Today verses उस ने अपनी ही इच्छा से हमें सत्य के वचन के द्वारा उत्पन्न किया, ताकि हम उस की सृष्टि की हुई वस्तुओं में से एक प्रकार के प्रथम फल हों॥ याकूब 1:18 Jemes 1:18
Hello दोस्तों आपको मालूम होगा कि बहुत सारे लोग ज्ञान पाने के लिए, भिन्न-भिन्न तरीका अपनाते हैं। किताब एक ऐसा माध्यम है, जिससे पढ़ने से ज्ञान प्राप्त होता है। लोग भिन्न भिन्न किताबें पढ़ते हैं। आप भी story, history, and training कि किताबें पढ़े होंगे। परंतु मैं आपको Bible पढ़ने के बारे में recommend करता हूं। बाइबिल में आपको वह ज्ञान मिलेगा जो संसार नहीं दे सकता है। क्योंकि ईश्वर के वचन को क्रमांक के अनुसार पढ़ने और सीखने से आपको आत्मिक मजबूती मिलेगी। समाज में आप एक स्वच्छ और उत्तम आदमी बन सकते हैं। आजकल के लोग सारी चीज जिसके पास है, उसके पास ना जाकर इधर-उधर भटकते रहते हैं। वचन बताती है, ईश्वर को जानना ही, ज्ञान का आरंभ है। आज हम ईश्वर की सृष्टि के बारे में जानेंगे। विश्व ब्रह्मांड को ईश्वर ने 6 दिन में, किस प्रकार बनाया है, यह वचन को पढ़ते हैं।
सृष्टि का पहला दिन।
आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की। उत्पत्ति 1:1-31 Genesis 1:1
और पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी; और गहरे जल के ऊपर अन्धियारा था: तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डलाता था। उत्पत्ति 1:2 Genesis 1:2
तब परमेश्वर ने कहा, उजियाला हो: तो उजियाला हो गया। उत्पत्ति 1:3 Genesis 1:3
और परमेश्वर ने उजियाले को देखा कि अच्छा है; और परमेश्वर ने उजियाले को अन्धियारे से अलग किया। उत्पत्ति 1:4 Genesis 1:4
और परमेश्वर ने उजियाले को दिन और अन्धियारे को रात कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पहिला दिन हो गया। उत्पत्ति 1:5 Genesis 1:5
ईश्वर सृष्टि के प्रारंभ में हम मानव जाति, जिस पृथ्वी पर निवास कर रहे हैं, उसे और आकाश को बनाया। शुरुआत में पृथ्वी पर कुछ नहीं था। जल के ऊपर अंधियारा तथा सुनसान था। फिर ईश्वर क्या कहते हैं? उजियाला हो जाए और वैसे ही हो जाता है। मनुष्य के जीवन में भी जब तक ईश्वर का स्थान नहीं होता तब तक अंधेरा छाया रहता है। यहां पर ईश्वर बताना चाहते थे, कि वह जहां रहते हैं वहां उजियाला रहता है। अर्थात ईश्वर के बिना आपके जीवन में अंधियारा छाया रहता है। ईश्वर अंधियारा और उजाला को दो अलग-अलग हिस्सों में बांट दिया जिसे हम दिन और रात कहते हैं। इसी प्रकार मनुष्य के जीवन में ईश्वर आने पर अंधियारा को अलग कर देते हैं।
सृष्टि का दूसरा दिन।
फिर परमेश्वर ने कहा, जल के बीच एक ऐसा अन्तर हो कि जल दो भाग हो जाए। उत्पत्ति 1:6 Genesis 1:6
तब परमेश्वर ने एक अन्तर करके उसके नीचे के जल और उसके ऊपर के जल को अलग अलग किया; और वैसा ही हो गया। उत्पत्ति 1:7 Genesis 1:7
और परमेश्वर ने उस अन्तर को आकाश कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार दूसरा दिन हो गया॥ उत्पत्ति 1:8 Genesis 1:8
यहां पर ईश्वर जल को दो भागों में विभाजित करते हैं। एक ऊपर के जल और दूसरा नीचे के जल। इसका मतलब आकाश और पृथ्वी में संपूर्ण तरह से जल ही जल था। क्योंकि लिखा है,की ईश्वर जल को दो भाग में विभाजित करते हैं। दो जल के बीच का अंतर को ईश्वर आकाश कहते हैं। आकाश को हम सब अनंत कहते हैं। क्योंकि आकाश को आज तक कोई नाप नहीं सका है।ईश्वर के सिवा आकाश की ऊंचाई को कोई नहीं जान सकता है।
सृष्टि का तीसरा दिन।
फिर परमेश्वर ने कहा, आकाश के नीचे का जल एक स्थान में इकट्ठा हो जाए और सूखी भूमि दिखाई दे; और वैसा ही हो गया। उत्पत्ति 1:9 Genesis 1:9
फिर परमेश्वर ने कहा, पृथ्वी से हरी घास, तथा बीज वाले छोटे छोटे पेड़, और फलदाई वृक्ष भी जिनके बीज उन्ही में एक एक की जाति के अनुसार होते हैं पृथ्वी पर उगें; और वैसा ही हो गया। उत्पत्ति 1:10 Genesis 1:10
