आज का बाइबल पाठ | मरकुस 1:15 | यीशु की वचन का 5 खास बात | Best bible teaching

आज का बाइबल पाठ में हम देखेंगे कि मरकुस 1:15 का अर्थ क्या है? क्योंकि उसमें लिखा है, समय पूरा हुआ है और परमेश्वर का राज्य निकट आ गया है, मन फिराओ और सुसमाचार पर विश्वास करो। दोस्तों इस वचन में हमें यीशु की वचन का 5 खास बात देखने को मिलता है। तो चलिए देखते हैं, कि वह क्या क्या है?

1) समय का पुरा होना (2) परमेश्वर का राज्य निकट आना (3) मन फिराने की निर्देश (4) सुसमाचार को दरकिनार न करना (5) यीशु की वचन पर विश्वास

1) समय का मतलब को आज का बाइबल पाठ से समझें

आज का बाइबल का पाठ के जरिए से, इस वचन को हम गहराई से समझने की कोशिश करते हैं। पहली बात प्रभु यीशु का कहना है, कि समय पूरा हो चुका है? देखिए, हम साधारण मनुष्य की दृष्टि में प्रभु के द्वारा जिक्र कि गईं इस समय का मतलब को समझना इतना आसान नहीं है। पर इतना तो लोग जानते ही हैं, कि हर चीज का समय निर्धारित की गई है। उदाहरण के तौर पर कहना चाहूंगा कि, जैसे वर्षांत, का, ठंड, और धूप अपने समय के अनुसार ही होता है। वैसे ही बाइबल के अनुसार भी परमेश्वर की ओर से मनुष्यों के लिए समय निर्धारित की गई है।

देखिए हम मनुष्य ईश्वर को 100% जानने की दावा करते हैं, और अपने को धार्मिक व्यक्ति समझते हैं। पर यदि हम मनुष्य परमेश्वर के द्वारा कही गई आज्ञा और नियम को ही नहीं मानते हैं, तो क्या हम धार्मिक व्यक्ति में गिने जा सकते हैं, कभी नहीं। क्योंकि प्रभु यीशु आज का बाइबल पाठ में कहते हैं, कि वह समय अभी खत्म हो चुका है, जिस तरह पहले आप जीवन जी रहे थे।

अर्थात पाप करने का समय खत्म हो चुका है। गाली देने का, व्यभिचार करने का, ईर्ष्या करने का, चोरी करने का, लालच करने का, बैर करने का, हत्या और तरह-तरह की पाप करने का समय आपके लिए खत्म हो चुका है। क्योंकि मनुष्य का पाप को झेलने के लिए परमेश्वर के पास और समय नहीं है। इसको समझने के लिए, आज का बाइबल पाठ को जरूर पढ़ने की कष्ट किजीए।

2) परमेश्वर की राज्य का निकट आना

क्योंकि प्रभु यीशु कहते हैं, परमेश्वर का राज्य निकट आ गया है। प्रभु का यह वचन आपके पास तब पूरा होता है जब आप पाप नहीं करते हैं। क्योंकि परमेश्वर का राज्य पापी लोगों के बीच में नहीं रह सकता। यदि आप परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना चाहते हैं, यहां पर मैं स्वर्ग राज्य के बारे में नहीं कह रहा हूं! बल्कि इस धरती पर परमेश्वर का राज्य आप के बीच में होने के बारे में कह रहा हूं। क्योंकि परमेश्वर का राज्य आपके मन, स्वभाव और दैनिक जीवन के चाल चलन से ही शुरू होता है। यह सोचने की गलती मत करना कि मैं मरने के पश्चात स्वर्ग राज्य चला जाऊंगा।

क्योंकि यदि आप जीते जी इस धरती पर स्वर्ग राज्य की स्थापना नहीं किए हैं, तो यह कौन जानता है, कि मरने के बाद आप स्वर्ग जाएंगे। आज का बाइबल पाठ ( लूका 20:38 ) की वचन से भी हमें यह जानना है, कि परमेश्वर जीवितों का परमेश्वर है। आप लोग देखे होंगे और सुनें भी होंगे की धार्मिक व्यक्ति का मृत्यु के पश्चात भी चर्चा होती रहती है। पर अधर्मी को उसके जीते जी और मरने के बाद भी लोग गाली देते रहते हैं। अर्थात परमेश्वर का राज्य हमेशा धार्मिक लोगों के बीच में निवास करती है। इसलिए प्रभु यीशु लोगों को स्मरण दिलाते हैं, कि परमेश्वर का राज्य आपके निकट है।

