परमेश्वर का वचन

आज हम परमेश्वर का वचन के माध्यम से, लोगों की एक बहुत बड़ी कमजोरी, जो कि, वह एक दूसरे के विरुद्ध कुड़कुड़ाने वाली समस्या है, इसे हम दूर करने की कोशिश करेंगे। क्योंकि बहुत से लोगों को कुड़कुड़ाने की परिणाम के बारे में कोई जानकारी, नहीं है। यदि आप भी काम धंधा, खाने पीने, लेने देने, और बहुत सारे विषयों में, परमेश्वर तथा एक दूसरे के विरुद्ध हमेशा कुड़कुड़ाते रहते हैं, तो आपको, इस वचन को एक बार, अवश्य, पढ़ और सुन लेना चाहिए। जिससे आपको परमेश्वर का वचन का ज्ञान मिले, और आपके जीवन में प्रभु की शिक्षा और आज्ञाओं का, वास हो। तो चलिए, सबसे पहले यह पढ़ लेते हैं की, इसके बारे में, वचन क्या कहता है।

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परमेश्वर का वचन क्या कहता है

परमेश्वर का वचन

देखिए, फिलिप्पियों 2 अध्याय, 14 और 15 की आयत में, परमेश्वर का वचन यह कहता है कि, सब काम बिना कुड़कुड़ाए और, बिना विवाद के, किया करो। ताकि तुम निर्दोष और भोले होकर, टेढ़े और, हठीले लोगों के बीच, परमेश्वर के निष्कलंक सन्तान, बने रहो, (जिन के बीच में तुम, जीवन का वचन लिए हुए, जगत में जलते दीपकों की नाईं, दिखाई देते हो)।

देखिए जी, किसी भी विषय को लेकर, मनुष्य का कुड़कुड़ाना, या अभियोग लगाना, अथवा वादविवाद करना परमेश्वर को अच्छा नहीं लगता है। पर हम सब मनुष्य तो, एक दूसरे के विरुद्ध, कुड़कुड़ाने, अभियोग लगाने, तथा वादविवाद करने में बड़े उस्ताद हैं। अर्थात यदि लोगों को यह पता होता, कि कुड़कुड़ाना उनके लिए, हानिकारक हो सकती है, तो किसी के विरुद्ध, कभी न कुड़कुड़ाते।

क्योंकि इस संसार में टेढ़े और हठीले लोगों की, कोई भी कमी नहीं है। इसलिए परमेश्वर का वचन बताती है कि, लोगों को, निर्दोष और निष्कलंक रह कर, अपनी अपनी जीवन जीना चाहिए। ऐसा जीवन जीएं, जैसे दीपक जलती है। अर्थात, जैसे कि, घोर अन्धकार भी एक रोशनी की चमक को, बुझा नहीं सकती है, वैसे ही इस संसार के टेढ़े और, हठीले लोगों के बिच, आपको परमेश्वर का वचन की शिक्षा और आज्ञाओं को मानते हुए, एक निष्कलंक व्यक्ति बनकर, जीवन का वचन को लिए हुए, न बुझने वाली दीपक की नाईं, हमेशा चमकते रहना चाहिए।

रही बात कुड़कुड़ाने, अभियोग लगाने, तथा वादविवाद करने की, पर हमें यह जानने की आवश्यकता है, कि हम विरोध किसका करते हैं, किसी व्यक्ति का, या परमेश्वर के निर्णय का। देखिए, व्यवस्थाविवरण 1 अध्याय में लिखित, परमेश्वर का वचन यह कहता है, कि इस्राएलियों ने भी, परमेश्वर यहोवा की निर्णय के विरुद्ध, संदेह किया, फिर परमेश्वर और मूसा के विरुद्ध कुड़कुड़ाए थे।

जिसके परिणामस्वरूप, परमेश्वर उन लोगों को, उस देश में जाने नहीं दिया, जिस देश में वह उनको ले जाने वाला था। अर्थात, यरदन के तट पर, परमेश्वर ने इस्राएलियों को चालिस साल तक रोक दिया। क्योंकि परमेश्वर ने यह शपथ खाकर कहा था कि, जितने भी लोग परमेश्वर और मूसा के विरुद्ध कुड़कुड़ाए थे, उन में से कोई भी मनुष्य, उस देश में, नहीं जा सकेगा।

दोस्तों, वास्तव में हम लोग भी, बहुत बार अपने माता पिताओं और गुरुजनों के विरुद्ध, प्रभु के दास और पास्टर के, निर्णय के विरुद्ध, कुड़कुड़ाते रहते हैं। किसी भी संस्थान पर नौकरी करते वक्त, जैसे कि सरकारी हो या गैर सरकारी हो, उनकी सिस्टम के खिलाफ भी लोग कुड़कुड़ाते रहते हैं, जो कि परमेश्वर का वचन के अनुसार, यह उचित नहीं है। ल़ोग चाहते हैं कि, अपने लिए सबकुछ अच्छा ही अच्छा हो। इस अच्छाई की आशा ने उनको, दुसरों के विरुद्ध, कुड़कुड़ाने, अभियोग लगाने, तथा वादविवाद करने में, मजबुर कर देती है। इसलिए लोगों को, परमेश्वर का वचन के मुताबिक, वचन की शिक्षा के अनुसार, अपनी चाल चलन को, सुधार लेना चाहिए।

