बार-बार पढ़ने के बाद भी आपको बाइबल का वचन याद क्यों नहीं आती है?: Christ believers definitely need to know this. 2021

बार-बार पढ़ने के बाद भी आपको बाइबल का वचन याद क्यों नहीं आती है? यह लोगों की बहुत बड़ी समस्याओं में से एक है। क्योंकि लोग बाइबल पढ़ते और सुनते हैं, फिर भी वचन याद नहीं रहती। ऐसा क्यों होता है? इसी के बारे में हम आज चर्चा करने वाले हैं। क्योंकि प्रभु यीशु को मानने और उनके पीछे चलने वाले सभी लोगों को बाइबल की वचन को भी पढ़ कर याद रखना अनिवार्य है। अगर आप जानना चाहते हैं, कि बाइबल का वचन क्यों याद नहीं रहता है; तो इस विषय को अवश्य पढ़ने की कष्ट करें।

बाइबल का वचन को क्यों पढ़ना चाहिए?

(यूहन्ना 1:1) कहता है, कि आदी में वचन था, वचन परमेश्वर के साथ था, और वही वचन क्या था? परमेश्वर था। इसका मतलब वचन परमेश्वर है, इसलिए बाइबल का वचन को पढ़ना चाहिए। पर समस्या यह है, कि जितनी बार भी पढ़ने से वह याद नहीं रहती है। इसका कारण क्या हो सकता है? क्या आप इसके बारे में जानना नहीं चाहेंगे। इसके लिए हमें मुख्यतः चार बातों पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

  • 1: क्या मनुष्य की मन बाइबल का वचन पर नहीं लगता है?
  • 2: बाइबल का वचन को याद रखने के लिए कैसे पढ़ा जाना चाहिए?
  • 3: क्या शैतान बाइबल का वचन को चुराता है?
  • 4: क्या परमेश्वर का भय लोगों को बाइबल का वचन पढ़ने और प्रार्थना करने के लिए बाध्य कर सकता है?

1: क्या मनुष्य की मन बाइबल का वचन पर नहीं लगता है?

बारीकी से देखा जाए तो, लोग ईश्वर को छोड़कर, दिन प्रतिदिन धन-दौलत की चाहत, संसारिक अभिलाषा और दुनियादारी की उलझन में उलझ कर अपना समय व्यतीत करता है। क्योंकि मनुष्य की मन ईश्वर में नहीं बल्कि संसारिक विषय वस्तुओं पर लगा रहता है। मनुष्य को अनंत जीवन की चिंता नहीं, परंतु क्षणस्थाई जीवन की चिंता ज्यादा रहती है। सांसारिक जीवन के लिए मनुष्य सब कुछ न्योछावर कर देना चाहती है। परंतु आत्मिक जीवन के लिए तनिक भी चिंता नहीं। सत्य कहे तो ऐसे लोगों के हृदय में ईश्वर के लिए कोई भी स्थान नहीं है। और अगर ऐसे लोग कभी कभार बाइबल का वचन को पढ़ ले या सुन भी लें, तो उन्हें याद रखना मुश्किल बन जाता है।

2: बाइबल का वचन को याद रखने के लिए कैसे पढ़ा जाना चाहिए?

जब भी बाइबल का वचन पढ़ते हैं, तो अपने कमरे में जाकर पढ़ना चाहिए। क्योंकि बाहर की आवाज से आपकी मन भटक सकता है। कोई-कोई लोग मोबाइल में गाना बजाते वक्त, टीवी देख देख कर बाइबल का वचन को पढ़ते हैं। फिर सवाल कर बैठते हैं, कि भाई साहब, मेरे बार-बार और रोज 5, 10, 20, 30, 40 या उससे भी अधिक अध्याय पढ़ने के बावजूद भी मुझे वचन क्यों याद नहीं आती है? सीधी सी बात है, पढ़ने के वक्त में बाइबल का वचन को ध्यान देने के बजाय दूसरी चीजों पर मन लगाएंगे, तो पढ़ने और न पढ़ने से क्या फर्क पड़ता। इस प्रकार पढ़ने से कोई फायदा नहीं मिलने वाला है।

