क्यों मन फिराएंं, कुदरत और मनुष्य की कानून में जमीन आसमान का फर्क है। एक तरफ देखा जाए तो; संसार में मनुष्य अपने गुनाहों के कारण मिलने वाली दंड से बचाव के लिए; घूस देकर कानून को बदलते हैं। पर दूसरी तरफ ईश्वर की कानून के आगे धन का घमंड और मनुष्य की तानाशाही या रोबदार काम नहीं आती। क्योंकि ईश्वर के समीप जो झुकते हैं, वही टिकते हैं। क्योंकि ईश्वर को नम्र स्वभाव के लोग पसन्द है। (गिनती 12:3) अगर आप भी जानना चाहते हैं, कि मन क्यों फिराएं या पाश्चाताप क्यों करना चाहिए? इसकी लाभ और नुकसान क्या है? तो इस विषय को पढ़ने की कष्ट जरूर करें।
क्या मन फिराने से पाप क्षमा और शांति मिलती है
दोस्तों ईश्वर की हजूरी में आपका बहुत-बहुत स्वागत है। आप का चुनाव सही है; इसलिए आप यह वचन को पढ़ रहे हैं। क्योंकि ईश्वर आपसे प्रेम करता है, और वह बताना चाहता है, की प्रेम के बदले में आपने उनको पाप गुनाह करके दर्द दिया है। परंतु आपको वह एक अवसर देना चाहते हैं, आप मन फिराएं, अर्थात अपने किए हुए गुनाहों के लिए पश्चाताप करके प्रभु से क्षमा मांगे। क्योंकि (प्रेरेरितों के काम 3:19) के वचन कहता है, कि मन बदल कर या पाश्चाताप करके प्रभु के निकट लौट आओ; जिससे तुम्हारे पास क्षमा किया जाएगा, और तुम्हारे निकट शांति का दिन आएगा।
- पहला बात जान लें कि मन फिराने से मनुष्य के द्वारा किया गया, पाप गुनाहों से क्षमा मिलती है, और दूसरा संकट, बिमारी, समस्याओं से राहत या शांति मिलती है। इसलिए सभी जाति और धर्म के लोगों को पाश्चाताप करके पापी मन को बदल कर ईश्वर के अभिमुख लेना चाहिए।
क्या कोई मन फिराने से स्वर्ग राज्य के निकटवर्ती होता है
देखिए इसलिए मन फिराएं, क्योंकि (मत्ती 3:2 और मत्ती 4:17 ) का वचन कहता है, की मन फिराओ या पाश्चातप करो; क्योंकि स्वर्ग राज्य निकट है। स्वर्ग राज्य के निकट का मतलब, ईश्वर के निकटवर्ती होना। अगर पाश्चाताप या मन फिराना मनुष्य को ईश्वर के निकटवर्ती करा सकता है, तो न समझ बन कर देर क्यों करें; बल्कि मन फिराएं और ईश्वर की आशीष का वारिस बन जाएं।
- क्या ईश्वर लोगों से सोना-चांदी, या धन-दौलत मांग रहा है, नहीं न! केवल वह इतना चाहता है, कि पाप और संसारिक विषय-वस्तु पर आकृष्ट मन को बदल कर ईश्वर की इच्छा के मुताबिक चलें और धर्म कर्म करने लग जाएं। अर्थात (गंदी मूवी देखना, गंदी बातें बोलना, गंदी comments करना, fb, whatsapp तथा अन्य सभी social media platform पर गंदी chatting करना; व्यभिचार, हत्या, चोरी, मादक द्रव्यों का सेवन और कुकर्मों को छोड़कर ईश्वर की इच्छा अनुसार चलने वाला व्यक्ति बने। इसलिए मन फिराएं क्योंकि पाप स्वर्ग राज्य के निकटवर्ती अर्थात ईश्वर के समीप आने में बाधा उत्पन्न करती है।
पवित्र आत्मा का दान
