लोग पाप क्यों करते हैं, शायद इस सवाल का जवाब दे पाना किसी भी मनुष्य के लिए बहुत बड़ी कठीनाई हो सकती है। क्योंकि मुंह से धर्मी कहलाने वाले किसी भी व्यक्ति को, अगर कोई पापी कह दे तो उसके लिए, अपमान जनक शब्द होगा। भले ही लोग पाप में जीवन व्यतीत करते होंगे, परंतु पापी नहीं, बल्कि धर्मि कहलाना पसंद करते हैं।
पाप क्या है
जिस काम को करते वक्त समाज से बदनामी, लज्जा और कानून का डंडा पड़ती है, उसे पाप कहा जाता है। जैसे कि व्यभिचार, हत्या, चोरी, धोखाधड़ी इत्यादि इत्यादि बहुत सारे पाप है। परन्तु पाप के बीच में भी ऐसे कुछ पाप है, जिसे लोगों के द्वारा बेधड़क और आसानी से होता है; फिर भी उनको पता नहीं चलता, कि वह पाप है, भी या नहीं। गन्दी बातों का मज़ाक, भले ही लोगों को अच्छा लगता होगा, परंतु ईश्वर के दृष्टिकोण से वह पाप है। गन्दी बातें बोलना और सुनना, (इफिसियों 4:29) किसी स्त्री पर कुदृष्टि डालना,(मत्ती 5:27-28) गन्दी मूवी देखना और दिखाना भी पाप है, जिसके बारे में लोग अभी भी अनजान हैं।
लोगों का पाप करने की वजह क्या है
लोग पाप क्यों करते हैं? इसकी वजह क्या हो सकती है? पाप क्या है, इसे अच्छी तरह से न जान पाने के कारण ही लोग पाप करते हैं। बुरी संगति, धन का घमंड और शान शौकत से जीवन जीने की इच्छा करने वाले कुछ लोग हैं, जो कि जानबूझ कर पाप करते हैं। परन्तु कुछ लोग सही शिक्षा की अभाव के चलते, अच्छाई और बुराई के बीच की भेद को न समझ पा कर, आध्यात्मिक जीवन जीने के बजाय संसारिक विषय पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करके, पाप के दलदल में फंस जाते हैं।
आध्यात्मिक शिक्षा पाप से बचा सकता है
पाप से बचने के लिए विकृत मानसिकता की सोच और बुरी इच्छाओं को दमन करना अनिवार्य है। क्योंकि वह मनुष्य को पाप की ओर ले जाता है। इसलिए आत्मिक शिक्षा प्रत्येक व्यक्ति को मिलना चाहिए। क्योंकि इसके द्वारा भले और बुरे की पहचान के साथ-साथ पाप से दूरीयां बनाने की भी शिक्षा मिलती है। और एक बात जब बच्चे बड़े होकर बिगड़ने से माता-पिता को बड़ी तकलीफ़ होती है। परन्तु इसके लिए माता-पिता, बचपन से ही बच्चों को संसारिक शिक्षा के साथ-साथ आध्यात्मिक शिक्षा दें तो बेहतर होगा। क्योंकि बच्चों को सिर्फ स्कूल की शिक्षा के सहारे छोड़ने से आत्मिक उन्नति नहीं होगी। इसके लिए आत्मिक शिक्षा जरूरी है।
प्रार्थना पाप से बचा सकता है
लोग पाप क्यों करते हैं, इस पर मैं बताना चाहता हूं, कि जब भी पाप का प्रलोभन किसी व्यक्ति पर पड़े तब ईश्वर से प्रार्थना करें और कहें, “”हे सृष्टिकर्ता प्रभु मेरा मन, हृदय और शरीर, क्या आपके द्वारा नहीं बना, फिर यह पाप मुझे तंग क्यों करता है, हे सर्वशक्तिमान प्रभु मनुष्य होने के नाते मैं भी पापी हुं, इसलिए मुझे क्षमा करके इस पाप (पाप का नाम बोलें) से बचायें। क्योंकि आप पवित्र हैं, (1 पतरस 1:16) और यह नहीं चाहते कि मनुष्य अपवित्र हो, इसलिए मुझ पर अनुग्रह करने की कृपा करें। प्रभु मेरी प्रार्थना सुनने के लिए आपका धन्यवाद।”’ इस प्रकार बारम्बार प्रार्थना करते रहे।
निष्कर्ष
लोग पाप क्यों करते हैं? इस विषय पर लोगों की दिलचस्पी होना चाहिए। क्योंकि इस समय संपूर्ण संसार पाप के बंधन में बंधा हुआ है। पाप मनुष्य को खुशहाल जिंदगी जीने से रोकता है। परन्तु यह कौन समझाए, कि खुशहाल जिंदगी जीने के लिए लोगों को विशेष करके पाप को छोड़ना चाहिए, क्योंकि वह लोगों को, कुछ पल के लिए ही सुकुन देती है, परंतु इसके विपरित अधिकांश दुःख मिलती है। इसलिए खुद भी पाप न करें और न ही अपने शरीर को किसी के लिए पाप का कारण बनने दें। ऐसे काम करें जिससे प्रभु को भी अच्छा लगे। क्योंकि पाप की एक कदम भविष्य को अन्धकार की ओर ले जाता है। परन्तु धार्मिकता में उज्वल भविष्य है।।