सच्चे मसीही जीवन कैसा होना चाहिए | Bible Gyan

क्या आप एक सच्चे मसीही जीवन जीने वाला व्यक्ति हैं, या लोगों को दिखाने वाला मसीह। क्योंकि एक सच्चे मसीही और दिखावा करने वाले मसीह में बहुत अंतर होता है। अगर आप सच्चे मसीही नहीं है, तो समय रहते ही आप एक अच्छे मसीही बनने की कोशिश करें। अगर आप अच्छे मसीही होने का नाटक कर रहे हैं तो, लोगों को नहीं बल्कि अपने आप को धोखा दे रहे हैं।

भले ही आपका दिखावा लोगों को पता ना चले। परंतु सर्वशक्तिमान परमेश्वर आपके मन को जानता है। आपका हर चाल को जानता है। आपका हर सोच को जानता है। तो आइए आज हम विस्तार से जानते हैं, कि एक सच्चे मसीही का जीवन कैसा होना चाहिए।

जिस तरह लोग फल से पेड़ को पहचानते हैं। जैसे कि अच्छी पेड़ अच्छी फल देती है। इसलिए अच्छी पेड़ से अच्छे फल की आशा करें। क्योंकि बुरे पेड़ से अच्छे फल की आशा करना मूर्खतापूर्ण बात हो सकती है। अगर आपके सामने एक अच्छे और एक बुरे फल रखा जाए तो आप कौन सा फल को चुनेंगे? मेरा मतलब जो फल खाने के लायक न हो।

मैं निश्चित हुं, कि आप ख़राब फल को कभी नहीं चुनगें। क्योंकि आप अच्छे फल को ही चुनना पसंद करेंगे। इसका मतलब आप बुरे नहीं हैं, और कोई भी मनुष्य बुरे नहीं होते हैं। परंतु उनके स्वभाव जरुर बुरे होते हैं। इसलिए एक सच्चे मसीही जीवन जीने वाले व्यक्ति का स्वभाव भी अच्छा ही होना चाहिए।

सच्चे मसीही लोगों का स्वभाव कैसा होना चाहिए

एक सच्चे मसीही जीवन जीने वाले लोगों के स्वभाव में दिन प्रतिदिन उन्नति होना चाहिए। उनका बातचीत सुनने वालों के लिए संतोषजनक और स्पष्ट होना चाहिए। उनके चाल चलन में परमेश्वर की झलक दिखनी चाहिए। उनको सत्य, धार्मिकता और पवित्रता से जीवन गुजारना चाहिए। सत्य भी बोलना जरूरी है।

पर संसार में ऐसे भी लोग हैं, जो कि बेवजह ही गन्दी बात और झूठ बोलते रहते हैं। कुछ लोग बातों बातों में गन्दी बात और झूठ बोलने का आदत बना लेते हैं। जैसे कि वे गन्दी बात और झूठ बोलने का ठेका लेकर बैठे हैं। पर मसीही जीवन जीने वाले लोगों को इन सारे कचरे से अलग रहना चाहिए। क्योंकि परमेश्वर मसीही लोगों को इस प्रकार की जीवन जीने के लिए इजाजत नहीं देता है।

और एक बात लोग एक दूसरे से झूठ बोलबोलकर सच्चे मसीही न होने का भी गवाही देते रहते हैं। क्योंकि कुलुस्सियों 3:9 की वचन में इस प्रकार लिखा है, कि एक दूसरे से झूठ मत बोलो क्योंकि तुम ने पुराने मनुष्यत्व को उसके कामों समेत उतार डाला है।

इसलिए आपका पुराना स्वभाव को छोड़कर मसीह यीशु कि इच्छा के अनुसार चलें। उन्होंने आप लोगों के लिए अपना प्राण दे दिया है। कोई ऐसा मनुष्य नहीं, जो किसी के लिए प्राण दे सके? हो सकता है, कि एक दोस्त, सच्चे दोस्त के लिए प्राण दे सकें। भाई, भाई के लिए प्राण दे सकता है। बाप, बेटे के लिए प्राण दे सकता है। इन सारी बातों को आपने सुना ही होगा।

परंतु जब आप प्रभु यीशु को जानते तक नहीं थे। तब भी वह आपके लिए अपना प्राण दे दिया। कितना अनोखा प्रेम उनका है। आपको वह कितना चाहता है, उसका प्रमाण उसने अपना प्राण दे कर जता दिया है। फिर भी लोग एक सच्चे मसीही जीवन जीना नहीं चाहते हैं।

समझने वाली बात यह है, कि बहुत से ऐसे लोग मसीह हो कर भी मसीहत को नहीं जानते हैं, और वे पापमय जीवन से प्रीति रखते हैं। पापों की कर्म से उन्हें सुखद अनुभूति होती है। ऐसे लोगों से मैं यह कहना चाहता हूं, कि जो चिज़ आपको क्षण भर सुख दे सके और बदले में जीवन भर दुख मिले वैसा काम कभी नहीं करना चाहिए।

