आज हम बाइबल अध्ययन के जरिए से, खास करके धन्यवाद की विषय को लेकर आपके सामने उपस्थित हो रहे हैं। क्योंकि यह जानना बेहद जरूरी है, कि कौन परमेश्वर को धन्यवाद दे सकता है। देखिए, हम यह चाहते हैं, कि परमेश्वर के लोगों के पास किसी भी प्रकार के ज्ञान की कमी नहीं होना चाहिए।
देखिए, संसार के सभी जानते हैं, कि जो लोग आर्थिक मदद करते हैं, भले कामों में सहायता करते हैं, बीमारी और संकट की घड़ी में लोगों का साथ देते हैं। इसके अलावा और भी बहुत सारे जनहित कार्य में जो लोग सहायता करते हैं, अक्सर उन्हें धन्यवाद दी जाती है। परंतु परमेश्वर को धन्यवाद कौन दे सकता है, जानने के लिए हम भजन संहिता 140:13 की वचन को पढ़ लेते हैं। उसमें इस प्रकार लिखा है,
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धन्यवाद का बाइबल वचन
“नि:सन्देह धर्मी तेरे नाम का धन्यवाद करने पाएंगे; सीधे लोग तेरे सम्मुख वास करेंगे॥”इस वचन को समझने के लिए, खासकर 2 बात पर ध्यान केंद्रित करना होगा। पहला धर्मी जनों का धन्यवाद, और दूसरा परमेश्वर के सम्मुख सीधे लोगों का वास करना।
पहली बात यहां पर धर्मी लोगों के बारे में वचन यह कहता है, कि वे no doubt, नि:सन्देह या निश्चित रूप से परमेश्वर को धन्यवाद करेंगे। पर बहुत से ज्ञानी लोगों के मन में यह सवाल उत्पन्न हो सकता है, कि भाई क्या सिर्फ धर्मी लोग परमेश्वर को धन्यवाद दे सकते हैं और बुरे लोग नहीं? देखिए इसका उत्तर जानने के लिए, सबसे पहले धर्मी और बुरे लोगों की काम और जीवन शैली के बारे में जानना जरूरी है।
धर्मी लोगों की काम और जीवन शैली में सच्चाई, ईमानदारी, न्याय, प्रेम, नम्रता, शांति तथा परोपकार के गुण झलकती है। और जो लोग धार्मिकता से जीवन जीते हैं, वे बेवजह पाप और बुराई को अपने गले में डालना नहीं चाहते हैं। पर जो लोग बुरे हैं, उनका कर्म और जीवन शैली भी सत्य के विपरीत है। अर्थात बुरे लोग हमेशा पाप पर मन लगाते हैं। यहां पर समझने वाली बात यह है, कि धार्मिक लोगों को परमेश्वर की आशीर्वाद, वरदान और अनुग्रह मिलता है, और बुरे लोग परमेश्वर की करुणा से वंचित हो जातें हैं।
तो आप ही बताइए, कि परमेश्वर को धन्यवाद कौन दे सकता है? धर्मी या बुरे लोग! निश्चित रूप से धर्मी लोग ही परमेश्वर को धन्यवाद देंगे, क्योंकि उन्हें परमेश्वर कि ओर से आशीष मिलता है। Yes or no! Definitely आप yes ही कहेंगे, है न! इसलिए कि वचन कहता है, कि धर्मी लोग नि:सन्देह परमेश्वर को धन्यवाद दे पाएंगे। फिर भजन संहिता 11:7 की वचन भी यह कहता है,“क्योंकि यहोवा धर्मी है, वह धर्म के ही कामों से प्रसन्न रहता है; धर्मी जन उसका दर्शन पाएंगे।” इसलिए ऐसा काम करना चाहिए, जिससे परमेश्वर को प्रसन्नता मिले। अर्थात पाप नहीं करना चाहिए। तब ही परमेश्वर आपकी भक्ति पर ध्यान देंगे।
फिर भजन संहिता 140:13 कि वचन में दुसरी बात यह भी देखने को मिलता है, की सीधे लोग परमेश्वर के सम्मुख वास करेंगे। यहां पर सीधे का मतलब नम्र या विनीत लोगों को समझा जाता है। गिनती 12:3 की वचन में बाइबल मूसा को सबसे अधिक नम्र व्यक्ति कहता है। क्योंकि उसमें इस प्रकार लिखा है: “मूसा तो पृथ्वी भर के रहने वाले मनुष्यों से बहुत अधिक नम्र स्वभाव का था।” फिर मत्ती 11:29 की वचन में भी प्रभु यीशु खुद को नम्र कहते हुए देखा जाता है। क्योंकि उसमें इस प्रकार लिखा है। “मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो; और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूं: और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे।”