वचन से परमेश्वर की इच्छा को जानें

देखिए भाई साहब, एक अत्यन्त सत्य विषय, यह भी है कि, किन्हीं कारणों की वजह से, जब भी किसी मनुष्य के जीवन में, हताशा, निराशा और परेशानी के बीच, आगे सोचने की क्षमता नहीं रहती है, तो उस मनुष्य, अपने जैसा दुसरे मनुष्य के पास, या तथा कथित भविष्यवाणी करने वाले के पास, या तो किसी ओझा या किसी भूत साधना करने वाले, या किसी पुजारी के पास, अपने बारे में, पुछने चले जाते हैं।

पर परमेश्वर का वचन कहता है कि, लोगों को परमेश्वर के पास, जाना चाहिए। देखा जाए तो, बहुत बार लोग, अपनी जीवन की समस्या, मान सम्मान और, लोगो के बीच, अपने अस्तित्व को बचाने के लिए, परमेश्वर को छोड़कर कर, किसी साधारण व्यक्ति के पास, अपने भविष्य के बारे में पुछने चले जाते हैं।

परमेश्वर का वचन

1 इतिहास 10:13-14 की आयत में परमेश्वर का वचन कहता है, राजा शाऊल ने भी यह गलती कर के, भूत साधने वाली के पास, पुछने चला गया था। पर इसका परिणाम स्वरूप उसे, परमेश्वर की ओर से, मृत्यु मिली थी। क्योंकि वचन में, इस प्रकार लिखा है कि, यों शाऊल उस विश्वासघात के कारण, मर गया, जो उसने यहोवा से किया था; क्योंकि उसने यहोवा का वचन, टाल दिया था, फिर उसने भूतसिद्धि करने वाली से पूछकर, सम्मति ली थी। उसने यहोवा से न पूछा था, इसलिये यहोवा ने उसे, मार कर राज्य को, यिशै के पुत्र दाऊद को दे दिया।

फिर 2 राजा, 1 अध्याय में, परमेश्वर का वचन यह कहता है, जब शोमरोन के राजा अहज्याह ने, अपने खिड़की से गिरकर बिमार हों गया, तो उसने एक्रोन के देवता बालजबुब से, अपने दूतों को यह पुछने भेजा, की जाओ और बालजबुब से पुछो, की मैं इस बिमारी से, बचूंगा या नहीं। पर उसी घड़ी परमेश्वर के दूत ने तिशबी एलिय्हाह को, यह कहने भेजता है, कि क्या, इस्राएल में कोई परमेश्वर नहीं, जो तुम एक्रोन के बालजबूब देवता से पूछने जाते हो? इसलिये अब यहोवा तुझ से यों कहता है, कि जिस पलंग पर तू पड़ा है, उस पर से कभी न उठेगा, परन्तु मर ही जाएगा।

निष्कर्ष

दोस्तों, हम लोग बहुत बार, जाने अंजाने में, एक दूसरे के विरुद्ध, अपने पड़ोसी के विरुद्ध, कर्म क्षेत्र में, परेशानी, समस्या और बिमारी के समय में, कुडकुडा कर, बेवजह परमेश्वर के खिलाफ, बोलने लग जाते हैं। आप पुछ सकते हैं, कि यह कैसे? हमने तो परमेश्वर के विरुद्ध, एक भी शब्द नहीं बोला। आप यहीं पर गलती कर बैठते हैं। क्योंकि सारे सिस्टम जो है, वह परमेश्वर का, बनाया हुआ है।

तो दोस्तो, आप परमेश्वर का वचन और इशारा को, अच्छी तरह से, समझ गए होंगे। इसलिए आज से आप, फिजूल की बातों में, मन लगाना छोड़कर, परमेश्वर का वचन की शिक्षाओं, आज्ञाओं और वचन पर मन लगाएं, जिससे आप शारीरिक, आत्मिक और अपने निजी क्षेत्र में, एक सफल व्यक्ति बन सकते हैं। क्योंकि आप झूठे हो सकतें हैं, और झूठ भी बोल सकते हैं। परन्तु परमेश्वर का वचन, झूठा नहीं हो सकता है।

क्योंकि मरकुस 13:31 की वचन कहता है, “आकाश और पृथ्वी टल जाएंगे, परन्तु मेरी बातें कभी न टलेंगी।” दोस्तों मैं चाहता हूं कि, आज का यह वचन आपके जीवन में, सौ गुना फल उत्पन्न करने में, सफल हो। एक और बात, यदि आपको वचन अच्छा लगे, तो लाइक, और कमेंट जरुर किजिएगा। शान्ति का परमेश्वर आपको, आशीष और वरदान से परिपूर्ण करें। आपका दिन शुभ हो, धन्यवाद।।

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