देखिए एक व्यक्ति को सच्चे मसीही जीवन गुजारने के लिए, धर्म के मार्ग पर चलना अनिवार्य है। बातों से धर्मी नहीं! बल्कि कर्म और बोली वचन के साथ भी धर्मी होना अत्यंत जरूरी है। आपकी धार्मिकता कर्म में भी दिखना चाहिए। उसके साथ-साथ आपको पवित्रता के साथ भी जीवन जीना है।

और अपवित्र करने वाले प्रत्येक तत्व से खुद को दूरी बनाए रखना चाहिए। क्योंकि पाप मनुष्य को अपवित्र करता है। इसलिए सभी प्रकार की पाप से खुद को अलग रखना चाहिए। चाहे वह शारीरिक पाप हो या मानसिक पाप, इस से दूर रह कर अपने आप को ईश्वर में शुद्ध और पवित्र बनाए रखें।

मसीही लोग खुद को परख कर अच्छे बने

आप एक बात अपने से पूछ सकते हैं? कि क्या मैं एक सच्चे मसीह हुं? अगर नहीं तो आपको अपनी पुराना स्वभाव को छोड़कर यीशु मसीह का स्वभाव धारण कर लेना चाहिए। क्योंकि प्रभु यीशु आपका हर एक कमजोरी और पापों को क्रूस पर कुचल दिया है। आप नये बन चुके हैं। इसलिए पीछे लौटकर पाप में जीने का प्रयत्न न करें।

क्योंकि प्रभु यीशु ने आपके लिए एक बार क्रुस पर मरा है, वह बार-बार नहीं मरेगा। इसलिए खुद को प्रभु की तरह नम्र व्यक्ति बना लें और सच्चाई पर चलने की कोशिश करते रहें।

पर यदि कोई पाप करते हुए, जीवन जीता है, तो उससे मसीही जीवन की उम्मीद कैसे की जा सकती है। क्योंकि यदि लोग चर्च जाते वक्त एक नंबर व्यक्ति की तरह दिखाई देते हैं। पर जैसे ही चर्च से लौटते ही, मसीही जीवन क्या है और मसीह कौन है, यह भूल जाते हैं, तो वे कैसे मसीही लोग हो सकते हैं। अर्थात मसीह का मुखौटा पहन कर घुमने वाले व्यक्ति खासकर मसीह नहीं हो सकता है।

यदि इस प्रकार की जीवन मसीही कहलाने वाले व्यक्ति जीता है, तो उसके जीवन में बदलाव लाना अत्यंत जरूरी है। कहीं ऐसा न हो कि परमेश्वर का कोप उस पर भड़क उठे और प्रभु की नजरों में वह गुनहगार ठहरे। इसलिए मसीही जीवन जीने वाले प्रत्येक व्यक्ति को प्रभु को पाने के लिए, खुद को भूखा प्यासा समझ कर, हरपल सच्चाई से जीवन जीते हुए, प्रार्थना करते रहना चाहिए।

सच्चे मसीही जीवन कैसा होना चाहिए
मसीही जीवन

निष्कर्ष

दोस्तों मसीही जीवन का मतलब आप समझ गए होंगे। क्योंकि प्रभु यीशु मनुष्य को मेल मिलाप, शान्ति और भाईचारे की जीवन जीना सिखाती है। इसलिए लोगों को प्रभु यीशु की शिक्षा के अनुसार जीवन जीना चाहिए। सत्य तो यह है कि लोग अच्छी जीवन जीना चाहते हैं, पर यह ज्ञात होना चाहिए, कि सच्ची मसीही जीवन अर्थात अच्छाई का जीवन प्रभु यीशु की शिक्षा में ही है।

प्रार्थना

दयालु और करुणामय प्रभु आप जानते हैं, कि सभी लोग अपने बुरे स्वभाव और पाप के कारण आपसे दूर हो जाते हैं। क्योंकि वे आपकी पवित्र बलिदान को तूछ समझ बैठते हैं। परंतु आप जिन लोगों को प्यार करते हैं, उनके पास अपने लोगों के द्वारा संदेश भेज कर सतर्क करते हैं, जिससे वे कुमार्ग को छोड़कर आपके बताए हुए शिक्षा को अपनाते हुए, सच्ची मसीही जीवन जीएं।

फिर आप ऐसा करुणा करें कि लोग अपना पुराना स्वभाव को छोड़कर एक नई सृष्टि बन कर सच्चे मसीही जीवन जीने लगे। प्रिय प्रभु यीशु आप संसार में इसलिए नहीं आए कि आप लोगों को दंड दें। क्योंकि आप चाहते हैं कि लोग शान्ति से जीवन जीएं।

पाप मुक्त हो जाएं, उनको उद्धार मिले और वे शांति से जीवन गुजारे। प्रिय प्रभु विशेष करके उन लोगों के पाप को क्षमा करने की कृपा करें, जो लोग आपकी प्रेम को नहीं जानते हैं। और आप की असीम करुणा, को जो कि आप क्रूस पर बलिदान करके दिए हैं। उन करुणा से आप उन लोगों के मन में सामर्थ्य भर दीजिए जिससे वे आप को संपूर्ण रूप से जान पाए और आप की महिमा कर सके। मैं यह निवेदन आपके पवित्र चरणों में करता हूं। आमीन।।

Yeshu masih ke vachan

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