और परमेश्वर ने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा; तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उसने समुद्र कहा: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। उत्पत्ति 1:11 Genesis1:11
तो पृथ्वी से हरी घास, और छोटे छोटे पेड़ जिन में अपनी अपनी जाति के अनुसार बीज होता है, और फलदाई वृक्ष जिनके बीज एक एक की जाति के अनुसार उन्ही में होते हैं उगे; और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। उत्पत्ति 1:12 Genesis 1:12
तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार तीसरा दिन हो गया॥ उत्पत्ति 1:13 Genesis 1:13
तीसरे दिन ईश्वर पृथ्वी के जल और स्थल अलग करके उसका नाम पृथ्वी और समुद्र रखता है। पृथ्वी में हरी घास, पेड़ पौधा, फलदार वृक्ष उनके जाति के अनुसार सृष्टि की और ईश्वर ने देखा और उनको बहुत अच्छा लगा। आजकल मनुष्य पेड़ पौधा को काटकर उजाड़ बना दे रहा है। इसका परिणाम स्वरूप मनुष्य को global warming का सामना करना पड़ रहा है। ईश्वर के बनाए हुए सुंदर संसार को जब मनुष्य बिगाड़ने लग जाता है तब उसको भयावह परिणाम भुगतने पड़ते हैं। मनुष्य अपने आप को बहुत intelligent मानता है। लेकिन ईश्वर के सामने वह कुछ भी नहीं है।
सृष्टि का चौथा दिन।
फिर परमेश्वर ने कहा, दिन को रात से अलग करने के लिये आकाश के अन्तर में ज्योतियां हों; और वे चिन्हों, और नियत समयों, और दिनों, और वर्षों के कारण हों। उत्पत्ति 1:14 Genesis 1:14
और वे ज्योतियां आकाश के अन्तर में पृथ्वी पर प्रकाश देने वाली भी ठहरें; और वैसा ही हो गया। उत्पत्ति 1:15 Genesis 1:15
तब परमेश्वर ने दो बड़ी ज्योतियां बनाईं; उन में से बड़ी ज्योति को दिन पर प्रभुता करने के लिये, और छोटी ज्योति को रात पर प्रभुता करने के लिये बनाया: और तारागण को भी बनाया। उत्पत्ति 1:16 Genesis 1:16
परमेश्वर ने उन को आकाश के अन्तर में इसलिये रखा कि वे पृथ्वी पर प्रकाश दें, उत्पत्ति 1:17 Genesis 1:17
तथा दिन और रात पर प्रभुता करें और उजियाले को अन्धियारे से अलग करें: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। उत्पत्ति 1:18 Genesis1:18
तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार चौथा दिन हो गया॥ उत्पत्ति 1:19 Genesis 1:19
सृष्टि का चौथा दिन ईश्वर ने आकाश पर सूरज चंद्रमा और तारों को बनाया। दिन के लिए सूरज को रात के लिए चंद्रमा तथा तारा गणों को बनाया। जिससे वे इस धरती को उजाला कर सके। वचन में देखते हैं कि ईश्वर को उनका बनाया हुआ सब कुछ अच्छा लगता है। दिन के 12 घंटे तक सूरज आसमान में दिखाई देते रहता है। रात को चंद्रमा तथा तारा गण आकाश में दिखाई देते हैं।
सृष्टि का पांचवा दिन।
फिर परमेश्वर ने कहा, जल जीवित प्राणियों से बहुत ही भर जाए, और पक्षी पृथ्वी के ऊपर आकाश के अन्तर में उड़ें। उत्पत्ति 1:20 Genesis 1:20
इसलिये परमेश्वर ने जाति जाति के बड़े बड़े जल-जन्तुओं की, और उन सब जीवित प्राणियों की भी सृष्टि की जो चलते फिरते हैं जिन से जल बहुत ही भर गया और एक एक जाति के उड़ने वाले पक्षियों की भी सृष्टि की: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। उत्पत्ति 1:21 Genesis 1:21
और परमेश्वर ने यह कहके उनको आशीष दी, कि फूलो-फलो, और समुद्र के जल में भर जाओ, और पक्षी पृथ्वी पर बढ़ें। उत्पत्ति 1:22 Genesis 1:22
तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पांचवां दिन हो गया। उत्पत्ति 1:23 Genesis 1:23
पांचवा दिन ईश्वर समुद्र के जल में रहने वाले जीव जंतु को तथा आकाश में उड़ने वाले पक्षियों को बनाया। सब अपने-अपने जाती के विभिन्न प्रकार के जीव जंतुओं को बनाया और उन्हें ईश्वर आशीर्वाद दिया।आज हम समुद्र में जितने भी प्रकार के जीव जंतु मछलिया देखते हैं, वह सब ईश्वर के द्वारा ही बना है।
सृष्टि का छठवां दिन।
फिर परमेश्वर ने कहा, पृथ्वी से एक एक जाति के जीवित प्राणी, अर्थात घरेलू पशु, और रेंगने वाले जन्तु, और पृथ्वी के वनपशु, जाति जाति के अनुसार उत्पन्न हों; और वैसा ही हो गया। उत्पत्ति 1:24 Genesis 1:24
