yeshu masih ke vachan hindi के द्वारा मसीह भाई और बहनों को ईश्वर की ओर से आशीष मिलता रहे। मनुष्य का एक बहुत बड़ा भूल यह भी है; की जो बात वह परमेश्वर के बारे में जानने की दावा करता है; वह अधूरा है। क्योंकि अगर मनुष्य; परमेश्वर को अच्छी तरह से जान पाता; तो वह कदापि पाप ना करता। परंतु विडंबना की बात यह है; कि लोग ईश्वर को ढूंढने के बजाय संसार की विषय वस्तु पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करते हैं।
पहले हम संसार की बात करते हैं; संसार में अच्छाई और सच्चाई से चलने वाले दो तरह के लोग निवास करते हैं; और इनके बीच हमेशा जंग लगा रहता है। परंतु सबको पता है; कि अंत मे जीत सच्चाई की होती है।
शैतान की चाल को vachan से पहचाने
मनुष्य को बनाने से पहले ईश्वर देव दूतों को बनाया था। परंतु ईश्वर का बनाया हुआ शांति का राज्य में शैतान बगावत करता है; इसके परिणाम के स्वरूप में; ईश्वर शैतान को दंडित करने के लिए स्वर्ग से निकाल देते हैं। तब से लेकर आज तक शैतान ईश्वर की सृष्टि के प्रत्येक काम में टांग अड़ाते रहता है। वह ईश्वर से बदला लेने के लिए मनुष्य को अपना मोहरा बनाता है। परंतु नासमझ और बेचारे मनुष्य को तो कुछ भी समझ में नहीं आता; कि शैतान पाप का मीठा जहर देकर फंसाता है।
ईश्वर लोगों को पाप से बचाने के लिए; अपने दास; सेवक और नबियों को भेज कर भय और दंड देकर भी समझाने की कोशिश की; परंतु जब लोग न समझे; तो अंत में वह अपने पुत्र अर्थात yeshu masih ke vachan के द्वारा समझाने की कोशिश किया। दंड नहीं बल्कि लोगों को प्रेम; करुणा; क्षमा और शांति का सुसमाचार सुनाया।
yeshu masih की परीक्षा बताता है कि पाप से पहले प्रलोभन होगा
yeshu masih ke vachan (मत्ती 4:1-11) वचन में यीशु की परीक्षा से पता चलता है; कि मनुष्य को पाप में गिरने से पहले प्रलोभन का सामना करना पड़ता है। उत्पति 3:1-7 में शैतान ने आदम और हव्वा को फल खाने का प्रलोभन दिया था; जब तक वे वह फल न खाए थे; जन्नत के बाटीका में ईश्वर के साथ थे। अर्थात जब तक एक मनुष्य ईश्वर के वचन में कायम रहता है; तब तक उसके जीवन में सब कुछ ठीक-ठाक चलता है। परंतु प्रलोभन का मायाजाल को समझने में विफल होकर पाप करने से; एक मनुष्य का सब कुछ लुट जाता है। जैसे कि आदम और हव्वा का हुआ था। इस तरह शैतान बार-बार कुछ न कुछ अपना प्रलोभन का जुगाड़ लगाकर लोगों को पाप करवाता है।
प्रेम
yeshu masih ke vachan (मत्ती 5:44) से पता चलता है; की यीशु दुश्मनों से प्रेम करना सिखाते हैं; कारण की दोस्तों को तो सब कोई प्यार दिखाते हैं; परंतु दुश्मनों को लोग घृणा करते हैं।
मत्ती 22:37-39 वचन में देखने को मिलता है; कि अपने सारे मन; प्राण, बुद्धि से ईश्वर को और अपने पड़ोसी को अपनी जैसा प्रेम करना चाहिए।
कोई भी मनुष्य किसी दुष्ट लोगों के लिए अपना प्राण नहीं दे सकता; परन्तु ईश्वर की प्रेम का प्रमाण इस वचन से मिलता है; कि संसार के हम सभी लोग पापी होने पर भी यीशु हमारे लिए क्रुस पर मर गये थे।
दया
एक बात मनुष्य को ज्ञात होना चाहिए; की दया चाहने या दौड़-धूप करने से नहीं मिलता; परंतु सर्वशक्तिमान ईश्वर की इच्छा हो, तो; दया मिल सकता है। क्योंकि वह जिसे दया करना चाहता है; दया करता है; और जिसे कृपा करना चाहता है; वह उसे कृपा करता है। (रोमियो 9:15-16 )( निर्गमन 33:19)