3) मन फिराने की निर्देश

यदि आप पापमय जीवन गुजारते हैं, और तरह-तरह की पाप में जकड़े हुए हैं। पाप का गुलाम बन कर , आप उठते, बैठते, सोते, जागते सिर्फ पाप की ही कल्पना करते हैं। तो थोड़ा शांत मन से बैठ कर, दो मिनिट आंख मूंदकर, जन्म से लेकर आज तक आप से की गई अच्छाई और बुराई के बारे में थोड़ा सोचें। क्योंकि इस से आप खुद ब खुद जान जाएंगे कि आपको अच्छे मार्ग में चलने, मन फिराने या पश्चाताप करने की जरूरत है कि नहीं। क्योंकि यदि आप आज का बाइबल पाठ को हल्के में लेंगे, तो इस जटिल बात को समझने में परेशानी होगी। यदि आप आपके जीवन में होने वाले पाप और बुराई को ब्रेक लगाना चाहते हैं।

तो भाई साहब पाप से तौबा कर लें, और ऐसा पश्चाताप कर लें, कि बार-बार इसकी आवश्यकता ना पड़े। एक मद्यपान करने वाले व्यक्ति की तरह नहीं! बल्कि सच्चे मन से पाप और बुराई को तौबा कर दें। क्योंकि मद्यपान करने वाला व्यक्ति मदिरा छोड़ने की प्रण तो कर लेता है, पर वह बीच-बीच में मिलने से पीते रहता है। अर्थात परमेश्वर वैसे व्यक्ति से नाखुश रहता है, जो लोग पश्चाताप करने के पश्चात भी बार-बार पाप करते रहते हैं। क्योंकि इस बात से आपको यह स्मरण करना चाहिए कि प्रभु यीशु ने समस्त मानव जाति के लिए एक बार क्रूस पर मर कर जी उठा है।

पर जरा सोचिए, कि जब आप संसारिक राजा के डर से दोबारा अपराध करना नहीं चाहते हैं, तो क्यों सारी सृष्टि के बादशाह परमेश्वर को न डरते हुए पाप करते रहते हैं। परमेश्वर तो आपको प्रेम से कहता है, कि मन फिराओ पाप को छोड़ो और मेरे निकट आ जाओ। पर यदि आप उसकी प्रेम भरा संदेश को अनसुना करते हैं, तो आप बहुत बड़ी मूर्खता कर रहे हैं। क्योंकि परमेश्वर दंड देकर पापी लोगों का मन को बदलना नहीं चाहते हैं, बल्कि प्रेम से लोगों को बदलना चाहते हैं। यह आप पर निर्भर करता है, कि आज का बाइबल पाठ के माध्यम से आप प्रभु यीशु से कैसे और क्या सुनना पसंद करते हैं।

आज का बाइबल पाठ
आज का बाइबल पाठ

4) सुसमाचार को दरकिनार न करना

आज का बाइबल का पाठ से यह निर्णय लेना है, हम मनुष्य क्या देखते और सुनते हैं। क्योंकि जब सुसमाचार की बात आती है, तो मुझे यह जबरन कहना पड़ता है। क्योंकि एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को संसारिक विषय और संसारिक बातों को सुनाने में ही प्रसन्न होता है। लोग शैतान की जाल से इस कदर उलझे हुए हैं, कि, सुसमाचार अर्थात जीवन की बातों को सुनना पसंद नहीं करते हैैं। लोग फिल्में, सीरियल और तरह-तरह की कॉमेडी को देखने और सुनने में ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं। पर जीवन बदलने वाली, मार्ग दिखाने वाली और लोगों की चाल-चलन को सुधारने वाली प्रभु यीशु की वचन को लोग दरकिनार कर देते हैं।