देखिए, इसलिए भी मन फिराएं; क्योंकि (प्रेरितों के काम 2:38) का वचन कहता है, की मन फिराकर बपतिस्मा लेने से पवित्र आत्मा का दान मिलता है। सभी लोग जानते हैं, कि कोई भी दुष्ट व्यक्ति को प्रभु का आशीष नहीं मिलता। परंतु ईश्वर की आशीष और वरदान पाने के लिए, ईश्वर को प्रसन्न करने के योग्य चाल चलना चाहिए। बुराई और भलाई के दो नाव में पैर रखने की बजाय संपूर्ण रूप से सत्य अर्थात ईश्वर की इच्छा अनुसार चलना चाहिए। क्योंकि ईश्वर आधा सत्य और आधे पाप पर चलने वाले लोगों को पसंद नहीं करते। इसलिए सत्य पर चलें, जिस से परमेश्वर की आशीष के अधिकारी बन जाएंगे।
मन न फिराने या पाश्चाताप न करने की नुकसान
ऊपर में तो आपने पाश्चाताप या मन फिराने की फायदे के बारे में देख लिए, परंतु कुछ ऐसे वचन को भी जानना अति आवश्यक है; जो कि मन न फिराने से नुकसान हो सकती।
1
कभी-कभी लोगों से सुनने को मिलता है, कि कोई व्यक्ति किसी भी बिमारी, संकट या समस्या में पड़ जाए; अथवा किसी की आकस्मिक मृत्यु हो जाने से लोग कहते हैं; कि वह बड़ा पापी था, इसलिए उसके ऊपर ऐसी विपत्ति पड़ी है। परन्तु ऐसा नहीं है; (लूका 13:3 और 13:5) के वचन में प्रभु यीशु कहते हैं, परंतु अगर तुम भी मन न फिराओगे तो इसी प्रकार नाश हो जाओगे। इस वचन से पता चलता है, की अगर मनुष्य मन न फिराएं या पाश्चाताप न करें, तो उसके जीवन में बीमारी, संकट, समस्या और मृत्यु जैसी आपदा आ सकती है। इसलिए यह जान ले और मन फिराएं,की मन फिराने से जीवन मिलती है।
2
सबके घर में light जलाई जाती है, और light का मुख्य काम अंधेरे को दूर करना होता है। पर क्या आप जानते हैं, कि वह light बिना holder के जलती नहीं है। यूं कहें तो वह light बिना holder के बेकार है। इसी बात को प्रभु यीशु इफिसुस की कलीसिया के दूत तथा लोगों को कहना चाह रहे हैं, की मन फिराएं और पहले जैसा प्रेम अर्थात प्रार्थना, वचन और सुसमाचार में समय बिताएं। अन्यथा तुम्हारे दीवट अर्थात कलीसिया को तुम्हारे सम्मुख से हटा दिया जाएगा।
- देखिए जैसे holder के बिना light बेकार है, वैसे ही कलीसिया के बिना पास्टर और मसीही लोग भी बेकार हो जाएंगे। इसीलिए प्रभु कहते हैं, कि मन फिराओ। (प्रकाशित वाक्य 2:5) इस वचन से पता चलता है, कि मन न फिराने से आशीष पर खतरा हो सकता है; क्योंकि पास्टर और मसीही बनना भी एक आशीष है। इसलिए (यूहन्ना 6:44 और यूहन्ना 6:65) के वचन बताता है, कि जब तक पिता ईश्वर की कृपा न हो तो कोई भी मनुष्य प्रभु यीशु के पास आ नहीं सकता। इसलिए पास्टर हो या मसीह विश्वासि सभी को पाशश्चाताप करना चाहिए।
3
यदि कोई ईश्वर की शिक्षा को छोड़कर, गलत शिक्षा के अनुसार जीवन गुजरता हो तो उसे मन फिराने की जरूरत है। व्यभिचारी और मूर्तियों के बलि प्रसाद खाने वाले मसीही लोगों को प्रभु मन फिराने को कहते हैैं, क्योंकि बहुत सारे लोग प्रभु की प्रार्थना करने के साथ-साथ मूर्तियों की भी उपासना करते हैं; और खुद बलि प्रसाद खा कर दुसरे को भी खिलाते हैं। इसलिए प्रभु यीशु कहते हैं;
- सो मन फिरा, नहीं तो मैं तेरे पास शीघ्र ही आकर; अपने मुख की तलवार से उन के साथ लडूंगा। प्रकाशित वाक्य 2:16
