रोमियो 3:1-31 ईश्वर की धार्मिकता का सच्चाई

ईश्वर की धार्मिकता सच्चाई रोमियो 3:1-31

रोमियो 3:1-31 ¹ सो यहूदी की क्या बड़ाई; या खतने का क्या लाभ?

² हर प्रकार से बहुत कुछ। पहिले तो यह कि परमेश्वर के वचन उन को सौंपे गए।

³ यदि कितने विश्वसघाती निकले भी तो क्या हुआ? क्या उनके विश्वासघाती होने से परमेश्वर की सच्चाई व्यर्थ ठहरेगी?

⁴ कदापि नहीं, वरन परमेश्वर सच्चा और हर एक मनुष्य झूठा ठहरे; जैसा लिखा है; कि जिस से तू अपनी बातों में धर्मी ठहरे और न्याय करते समय तू जय पाए।

⁵ सो यदि हमारा अधर्म परमेश्वर की धामिर्कता ठहरा देता है; तो हम क्या कहें ?क्या यह कि परमेश्वर जो क्रोध करता है अन्यायी है? यह तो मैं मनुष्य की रीति पर कहता हूं।

⁶ कदापि नहीं, नहीं तो परमेश्वर क्योंकर जगत का न्याय करेगा?⁷ यदि मेरे झूठ के कारण परमेश्वर की सच्चाई उस को महिमा के लिये अधिक करके प्रगट हुई; तो फिर क्यों पापी की नाईं मैं दण्ड के योग्य ठहराया जाता हूं?

⁸ और हम क्यों बुराई न करें; कि भलाई निकले जब हम पर यही दोष लगाया भी जाता है; और कितने कहते हैं कि इन का यही कहना है; परन्तु ऐसों का दोषी ठहराना ठीक है॥

कोई भी धार्मिक व्यक्ति नहीं है। रोमियो 3:1-31

⁹ तो फिर क्या हुआ? क्या हम उन से अच्छे हैं? कभी नहीं; क्योंकि हम यहूदियों और यूनानियों दोनों पर यह दोष लगा चुके हैं; कि वे सब के सब पाप के वश में हैं।

¹⁰ जैसा लिखा है, कि कोई धर्मी नहीं; एक भी नहीं।

¹¹ कोई समझदार नहीं, कोई परमेश्वर का खोजने वाला नहीं।

¹² सब भटक गए हैं; सब के सब निकम्मे बन गए; कोई भलाई करने वाला नहीं; एक भी नहीं।

¹³ उन का गला खुली हुई कब्र है; उन्होंने अपनी जीभों से छल किया है; उन के होठों में सापों का विष है।

¹⁴ और उन का मुंह श्राप और कड़वाहट से भरा है।

¹⁵ उन के पांव लोहू बहाने को फुर्तीले हैं।

¹⁶ उन के मार्गों में नाश और क्लेश हैं।

¹⁷ उन्होंने कुशल का मार्ग नहीं जाना।

¹⁸ उन की आंखों के साम्हने परमेश्वर का भय नहीं।

¹⁹ हम जानते हैं; कि व्यवस्था जो कुछ कहती है उन्हीं से कहती है, जो व्यवस्था के आधीन हैं; इसलिये कि हर एक मुंह बन्द किया जाए; और सारा संसार परमेश्वर के दण्ड के योग्य ठहरे।

²⁰ क्योंकि व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी उसके साम्हने धर्मी नहीं; ठहरेगा, इसलिये कि व्यवस्था के द्वारा पाप की पहिचान होती है।

विश्वास के द्वारा धार्मिकता की पहचान

²¹ पर अब बिना व्यवस्था परमेश्वर की वह धामिर्कता प्रगट हुई है; जिस की गवाही व्यवस्था और भविष्यद्वक्ता देते हैं।

²² अर्थात परमेश्वर की वह धामिर्कता; जो यीशु मसीह पर विश्वास करने से सब विश्वास करने वालों के लिये है; क्योंकि कुछ भेद नहीं।