yeshu masih ke vachan (मत्ती 9:13) के पाठ में देखने को मिलता है; कि यीशु बलिदान से प्रसन्न नहीं होते; बल्कि वह दया चाहते हैं। ईश्वर जानता है; कि सभी मनुष्य पापी हैं। परंतु जो अपने आप को धर्मी मानकर बलिदान से ईश्वर को प्रसन्न करना चाहता है; ईश्वर उनसे प्रसन्न नहीं होता; परंतु मन फिराओ करने वाले पापियों को ईश्वर दया करना चाहता है।
क्षमा
जब कोई गुनाह करता है; तो ईश्वर से क्षमा के लिए प्रार्थना करता है; परंतु yeshu masih ke vachan (मत्ती 6:14-15) कहता है; कि अगर तुम्हें ईश्वर से क्षमा चाहिए; तो अपने अपराधियों को भी क्षमा करना पड़ेगा। नहीं तो क्षमा की आशा करना व्यर्थ है।
मत्ती 18:21-22 वचन से पता चलता है; की एक मनुष्य को कितनी बार क्षमा करना चाहिए? पतरस के 7 बार का सवाल के जवाब में यीशु 7×70 बार कहते हैं; अर्थात आजीवन तक क्षमा करने की बात हो रही है। क्योंकि अपराध करने वाले को लोग तुरंत दंड देने की मांग करते हैं; क्योंकि उसे सुधारने के लिए दंड की आवश्यकता है। परंतु प्रभु यीशु; अपराधी को सुधारने के लिए क्षमा के द्वारा अवसर देना चाहते हैं। यह एक नवीन और अनोखा शिक्षा है।
शान्ति
yeshu masih ke vachan (लूका 2:14) के अनुसार जब यीशु मसीह धरती पर जन्म हुआ ; तो स्वर्ग दूतों ने स्तुति की और कहा आकाश में परमेश्वर की महिमा और धरती के जिन लोगों पर वह प्रसन्न है; शांति हो।
और जब भी यीशु जी उठने के बाद चेलों को दिखाई दिया तो उन्हें शांति प्रदान किया। उसने हर बार कहा कि तुम्हें शांति मिले।(यूहन्ना 20:19-26) ईश्वर की ओर से जो शांति मिलती है; उसे संसार नहीं दे सकता; क्योंकि संसार की शांति अल्पकालीन और अधूरा है। परंतु ईश्वर संपूर्ण शांति प्रदान करता है। (यूहन्ना 14:27)
निष्कर्ष
मैं आशा करता हूं; कि yeshu masih ke vachan hindi को पढ़ने के द्वारा आप की आत्मिक उन्नति होगी। क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए; आत्मिक शक्ति की भी जरूरत होती है। इसलिए अच्छाई और बुराई का फर्क समझकर सच्चाई की राह पर बढ़ते चलें। जिससे मनुष्य के साथ-साथ ईश्वर की भी आशीष, आपको मिलता रहे। शांति का दाता ईश्वर आप को; हमेशा शांति प्रदान करे। आमीन।।
प्रभु यीशु मसीह कहता है कि “जागते रहो और हर समय प्रार्थना करते रहो कि तुम मनुष्य के पुत्र के सामने खड़े होने के योग्य बनो।
टूटा और पीसा हुआ मन परमेश्वर के योग्य बलिदान है, परमेश्वर टूटे और पीसे हुए मन को तुच्छ नहीं जानता।
परमेश्वर ने प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करने के द्वारा हमें अपना पुत्र बना लिया और हमें अनन्त जीवन दिया
Absolutely Right. God bless you.
Amin
Amen!
God bless you. Thanks
John 6.35 thanks
Ammin
God bless you
Prhabu ki mahima ho
God bless you
Prabhu yeeshu Masih hum sabko Ashish pradan karen,sab per kripa karen aor shanti den.
Yes: क्योंकि परमेश्वर उत्तम आशीष देता है।
भजन संहिता 21:3
God bless you
जय परमपिता परमेश्वर की
जय प्रभु येशु की।
आप सबको समझ, बुद्धि दे ताकि
सब उसके बताए मार्ग पर चलें।
सबके दिलों, दिमागों और आत्माओं से
सब छल, कपट, चाले, षड्यंत निकाल कर नष्ट कर दें ताकि सब मनुष्य उद्धार पाएं।
परमेश्वर हर समय हमारे साथ होता वह हर समय सुनता ऊर जवाब देता वह वो जिवता परमेश्वर वह वो कल भी था ऊर आज भी मेरे साथ वह
आपका विश्वास 100 प्रतिशत सत्य है। इसमें बने रहिए।
जय प्रभु यीशु की
यीशु आप सर्बशक्तिमान प्रभु हो
अपने सब भक्तो पर अपनी आशीष प्रदान करते रहना, आमीन