  • बाइबल पढ़ने के समय में उस वचन को किसने लिखा? किस विषय पर लिखा गया है? और क्यों लिखा गया, इस पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए। तब बाइबल का वचन को समझने में आसान हो जाएगा। लोग चाहे 1 दिन में 100 अध्याय भी पढ़ ले; पर हर एक आयतों को गहराई से अध्ययन न करने से उसकी याद रखना मुश्किल है। 1 दिन में लोग 5, 10, 20,30 या जितनी भी अध्याय पढ़ें; पर हर अध्याय को पढ़ते वक्त अगले दिन दोहराना चाहिेए। उदाहरण के तौर पर देखें तो, अगर आज 1 to 10 अध्याय पढ़ रहे हैं, तो कल 1 to 11 अध्याय, परसों 2 to 12 अध्याय; इस प्रकार पढ़ने से बाइबल का वचनों को याद करने के लिए आसान हो सकता है। हमारा कहने का मतलब आज जहां से पढ़ा था, कल फिर वहीं से पढ़ना शुरू करते हुए, बीते दिन से भी ज्यादा अध्याय पढ़ना चाहिए। अर्थात हर रोज बाइबल की अध्याय ज्यादा से ज्यादा पढ़ना चाहिए। इस प्रकार बाइबल का वचन में समय बिताने से लोग मूल्यहीन कर्म और चिंता से बच सकते हैं। जैसे कि मोबाइल, टीवी देखने और बुरी बुरी खयाल के साथ, बुरे बुरे बातों से बचा जा सकता है। इस तरह प्रतीदिन पढ़ने से बाइबल का वचन धीरे-धीरे याद आने लगेंगी। पढ़ने को तो सुबह-शाम, रात दिन कभी भी पढ़ा जा सकता है। पर भोर के समय बाइबल का वचन को पढ़ा जाए, तो तेजी से स्मरण रहती है। मेरी मानें तो दुसरी चीजों के साथ समय बिताने से अच्छा यह है, कि बाइबल पढ़ें।
  • और एक बात माता-पिता जिस रास्ते पर चलते हैं, बच्चे भी उनका अनुसरण करते हैं। इसलिए बच्चों को बचपन से ही बाइबल का वचन के बारे में ज्ञान और आत्मिक शिक्षा दी जाए तो याद रखने में बेहतर हो सकता है। परंतु जब माता-पिता प्रभु के वचन पर मन नहीं लगाएंगे, तो बच्चों को आत्मिक शिक्षा के बारे में ज्ञान कैसे प्राप्त होगा।
बार-बार पढ़ने के बाद भी आपको बाइबल का वचन याद क्यों नहीं आती है?
बाइबल का वचन

3: क्या शैतान बाइबल का वचन को चुराता है?

एक बात गहराई से जान लें, न तो आपका दिमाग कमजोर है, और न ही आपकी स्मरण शक्ति में कुछ गड़बड़ी है। क्योंकि परमेश्वर लोगों के दिमाग को तेज बनाया है, उसमें कभी गड़बड़ी नहीं हो सकती। तो आप यही सवाल करेंगे, फिर बाइबल का वचन को बार बार पढ़ने से भी क्यों याद नहीं रहता? बताता हूं भाई इसकी वजह भी बता रहा हूं, थोड़ा धीरज धरिए।

  • देखिए, जब भी आप मूवी सीरियल सोंग्स या कोई भी प्रकार की वीडियो देखते हैं, उसको दिमाग में जोर डाले बिना कैसे स्मरण कर लेते हैं? भाई साहब वीडियो देखने के लिए आपको छुट कौन देता है? आप वीडियो देखें यह कौन चाहता है? क्या परमेश्वर कहता है, कि मोबाइल, टीवी, यूट्यूब, फेसबुक में गंदी चीजों को देखें या दूसरों की तस्वीर को निहारे? नहीं, नहीं, नहीं! परमेश्वर ऐसी चीजें देखने को कभी नहीं कहता है। पर इन सब के पीछे सबसे बड़ा हाथ खलनायक शैतान का है। क्योंकि ईश्वर लोगों को जिस काम को करने के लिए मना करता है। शैतान चाहता है, कि लोग उस काम को करें और पाप में पड़कर ईश्वर के खिलाफ हो जाएं। इसलिए जब भी आप मूवी, सीरियल, वीडियो, सोंग्स इत्यादि इत्यादि चीजों को देखते हैं, तो उसकी याद आप बखूबी से कर लेते हैं।
  • परंतु जब भी लोग बाइबल का वचन को पढ़ते और सुनते हैं, उस समय दुष्ट शैतान उनके मन से वचन को छीन लेता है। इसके बारे में प्रभु मार्ग के किनारे बोया गया वचन के बारे में दृष्टांत दिये हैं। (मत्ती 13:19) क्योंकि जिस घड़ी लोग परमेश्वर के वचन को सुनते और पढ़ते हैं, उसी समय शैतान आकर उनके मन से वचन को उठाकर ले जाता है। (मरकुस 4:15) इसीलिए, लोगों के द्वारा बार-बार पढ़े और सुने जाने के वाबजूद भी बाइबल की वचन याद नहीं रहता है।

4: क्या परमेश्वर का भय लोगों को बाइबल का वचन पढ़ने और प्रार्थना करने के लिए बाध्य कर सकता है?