²³ इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं।

²⁴ परन्तु उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है;सेंत मेंत धर्मी ठहराए जाते हैं।

²⁵ उसे परमेश्वर ने उसके लोहू के कारण एक ऐसा प्रायश्चित्त ठहराया, जो विश्वास करने से कार्यकारी होता है; कि जो पाप पहिले किए गए; और जिन की परमेश्वर ने अपनी सहनशीलता से आनाकानी की; उन के विषय में वह अपनी धामिर्कता प्रगट करे।

²⁶ वरन इसी समय उस की धामिर्कता प्रगट हो; कि जिस से वह आप ही धर्मी ठहरे, और जो यीशु पर विश्वास करे, उसका भी धर्मी ठहराने वाला हो।

²⁷ तो घमण्ड करना कहां रहा उस की तो जगह ही नहीं: कौन सी व्यवस्था के कारण से? क्या कर्मों की व्यवस्था से? नहीं; वरन विश्वास की व्यवस्था के कारण।²⁸ इसलिये हम इस परिणाम पर पहुंचते हैं; कि मनुष्य व्यवस्था के कामों के बिना विश्वास के द्वारा धर्मी ठहरता है।

²⁹ क्या परमेश्वर केवल यहूदियों ही का है? क्या अन्यजातियों का नहीं? हां, अन्यजातियों का भी है।

³⁰ क्योंकि एक ही परमेश्वर है; जो खतना वालों को विश्वास से और खतना रहितों को भी विश्वास के द्वारा धर्मी ठहराएगा।

³¹ तो क्या हम व्यवस्था को विश्वास के द्वारा व्यर्थ ठहराते हैं? कदापि नहीं; वरन व्यवस्था को स्थिर करते हैं॥

रोमियो 3:1-31

Cross Reference रोमियो 3:1-31

व्यवस्थाविवरण 4:8

फिर कौन ऐसी बड़ी जाति है जिसके पास ऐसी धर्ममय विधि और नियम हों, जैसी कि यह सारी व्यवस्था जिसे मैं आज तुम्हारे साम्हने रखता हूं?”

भजन संहिता 147:19

“वह याकूब को अपना वचन, और इस्राएल को अपनी विधियां और नियम बताता है।”

भजन संहिता 116:11

“मैं ने उतावली से कहा, कि सब मनुष्य झूठे हैं॥”

गलातियों 3:15

“हे भाइयों, मैं मनुष्य की रीति पर कहता हूं, कि मनुष्य की वाचा भी जो पक्की हो जाती है, तो न कोई उसे टालता है और न उस में कुछ बढ़ाता है।”

1 राजा 8:46

“निष्पाप तो कोई मनुष्य नहीं है; यदि ये भी तेरे विरुद्ध पाप करें, और तू उन पर कोप करके उन्हें शत्रओं के हाथ कर दे; और वे उन को बन्धुआ करके अपने देश को चाहे वह दूर हो, चाहे निकट ले जाएं,”

भजन संहिता 14

¹ मूर्ख ने अपने मन में कहा है; कोई परमेश्वर है ही नहीं। वे बिगड़ गए, उन्होंने घिनौने काम किए हैं; कोई सुकर्मी नहीं। ² परमेश्वर ने स्वर्ग में से मनुष्यों पर दृष्टि की है; कि देखे कि कोई बुद्धिमान; कोई परमेश्वर का खोजी है या नहीं। ³ वे सब के सब भटक गए, वे सब भ्रष्ट हो गए; कोई सुकर्मी नहीं; एक भी नहीं।

भजन संहिता 53

¹ मूढ़ ने अपने मन में कहा है, कि कोई परमेश्वर है ही नहीं। वे बिगड़ गए; उन्होंने कुटिलता के घिनौने काम किए हैं; कोई सुकर्मी नहीं॥ ² परमेश्वर ने स्वर्ग पर से मनुष्यों के ऊपर दृष्टि की; ताकि देखे कि कोई बुद्धि से चलने वाला वा परमेश्वर को पूछने वाला है कि नहीं; ³ वे सब के सब हट गए; सब एक साथ बिगड़ गए; कोई सुकर्मी नहीं, एक भी नहीं॥ क्या उन सब अनर्थकारियों को कुछ भी ज्ञान नहीं?