समझने वाली बात यह है कि जो लोग सीधे अर्थात नम्र हैं, वे मूसा की तरह परमेश्वर के सम्मुख निवास कर सकते हैं। जो लोग नम्र हैं, उनकी प्रार्थना निश्चित रूप से परमेश्वर सुनते हैं। फिर जिसकी प्रार्थना परमेश्वर सुनते हैं, वही लोग परमेश्वर को धन्यवाद भी दे पाएंगे। देखिए धन्यवाद तो कोई भी दे सकता है, पर क्या कहा जाए, क्योंकि बुरे लोगों को अपने बुराई की कर्मों से फुर्सत कहां मिलता है। लोग बुरे होने पर भी दिखावा ऐसे करेंगे, जैसे उन्हें कुछ भी नहीं पता हो।
परमेश्वर को आशीषित लोग भी धन्यवाद नहीं करते हैं
पर और एक बात आशीष, चंगाई और वरदान मिलने के वाबजूद सब कोई परमेश्वर की बड़ाई या धन्यवाद नहीं करते हैं। क्योंकि इसका प्रमाण (लूका 17:12-19) की वचन के अनुसार देखा जाए तो, दस कोढ़ी को चंगाई मिलने के बाद भी उसमें से एक ही आकर परमेश्वर की बढ़ाई करता है।
यहां पर समझने वाली बात यह है, कि यदि कोई व्यक्ति आपको उपहार देता है, तो आप उसकी धन्यवाद और प्रशंसा करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। पर क्या आप परमेश्वर को जिसने आपके जीवन की सुख और दुःख हर समय में साथ रहकर सुरक्षा प्रदान करता है। उसे आप धन्यवाद देना भूल जाते हैं।
क्या आप परमेश्वर के साथ वैसे ही अच्छे व्यवहार रखते हैं, जैसे कि लोगों को धन्यवाद देते समय करते हैं। प्रभु यीशु उन दस कोढ़ी की चंगाई के बाद धन्यवाद न करने की आलोचना इसलिए किया की, इसके जरिए से वह दुनिया की लोगों को हर प्रकार की अच्छाई के लिए, परमेश्वर को धन्यवाद देने की शिक्षा दे सके। इसलिए आप लोगों को भी अपने अच्छे शिष्टाचार को अपनाना चाहिए और अपने आसपास की हर अच्छाइयों के लिए परमेश्वर को सदैव धन्यवाद देते रहना चाहिए।
दोस्तों मैं अंत में यही कहना चाहूंगा कि परमेश्वर को हर समय धन्यवाद देते रहना चाहिए। जैसे कि बोली वचन, चाल चलन, सोच विचार, इच्छा, बुद्धि, देखने, सुनने, खाने पीने और तरह तरह, की कर्मों से परमेश्वर को धन्यवाद देते रहना चाहिए। यदि आप किसी भी प्रकार की पाप और बुराई के कर्म में लिप्त हैं, तो उसे छोड़ दें तो आपके लिए बेहतर हो सकता है।
क्या कोई माता पिता अपने पुत्र पुत्रियां को भूल सकते हैं, नहीं न। यदि वे भूल भी जाएं पर परमेश्वर किसी को नहीं भूलते हैं। क्योंकि यशायाह 49:15 की वचन में इस प्रकार लिखा है,“क्या यह हो सकता है कि कोई माता अपने दूधपिउवे बच्चे को भूल जाए और अपने जन्माए हुए लड़के पर दया न करे? हां, वह तो भूल सकती है, परन्तु मैं तुझे नहीं भूल सकता।”
निष्कर्ष
दोस्तों इस संसार में मनुष्य अपने पुत्र पुत्रियां को भूल सकते हैं। पर परमेश्वर जिसने आपको मुझको और सारी सृष्टि को बनाया है, वह सबको सदा स्मरण रखता है। इसलिए आप भी खासकर सांसारिक अभिलाषा और पाप को छोड़े, तथा हर विषय के लिए , दिन रात परमेश्वर को धन्यवाद देते रहें। यदि आप चाहते हैं, कि परमेश्वर आपकी प्रार्थना और बड़ाई सुनें, तो आपके पास एक ही विकल्प है, कि आप पश्चाताप करते हुए, पाप को छोड़ें। मैं उम्मीद करता हूं, कि परमेश्वर को धन्यवाद कैसे देना चाहिए, यह आपको अच्छी तरह से समझ में आ गया होगा। दोस्तों यदि आपको वचन अच्छा लगे तो comment जरूर किजिएगा।
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