देखिए कर्मचारी को अपने मालिक का भय न हो तो वह ढंग से काम नहीं करेगा। अर्थात वह काम में ढिलाई करेगा। इसी प्रकार जब परमेश्वर के प्रति लोगों का भय न हो तो, वे प्रार्थना और वचन पढ़ने में मन नहीं लगाएंगे। इसलिए परमेश्वर का भय मानना अनिवार्य है। ऐसा न हो, कि पास्टर बोला है, इसलिए बाइबल पढ़ना चाहिए। (कुलुस्सियो़ 3:22) के अनुसार कोई भी काम लोगों को दिखाने के लिए न करके परमेश्वर के भय से किया जाना चाहिए। बाइबल पढ़ना, प्रार्थना करना और ईश्वर की हजूरी में समय बिताना भी एक ऐसा काम है; जिसे लोगों को दिखावे के लिए न करके, परमेश्वर की भय से किया जाना चाहिए।

  • परमेश्वर की भय क्यों मानना चाहिए? (व्यवस्थाविवरण 10:17) कि वचन कहता है; क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा वही ईश्वरों का परमेश्वर और प्रभुओं का प्रभु है, वह महान् पराक्रमी और भय योग्य ईश्वर है, जो किसी का पक्ष नहीं करता और न घूस लेता है। इसलिए परमेश्वर का भय मानना चाहिए। भूत प्रेत, बीमारी और समस्या को तो लोग डरते हैं, पर परमेश्वर को क्यों नहीं डरते? अरे भाई! जिसकी भय मानना चाहिए वह तो परमेश्वर है। क्योंकि परमेश्वर सब का बाप है, वह जीवन और मृत्यु का स्वामी है। वह प्रलय भी ला सकता है, और बचा भी सकता है। (2 पतरस 2:5) कि वचन कहता है; की परमेश्वर नूह समेत आठ व्यक्तियों को छोड़कर प्रथम युग के सभी लोगों को महा जलप्रलय से विनाश किया। परंतु नूह और उसके परिवार को सुरक्षित रखा। इस वचन से समझ सकते हैं, कि बचाने और मारने का सामर्थ परमेश्वर के पास है; इसलिए परमेश्वर का भय मानकर प्रार्थना और वचन पढ़ना चाहिए।
  • परमेश्वर को भय भक्ति करने का और एक वचन का संदर्भ मैं बताना चाहता हूं, (दानिय्येल 6:26) कि वचन के अनुसार, राजा दारा यह कहता है,
  • मैं यह आज्ञा देता हूं कि जहां जहां मेरे राज्य का अधिकार है, वहां के लोग दानिय्येल के परमेश्वर के सम्मुख कांपते और थरथराते रहें, क्योंकि जीवता और युगानयुग तक रहने वाला परमेश्वर वही है; उसका राज्य अविनाशी और उसकी प्रभुता सदा स्थिर रहेगी।
  • यह फरमान राजा दारा क्यों दिया था? दरअसल दानिय्येल के कामयाबी से बाकी लोग जलते थे, इसलिए उसको फसाने के लिए, राआज्ञा निकाली गई थी, जिसमें लिखा था कि, 30 दिन के लिए, राजा को छोड़ और किसी देवी देवता या मनुष्य को जो व्यक्ति उपासना करेगा, उसे सिंह के मान्द में डाल दिया जाएगा। पर दानिय्येल बड़े संकट में पड़ा था। क्योंकि राजा की आज्ञा न मानने का मतलब सिंह की मान्द में डाले जाना और ईश्वर की आज्ञा न मानना उससे भी बड़ी मुसीबत को गले लगाना। दानिय्येल ने राजाज्ञा से बेहतर ईश्वर की आज्ञा को समझा, और दानिय्येल राजाज्ञा न मान कर परमेश्वर की उपासना करने लगा। इसके परिणाम के स्वरूप उसको सिंह की मान्द में डाला गया, परंतु परमेश्वर उसे सुरक्षित बचा के रखते हैं। दानिय्येल को राजाज्ञा को न मानने से मिलने वाली मृत्यु से नहीं, बल्कि परमेश्वर से भय था। इसलिए उसने परमेश्वर को प्राथमिकता दी। इसी तरह जब तक किसी व्यक्ति को परमेश्वर का भय न हो तो, उसे बाइबल का वचन को पढ़ने और प्रार्थना करने में बड़ी दिक्कत आएगी।

निष्कर्ष

(इब्रानियों 3:7-8) में पवित्र आत्मा कहता है, जब भी तुम उसकी शब्द को सुनो, अर्थात बाइबल का वचन को पढ़ें या सुने अपने मन को कठोर न करें। क्योंकि जब तक आप अपने मन को कठोर बना कर रखेंगे, तब तक बाइबल का वचन को पढ़ने या सुनने से भी स्मरण नहीं रख पाएंगे। (मरकुस 8:18) की वचन के अनुसार आंख, कान रखते हुए भी देख और सुन नहीं सकते तो वचन को कैसे स्मरण रख पाएंगे। इसलिए अपने मन की कठोरता को दूर करते हुए प्रभु की ओर फिरें। मैं उम्मीद करता हूं, कि इन वचनों के द्वारा आपके अंतरात्मा की कठोरता को दूर करने में मदद मिलेगी। जो की बाइबल पढ़ते वक्त याद रखने में बाधा उत्पन्न करती है। परमेश्वर आपके जीवन में आशीष की बरसात करे। प्रभु को धन्यवाद।।

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