क्रुस के इस लेख में आज मैं आपको प्रभु यीशु की क्षमा करने की एक महान रहस्य को बताऊंगा। हो सकता है, कि इतिहास के पन्नों पर बहुत से लोगों को क्रुस पर चढ़ाया हुआ मिल भी जाएगा। पर उन लोगों को सजा भी अपना किया हुआ गुनाह के कारण मिला होगा। परन्तु यीशु मसीह का कोई भी गुनाह नहीं था। और एक बात मरे हुए लोगों को कोई भी याद नहीं करता है। पर यीशु मसीह जीवित है, इसलिए प्रभु यीशु को लोग हमेशा याद रखते हैं।
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क्रुस से क्षमा का संदेश
मैं आपको यह बताना चाहता हूं, कि बेगुनाह की बात तो छोड़िए, पर यदि कोई हमें हमारे गुनाहों के कारण भी दंड देता, तौ भी हम उसे गालियां देने लगते। पर यीशु मसीह क्रुस पर अपने मृत्यु की घड़ी में भी मारने वालों को क्षमा किया। देखिए, Luke 23:34 की वचन में यीशु क्या कहते हैं? यीशु ने कहा; हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहें हैं,
आज यीशु मसीह की यह वचन आप पर, मुझ पर और सारे पृथ्वी के लोगों के लिए लागू होता है। क्योंकि हो सकता है, कि आप बहुत पढ़ें लिखे लोग होंगे, आप बहुत बड़े विद्वान या ज्ञानी होंगे। पर जब पाप करने की बात आती है, तो उस समय आप एक नादान बच्चे की तरह गलती करते होंगे। आपका बुद्धि, ज्ञान और विवेक उस समय काम नहीं करती होगी।
आप सबको पता है, कि जो पाप गुनाह करते हैं, उनको अवश्य दंड मिलने की प्रावधान है। आपका क्या विचार है, कि आप पाप करके परमेश्वर के सामने बेगुनाह साबित होंगे। यदि ऐसा होता तो शायद यीशु को क्रुस के उपर मृत्यु के घड़ी में यह नहीं कहना पड़ता कि हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहें हैं।
आपके लिए यह सोचना ग़लत हो सकता है, कि उस समय के लोग पापी थे, इसलिए यीशु मसीह को क्रुस पर चढ़ाया था। यदि हम उस समय होते तो ऐसा नहीं करते! दोस्तों, समय बदल रहा है, पर मनुष्य का पाप करने का विचार नहीं बदल रहा है। लोग पहले भी पापी थे और आज भी पाप में जी रहे हैं। क्योंकि Romans 5:6 इस प्रकार कहता है, जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिये मरा। यहां पर वचन भक्तिहीन अर्थात पापियों को संबोधित कर रहा है। क्योंकि हम सब पापी हैं। और यीशु मसीह हमारे पापों के लिए क्रुस पर मरा।
क्या आप सच में परमेश्वर की भक्ति तन मन से करते हैं? यदि हां है, तो आपको पाप के सभी की गतिविधियों से दूर रहना चाहिए। प्रभु की भक्ति सिर्फ मुख से नहीं! बल्कि तन मन से और आज्ञाकारी बन कर उसकी शिक्षाओं का पालन करना होगा। अन्यथा Isaiah 29:13 में लिखा प्रभु का वचन आप पर जरुर पूरा हो जाएगा कि ये लोग जो मुंह से मेरा आदर करते हुए समीप आते परन्तु अपना मन मुझ से दूर रखते हैं, और जो केवल मनुष्यों की आज्ञा सुन सुनकर मेरा भय मानते हैं।
दोस्तों, प्रभु आपसे क्या चाहता है? की आप भारी बोझ उठा कर दिन भर खड़े रहें। नहीं! बल्कि उसने आपको सरल भाषा में पाप न करने को कहता है। यदि कोई मनुष्य आपको दिन भर धूप में खड़े रहने को कहता और यदि उसकी आज्ञा को न मानने से भारी दंड का प्रवधान होता तो शायद आप धूप में खड़े रह जाते। परन्तु प्रभु आपको दंड दे कर नहीं! बल्कि प्रेम से कह रहा है, और इस प्रेम का प्रमाण उसने क्रुस पर मर कर दिया है।
क्या प्रभु यीशु की मृत्यु में मनुष्य वाली स्वार्थ है? अपने स्वार्थ के लिए तो लोग जीना चाहते हैं। पर मरना कोई भी नहीं चाहेगा। परन्तु यीशु प्रभु थे, हैं और सदा काल रहेंगे। इसलिए उसने आपके लिए, मेरे लिए और सबके लिए क्रुस पर मरा और जी भी उठा। इसलिए अवश्य हम सबको पाप नहीं करना चाहिए।
निष्कर्ष
इसलिए अन्त में मैं यही कहूंगा कि आप लोग प्रभु यीशु मसीह की क्रुस की इस शिक्षा को समझें और नादान बच्चे की तरह पाप पर पा न करें! बल्कि बुद्धिमान और होनहार व्यक्ति की तरह अपने किए हुए पापों के लिए, प्रभु के निकट क्षमा याचना करें और यीशु मसीह की क्रुस मरण और जी उठने को सदैव स्मरण रखें। जिसने मारने वालों को भी न रोका और न ही टोका, बल्कि वध करने वाले मेमना की तरह उनके साथ साथ क्रुस के स्थल पर चल पड़ा। यदि वह बचना चाहते तो कोई भी प्रभु का कुछ बिगाड़ नहीं सकता था।
मेरा कहने का मतलब यह है, कि आप लोग प्रभु का नाम लेना भुल जाते हैं, परन्तु नेता, अभिनेता और खिलाड़ियों का नाम मुंह में हमेशा रटते रहते हैं। दोस्तों, आज के लिए इतना ही कहुंगा। यदि आपको वचन अच्छा लगा हो तो कमेंट जरुर कीजियेगा। शान्ति का परमेश्वर आपको हर प्रकार की पाप के गतिविधियों बचाएं। आपका जीवन में शुभ और शांति का वास हो। धन्यवाद।।