परंतु मनुष्य को यह समझने की जरूरत है, कि बाइबल में लिखी गई सुसमाचार मनुष्य का नहीं! बल्कि परमेश्वर का जीवित वचन है। क्योंकि ( यूहन्ना 14:24 ) की वचन में प्रभु यीशु कहते हैं, कि जो वचन मैं तुम्हें सुना रहा हूं वह मेरा पिता का है। यदि कोई कहता है कि वह परमेश्वर की आज्ञा और इच्छा के मुताबिक चलता है। पर यदि वह परमेश्वर के वचन को, बाइबल के वचन को नहीं सुनता है। तो वह झूठा है। क्योंकि ( यूहन्ना 1:1 ) की वचन से हमें यह मालूम चलता है कि परमेश्वर ही वचन है। इसलिए परमेश्वर की बातें अर्थात सुसमाचार से दूर न हो कर, उसको जरूर सुनना चाहिए।

5) यीशु की वचन पर विश्वास

आज का बाइबल का पाठ की आखिरी पड़ाव में हम देखेंगे, कि प्रभु यीशु के द्वारा कहा गया था, सुसमाचार पर विश्वास करो। पर एक व्यक्ति जो पाप में जीवन गुजार रहा है, उसका विश्वास कैसे उत्पन्न हो सकता है? देखिए, इसके लिए हमें ( रोमियो 10:17 ) की वचन को पढ़ना होगा जिसमें लिखा है विश्वास सुनने से और सुनना मसीह के वचन से होता है। देखिए जैसे कोई व्यक्ति किसी अनदेखा, अंजाना या अनसुना चीजों के बारे में ब्यौरा देता है, तो पहले लोग उसकी बात को सुनकर अविश्वास करते हैं। पर बार-बार सुनने के बाद उस पे विश्वास करने लगते हैं, कि वह जो कुछ भी कह रहा है, वह सही हो सकता है।

पहले के जमाने में सुसमाचार सुनने और सुनाने का कोई साधन नहीं था। पर आजकल सत्य की शिक्षा देने वाले बहुत लोग हैं। वचन को सुनने के लिए कहीं जाने की भी जरूरत नहीं है। वह बड़ी आसानी से इंटरनेट के माध्यम से यूट्यूब, फेसबुक, गूगल और बहुत सारे प्लेटफार्म के जरिए से भी इसकी जानकारी मिल सकती है। इसलिए कोई भी व्यक्ति यह नहीं कह सकता है की, मुझे प्रभु का वचन सुनने के लिए दिक्कत हो रहा है। इसलिए बेकार की बातों को सुनने से बेहतर यह है, कि सुसमाचार अर्थात बाइबल का वचन को सुनने में मन लगाएं। इससे आपका विश्वास बढ़ेगा।

और ( याकूब 2:24 ) की वचन भी कहता है, कि मनुष्य सिर्फ विश्वास से ही नहीं बल्कि कर्मों से भी धर्मी माना जाता है। अर्थात यदि आप प्रभु पर विश्वास करते हैं, तो प्रभु का वचन सुनना चाहिए, क्योंकि यीशु की वचन सुनना ही आपका कर्म होगा। क्योंकि बाइबल वचन पढ़ने और सुनने के लिए समय की आवश्यकता है। वैसे ही आप जिस भी काम करते हैं, उसमें भी समय की आवश्यकता पड़ती है। इसलिए यदि आप सुसमाचार सुनते हैं, तो प्रभु पर आपका विश्वास बढ़ेगा। आज का बाइबल पाठ माध्यम से हम भी आपको प्रभु यीशु के वचन के अनुसार चलने की गुजारिश करते हैं।

निष्कर्ष

दोस्तों अन्त मैं यह कहना चाहूंगा, कि आप इस बात को जरूर स्मरण रखें, कि यदि पाप के कारण आपके जीवन में अशांति है, तो स्वर्ग राज्य आपके पास नहीं है। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि धार्मिक लोगों को परेशानी नहीं होती है। परेशानी तो सबको होती है, पर पापियों को पश्चाताप कर लेने में ही भलाई है। मैं उम्मीद करता हूं, कि आज का बाइबल पाठ ( मरकुस 1:15 ) की वचन को आप सही तरह से समझ गए होंगे। दोस्तों, मन में अच्छी सोच रखें, दूसरों का कल्याण करें, और सच्चाई के मार्ग में बढ़ते चलें। क्योंकि प्रभु आप से उम्मीद करते हैं, कि आप सिद्ध व्यक्ति बने। धन्यवाद।।

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