। क्योंकि शैतान अय्यूब की अच्छा खासा जिंदगी में खलल डाल कर ईश्वर के सामने उस पर दोष लगाता है। (अय्यूब 1:1-22) (अय्यूब 2:1-13) परंतु अय्यूब की सीधाई और खराई पर ईश्वर को भरोसा था। परंतु शैतान अयूब की सब कुछ का विनाश और उसके शरीर को भयंकर बीमारी से पीड़ित करता है, ताकि वह परमेश्वर की निंदा करे। भले ही अय्यूब का सब कुछ छीन गया और वह बीमार में पीड़ित हो गया। परंतु वह परमेश्वर की निंदा नहीं की। यहां पर शैतान का काम निष्फल हो जाता है, और ईश्वर अय्यूब को दुगना आशीष प्रदान करता है। इससे आपको समझ आ गई होगी कि शैतान भी लोगों को बीमारी में डाल सकता है।
- धर्मी लोगों के बारे में मैं यह कहना चाहता हूं; की जब तक परमेश्वर शैतान को इजाजत न दे तो शैतान परीक्षा नहीं कर सकता है। क्योंकि धर्मी लोगों को ईश्वर सुरक्षा प्रदान करता है। फिर भी (मरकुस 14:38) की वचन के अनुसार परीक्षा या शैतान की जाल से बचने के लिए सजग होकर प्रार्थना करते रहना चाहिए।
प्रभु भोज उचित रीति से न लेने के कारण भी बिमारी आती है।
चुंकि यहां पर हम प्रभु भोज को अनुचित रीति से लेने के कारण होने वाली बीमारी या मृत्यु के बारे में बात कर रहे हैं। क्योंकि प्रभु भोज प्रभु यीशु का देह होता है। क्योंकि (1 कुरिन्थियों 11:23-31) प्रभु यीशु जिस रात में पकड़ाया गया उससे पहले रोटी लेकर धन्यवाद दिया और तोड़कर चेलों को देते हुए कहा था कि यह मेरा शरीर है। इसलिए प्रभु भोज पवित्र होने के कारण खुद को पवित्र करके उसे लेना चाहिए।
अपने को जांच परख कर (अर्थात) अपने किए हुए सभी पापों के लिए पश्चाताप करके ईश्वर से क्षमा मांग कर अपने को शुद्ध और पवित्र करके प्रभु भोज को खाना चाहिए। अगर पाप करते हुए हम प्रभु भोज को खाते हैं, तो दंड को अपने ऊपर ले आते हैं। क्योंकि वचन कहता हैं, इस कारण लोग अनुचित रीती से प्रभु भोज खा कर बीमारी से पीड़ित हैं; और बहुतों की मृत्यु हो गई है। इससे समझ सकते हैं, की प्रभु भोज को अनुचित रीति से खाने से भी बीमारी और मृत्यु हो सकती है।
निष्कर्ष
देखिए बीमारी की इस विषय के द्वारा लोगों का विश्वास को मजबूत करना हमारा काम है। बिमारियों के होने का कोई भी कारण क्यों न हो, इस से कोई फर्क नहीं पड़ता है। परन्तु जो भी हो जाए प्रभु पर बने रहना चाहिए। क्योंकि (निर्गमन 15:26) कि वचन के अनुसार जो कोई तन मन से ईश्वर की आज्ञा को मान कर उसकी इच्छा के अनुसार चलने से परमेश्वर जितने रोग मिस्रियों पर भेजा था, उनमें से एक भी नहीं भेजेगा। क्योंकि वह चंगा करने वाला परमेश्वर है।
- परंतु (व्यवस्थाविवरण 28:15) मूसा इस्राएलीयों से कहता है: यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की बात न सुने, और उसकी सारी आज्ञाओं और विधियों के पालने में जो मैं आज सुनाता हूं चौकसी नहीं करेगा, तो ये सब शाप तुझ पर आ पड़ेंगे। शाप का मतलब अनेक प्रकार की बीमारी, समस्या और संकट आ पड़ेंगी। बीमारी की बात जब हो रही है तो (व्यवस्थाविवरण 28:35) कि वचन कहता है, यहोवा तेरे घुटनों और टांगों में, वरन नख से शिख तक भी असाध्य फोड़े निकाल कर तुझ को पीड़ित करेगा। यह वचन से पता चलता है, कि जब भी लोग आज्ञा न मान कर पाप करने से ईश्वर भी बिमारियों को भेजते हैं।
- हम उम्मीद करते हैं, की इस विषय के द्वारा लोगों को बाइबल के वचन के बारे में बहुत कुछ सिखने को मिला होगा। क्योंकि आत्मिक उन्नति के लिए, लोगों को प्रभु की वचन को जानना अति आवश्यक है। धन्यवाद।।
God bless you.