यीशु मसीह का संदेश और उसका रहस्य
यीशु मसीह का संदेश और उसका रहस्य क्या है; आज हम इस वचन के माध्यम से जानने की कोशिश करेंगे। आप लोगों ने कभी कभार देखा होगा; किसी की मौत होने से पहले बुजुर्ग लोग अपनों से कुछ कहना चाहते हैं। इसी प्रकार यीशु मसीह मानव जाति के लिए आखरी 7 संदेश कहे थे; जिसे सभी को ज्ञात होना चाहिए। अगर आप यीशु मसीह का आखरी 7 संदेश और उसका रहस्य क्या है; जानना चाहते हैं; तो इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें।
1:- पहला संदेश (यीशु मसीह का संदेश)
तब यीशु ने कहा; हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहें हैं और उन्होंने चिट्ठियां डालकर उसके कपड़े बांट लिए।” — लूका 23:34
प्रभु यीशु का पहला संदेश बताता है; चाहे आपका जितना भी बड़ा दुश्मन क्यों ना हो उनको क्षमा करना चाहिए। अगर साधारण मनुष्य होता; तो मृत्यु के समय में भी गाली देते रहता! परंतु प्रभु यीशु संसार को बताना चाहते थे; हत्या, गुनाह और पाप करने वाले लोग नहीं जानते हैं; की वे क्या कर रहे हैं? प्रभु यीशु अपना प्रेम का प्रमाण देने के लिए अपने विरोधियों को क्षमा करते हैं। क्षमा दो प्रकार की होती है; पहला; विरोधियों का डर और दबाव के चलते क्षमा किया जाता है। दूसरा; अपना प्यार दिखाने के लिए क्षमा करते हैं। सभी लोग जानते हैं; की क्षमा से शांति मिलती है। परन्तु दुश्मनी रखना; बैर करना लोगों को दंड का भागी बनाता है। प्रभु का यह वचन लोगों को माफ करना सिखाता है।
2:- दूसरा संदेश
उस ने उस से कहा, मैं तुझ से सच कहता हूं; कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा॥” — लूका 23:43
कोई झूठा या साधारण मनुष्य दावा नहीं कर सकता; ऐसा है; वैसा है। परन्तु जो ईश्वर है; वही स्वर्ग लोक के बारे में जानता है। प्रभु यीशु के साथ दो डाकुओं को भी क्रूस पर दंड दिया गया था। एक प्रभु को दोष लगाता है; परंतु दूसरा प्रभु यीशु से निवेदन करता है; और कहता है; प्रभु! जब आप अपने राज्य में आएं; तो मुझे याद कीजिएगा। यीशु मसीह का इस संदेश से ईश्वर होने का प्रमाण मिलता है; आज ही तू मेरे साथ स्वर्ग लोक में होगा। मनुष्य अपने मृत्यु के बाद क्या होगा; यह भी नहीं जानता है; परंतु प्रभु यीशु अपना ईश्वर होने का प्रमाण इस वचन से देते हैं।
3:- प्रभु यीशु का तीसरा संदेश
²⁶ यीशु ने अपनी माता और उस चेले को जिस से वह प्रेम रखता था, पास खड़े देखकर अपनी माता से कहा; हे नारी, देख, यह तेरा पुत्र है। ²⁷ तब उस चेले से कहा, यह तेरी माता है, और उसी समय से वह चेला, उसे अपने घर ले गया।
इस संदेश से प्रभु यीशु लोगों को बताते हैं; की अपने मृत्यु से पहले माता-पिता और परिवार का दायित्व प्रियजनों के हाथ में सौंपना चाहिए। अपने परिवार को असहाय अवस्था में छोड़कर नहीं जाना चाहिए।
4:- चौथा संदेश
“तीसरे पहर के निकट यीशु ने बड़े शब्द से पुकारकर कहा, एली, एली, लमा शबक्तनी अर्थात हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया?” — मत्ती 27:46
इस वचन बताता है; की लोगों को अपनी अंतिम घड़ी में ईश्वर को प्रार्थना करना चाहिए। क्योंकि जीवित रहते हुए ईश्वर को प्रार्थना ना किया; मृतक लोग ईश्वर को प्रार्थना नहीं करते हैं; यह बात भी जानना जरूरी है। इसलिए जीवित रहते हुए ईश्वर को निरंतर प्रार्थना करते रहना चाहिए।
5:- पांचवा संदेश
“इस के बाद यीशु ने यह जानकर कि अब सब कुछ हो चुका; इसलिये कि पवित्र शास्त्र की बात पूरी हो कहा, मैं प्यासा हूं।” — यूहन्ना 19:28
यीशु मसीह का इस संदेश बताता है; की सभी मनुष्यों का जन्म इस धरती पर कुछ मकसद को लेकर हुया है। आपका भी जन्म अच्छे काम के लिए हुआ है। क्योंकि इस संसार से सभी को जाना पड़ेगा। इसलिए जब तक संसार में हैं; अच्छे काम करते रहिए। पहचानने की कोशिश कीजिए; की ईश्वर आपको किस लिए इस धरती पर भेजा है? प्रभु यीशु जिस काम के लिए इस जगत में आए थे; उस काम पूरा होने के बाद पवित्र शास्त्र के अनुसार लिखा हुआ वचन को पूरा करना चाहते थे; इसलिए वह कहते हैं; कि मैं प्यासा हूं।
6:- छठा संदेश
“जब यीशु ने वह सिरका लिया, तो कहा पूरा हुआ और सिर झुकाकर प्राण त्याग दिए॥” — यूहन्ना 19:30
सभी लोग जानतेे हैं; इस धरती पर जन्म हुआ है; इसका मतलब मृत्यु भी होगी। प्रभु यीशु चाहते; तो मृत्यु को भी टाल सकते थे। क्योंकि जो मरे हुए को जिंदा कर सकता है; क्या वह मृत्यु को टाल नहीं सकता! यह सच है; कि प्रभु यीशु एक साधारण मनुष्यों की तरह मर गए। परंतु वह तीसरे दिन जी भी उठे। क्योंकि ईश्वर को मृत्यु मार नहीं सकता है।
7:- सातवां संदेश
“और यीशु ने बड़े शब्द से पुकार कर कहा; हे पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूं: और यह कहकर प्राण छोड़ दिए।” — लूका 23:46
यह संदेश हमें बताता है; मृत्यु के समय में हमें अपनी आत्मा को सृष्टिकर्ता पिता के हाथ में सौंप देना चाहिए। क्योंकि मृत्यु के बाद आत्मा शरीर से अलग हो जाता है; कोई नहीं जानता कि उसका क्या होगा; इसलिए सृष्टिकर्ता पिता के हाथ में अपनी आत्मा को सौंप देना चाहिए।
Conclusion
दोस्तों मैं उम्मीद करता हूं; की प्रभु का यह संदेश आपको अच्छा लगा होगा। एक बात मैं आपसे कहना चाहता हूं; जिस प्रकार लोग अपना और परिवार के भविष्य के लिए; धन संचय करते हैं; उसी प्रकार प्रभु यीशु का वचन को आप हृदय में संचय करना प्रारंभ कीजिए। जिससे आपकी भविष्य में अर्थात; आपके जीवन और मृत्यु के पश्चात काम में आ सके। ईश्वर आपको मार्गदर्शन करता रहे; और आशीष और कृपा से भारता रहे। ईश्वर को महिमा युगानुयुग मिलता रहे।।आमीन।।
God bless you for reading to continue…
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