यशायाह 59:8

“शान्ति का मार्ग वे जानते ही नहीं और न उनके व्यवहार में न्याय है; उनके पथ टेढ़े हैं, जो कोई उन पर चले वह शान्ति न पाएगा॥”

भजन संहिता 36:1

“दुष्ट जन का अपराध मेरे हृदय के भीतर यह कहता है कि परमेश्वर का भय उसकी दृष्टि में नहीं है।”

रोमियो 2:12

“इसलिये कि जिन्हों ने बिना व्यवस्था पाए पाप किया, वे बिना व्यवस्था के नाश भी होंगे, और जिन्हों ने व्यवस्था पाकर पाप किया, उन का दण्ड व्यवस्था के अनुसार होगा।”

गलातियों 2:16

“तौभी यह जानकर कि मनुष्य व्यवस्था के कामों से नहीं, पर केवल यीशु मसीह पर विश्वास करने के द्वारा धर्मी ठहरता है; हम ने आप भी मसीह यीशु पर विश्वास किया, कि हम व्यवस्था के कामों से नहीं पर मसीह पर विश्वास करने से धर्मी ठहरें; इसलिये कि व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी धर्मी न ठहरेगा।”

रोमियो 1:17

“क्योंकि उस में परमेश्वर की धामिर्कता विश्वास से और विश्वास के लिये प्रगट होती है; जैसा लिखा है, कि विश्वास से धर्मी जन जीवित रहेगा॥”

रोमियो 11:5

“सो इसी रीति से इस समय भी, अनुग्रह से चुने हुए कितने लोग बाकी हैं।”

1 कुरिन्थियों 1

²⁹ ताकि कोई प्राणी परमेश्वर के साम्हने घमण्ड न करने पाए।³⁰ परन्तु उसी की ओर से तुम मसीह यीशु में हो, जो परमेश्वर की ओर से हमारे लिये ज्ञान ठहरा अर्थात धर्म, और पवित्रता, और छुटकारा।³¹ ताकि जैसा लिखा है, वैसा ही हो, कि जो घमण्ड करे वह प्रभु में घमण्ड करे॥

इब्रानियों 9:28

“वैसे ही मसीह भी बहुतों के पापों को उठा लेने के लिये एक बार बलिदान हुआ और जो लोग उस की बाट जोहते हैं, उन के उद्धार के लिये दूसरी बार बिना पाप के दिखाई देगा॥”

प्रेरितों के काम 10:35

“अब मुझे निश्चय हुआ, कि परमेश्वर किसी का पक्ष नहीं करता, वरन हर जाति में जो उस से डरता और धर्म के काम करता है, वह उसे भाता है।”

गलातियों 3:28

“अब न कोई यहूदी रहा और न यूनानी; न कोई दास, न स्वतंत्र; न कोई नर, न नारी; क्योंकि तुम सब मसीह यीशु में एक हो।”

कुरिन्थियों 3:23

“और तुम मसीह के हो, और मसीह परमेश्वर का है॥”

Conclusion

रोमियो 3:1-31 अध्याय बताता है; आपकी धार्मिकता ईश्वर में कैसी है। क्योंकि वचन के अनुसार संसार में कोई भी धर्म ही आदमी नहीं है; इसलिए ईश्वर की आज्ञा नियम और व्यवस्था के अनुसार चलना चाहिए।

दोस्तों इसलिए मैं आपसे यह आशा करता हूं; कि आप रोमियो 3:1-31 एक बार जरूर पढ़ें। धन्यवाद।

God bless you for reading to continue

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