- पर प्रभु धीरज धरता है, जिससे लोग मन फिराएं। क्योंकि ( 2 पतरस :3:9) कहता है; की कोई भी नाश न हो; इसलिए प्रभु धीरज धरता है, और लोगों को मन फिराने के लिए अवसर देता हैं, (व्यवस्थाविवरण 18:9-12) की वचन कहता है; परंतु शुभ अशुभ मुहूर्तों को मानने वाला, भूत साधने और भूत को जगाने वाला; टोन्हा, तांत्रिक, मूर्तिपूजक और बलि प्रसाद खाने वालों से ईश्वर घृणा करता है।
- प्रभु कहते हैं, मैं ने उस को मन फिराने के लिये अवसर दिया, पर वह अपने व्यभिचार से मन फिराना नहीं चाहती। प्रकाशित वाक्य 2:21
- यहां पर प्रभु, मन फिराने के लिए, किसे कह रहे हैं; इजेबेल यानी की Lucifer शैतान की शिक्षा, व्यभिचार, मूर्तियों की पूजा-पाठ और बलि प्रसाद खाने वाले लोगों को; हैं न! परन्तु जब वे पाप को छोड़ना नहीं चाहते, तो प्रभु कहते हैं;
- देख, मैं उसे खाट पर डालता हूं; और जो उसके साथ व्यभिचार करते हैं यदि वे भी उसके से कामों से मन न फिराएंगे तो उन्हें बड़े क्लेश में डांलूगा। प्रकाशित वाक्य 2:22
- प्रभु की ओर से मन फिराने कि अवसर मिलने के बाद भी यदि कोई व्यभिचार और ईश्वर की दृष्टि में घृणास्पद कर्म में लिप्त रहता है, तो उपरोक्त वचन कह रहा है, कि उनको खाट में डालने का मतलब बीमारियों से पीड़ित करने की बात हो रही है। इसलिए प्रभु की ओर से मिलने वाली पाश्चाताप का अवसर को अपने हाथ से जाने न दें और मन फिराएं।
4
प्रभु चाहते हैं कि लोग पाप, बुराई को छोड़कर सच्चाई और अच्छाई की शिक्षा पर बने रहे। (प्रकाशित वाक्य 3:3) के वचन कहता है, मन फिरा कर सावधान और जागृत होकर प्रभु की शिक्षा पर चलते रहना चाहिए। अन्यथा तू कदापि जान नहीं पाएगा, कि किस घड़ी तुझ पर आप पड़ूंगा। पाप में लिप्त रहने के समय में, यदि प्रभु आ जाए तो सोचिए उस मनुष्य का कहानी खत्म। इसलिए पाश्चाताप करें या मन फिराएं और प्रभु की शिक्षा में बने रह कर सदा सर्वदा तैयार रहें।
5
5: प्रकाशित वाक्य 3:19 कहता है कि मैं जिन से प्रेम करता हूं, उन्हें ताड़ना भी देता हूं; इसलिए उत्साही बने और मन फिराएं। अर्थात समय-समय पर लोगों को जो संकट, समस्या और बीमारी का दुख मिलता है, वह मन फिराने के लिए, प्रभु की ओर से एक चेतावनी है। पर चेतावनी को देखते हुए, भी यदि लोग पाश्चाताप नहीं करते हैं, तो जान लें कि प्रभु को क्रोधित करने के अलावा और कुछ भी नहीं कर रहे हैं।
निष्कर्ष
देखिए हम तो सिर्फ प्रभु के वचनों को आपके सामने रखने की कोशिश कर रहे हैं, उसे मानना या न मानने का अधिकार आपका है। परंतु संकट, समस्या और बीमारी के समय में जब ईश्वर से दुआ की जाती है, और दुआ काम नहीं करती है; तो यह समझ लें कि ईश्वर की वचन को न मानने का स्राप के कारण ऐसा होता है। क्योंकि ईश्वर सत्य है और वह जो कह दिया है, वह कभी नहीं टलता। क्योंकि (मत्ती 24:35) के वचन कहता है, भले ही आकाश और पृथ्वी टल जाएंगे परंतु प्रभु का वचन कभी नहीं टलेगा। इसलिए सचेत होकर मन फिराएं। धन्यवाद।।
Thank you so much and God bless your family