सो परमेश्वर ने पृथ्वी के जाति जाति के वन पशुओं को, और जाति जाति के घरेलू पशुओं को, और जाति जाति के भूमि पर सब रेंगने वाले जन्तुओं को बनाया: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। उत्पत्ति 1:25 Genesis 1:25
फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगने वाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें। उत्पत्ति 1:26 Genesis 1:26
तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी करके उसने मनुष्यों की सृष्टि की। उत्पत्ति 1:27 Genesis 1:27
और परमेश्वर ने उन को आशीष दी: और उन से कहा, फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो; और समुद्र की मछलियों, तथा आकाश के पक्षियों, और पृथ्वी पर रेंगने वाले सब जन्तुओ पर अधिकार रखो। उत्पत्ति 1:28 Genesis 1:28
फिर परमेश्वर ने उन से कहा, सुनो, जितने बीज वाले छोटे छोटे पेड़ सारी पृथ्वी के ऊपर हैं और जितने वृक्षों में बीज वाले फल होते हैं, वे सब मैं ने तुम को दिए हैं; वे तुम्हारे भोजन के लिये हैं: उत्पत्ति 1:29 Genesis 1:29
और जितने पृथ्वी के पशु, और आकाश के पक्षी, और पृथ्वी पर रेंगने वाले जन्तु हैं, जिन में जीवन के प्राण हैं, उन सब के खाने के लिये मैं ने सब हरे हरे छोटे पेड़ दिए हैं; और वैसा ही हो गया। उत्पत्ति 1:30 Genesis 1:30
तब परमेश्वर ने जो कुछ बनाया था, सब को देखा, तो क्या देखा, कि वह बहुत ही अच्छा है। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार छठवां दिन हो गया॥ उत्पत्ति 1:31 Genesis 1:31
आज हम पृथ्वी पर जो जीव जंतु को देख रहे हैं उन सब को ईश्वर ने ही बनाया था।बहुत सारे ऐसे प्राणी थे जो लुप्त हो चुके हैं। ईश्वर ने प्रत्येक को अपने-अपने जाति के अनुसार बनाया और उन्हें आशीर्वाद दिया। परंतु परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाया। समस्त पृथ्वी पर अधिकार देकर कहा फुलो- फलो और पृथ्वी को अपने अधिकार में कर लो। ईश्वर ने मनुष्यों के खाने लिए सब फलदार वृक्ष बनाया था। जीव जंतु के खाने के लिए हरे भरे पेड़ पौधे, घास पात इन सब को भी बनाया था। इस प्रकार ईश्वर छठे दिन में समस्त सृष्टि का काम संपूर्ण करता है। जो कुछ भी इस पृथ्वी पर उसने बनाया है, वह सब अच्छा है। हम सब जो कुछ भी देख रहे हैं। चाहे वह समुद्र में या तो फिर पृथ्वी के ऊपर हो उन सब जीव जंतु, वृक्ष लता, प्राणी सबको ईश्वर ने ही बनाया है।
ईश्वर 6 दिन में सारी सृष्टि को बनाया। सतवां दिन में वह विश्राम करता है। सातवां दिन मनुष्यों के लिए आशीर्वाद और पवित्र का दिन ठहराया है। ईश्वर चाहते हैं कि सतवां दिन में लोग विशेष करके उनकी उपासना करें। क्योंकि 6 दिन तक लोग कामकाज करके थके रहते हैं। 6 दिन तक लोगों के लिए काम करने का दिन है। परंतु सतवा दिन तो ईश्वर अपने लिए ठहराया है। इसलिए ईश्वर की उपासना और भक्ति करने के लिए विशेष करके सतवा पवित्र का दिन है।
आइए हम प्रार्थना करते हैं। सृष्टि कर्ता प्रभु विश्व मंडल के स्वामी, आपको मैं तहे दिल से धन्यवाद करता हूं, कि आपने मेरी इस प्रार्थना को स्वीकार कर लिया है। इस वक्त संसार में जो अचलावस्ता की परिस्थितियां है। मानव जीवन में गंभीर संकट पैदा हुआ है। इन सारी समस्याओं को प्रभु मैं आपके चरणो में रखता हूं। विशेष करके उन लोगों के लिए मैं प्रार्थना करता हूं। जो लोग आप पर भरोसा करके जी रहे हैं। उनके जीवन में उनके परिवार में, coronavirus महामारी के लिए कवच बनकर सुरक्षा प्रदान कीजिए। उनके जीवन में प्रभु आपका समर्थ प्रदान कीजिए। उनको समर्थ दीजिए जिससे वे बीमारी से लड़ सकें। समस्या को दूर भगा सके। इस संकट में सुरक्षित रह सके। मैं यह निवेदन आपके चरणों में करता हूं। कृपा करके, दया करके आपके नाम के लिए, आप की महिमा के लिए यह निवेदन ग्रहण कर लीजिए। आमीन।। Thanks for reading continue…