यीशु के नाम की सामर्थ के बारे में लोगों को क्यों जानना चाहीए? क्या वाकई में उसके नाम में सामर्थ है, और क्या वह बिमारियों को चंगा करने में सक्षम है? बच्चे से लेकर बुढ़े तक, गाँव सहर, गली मोहल्ला, देश-दुनिया में कामवासना, क्रोध, हिंसा, लालच, चोरी, बेईमानी, धोखा, गाली-गलौज पाप की भाषा बोलना और पाप करना इत्यादि को लोग क्यों आसानी से सिखते हैं? क्या, इन सबका कोई शिक्षक है? नहीं न! तो पाप को लोग क्यों चादर की तरह ओढ़ लेते हैं। क्योंकि संसार में पाप का साम्राज्य है, और सत्य को इनके बीच रखना, अंधियारे में दिया जलाने के बराबर का काम है। तो आइए आज हम जानते हैं, कि यीशु के नाम में कितनी और किस प्रकार की सामर्थ है।
1. चेलों को यीशु के नाम की सामर्थ मिलना
मरकुस 16:17-18 के वचन में प्रभु यीशु के नाम की सामर्थ के बारे में जानकारी मिलती है, क्योंकि प्रभु इस वचन में चेलों को अपने नाम की सामर्थ प्रदान करते हैं। क्या कोई मनुष्य किसी मनुष्य के नाम से दुष्टात्माओं को निकाल सकता है; बिल्कुल नहीं! रोगियों को चंगा कर सकता है, अंधे को दृष्टि दे सकता है, लंगड़े को चलने का या तो फिर मुर्दों को जिंदा कर सकता है, यह भी नहीं। क्योंकि साधारण मनुष्य के नाम में कुछ भी शक्ति नहीं है। परंतु यीशु, प्रभु होने के नाते अपनी नाम की सामर्थ को जानते थे। इसलिए चेलों को तथा सच्चे विश्वासियों अपने शक्तिशाली नाम को प्रदान करते हैं।
2. यीशु के नाम की शक्ति का अनुभव
यीशु के स्वर्ग जाने से पहले ही, चेलों के अलावा एक दूसरा व्यक्ति प्रभु यीशु के नाम की सामर्थ को व्यवहार करके दुष्टात्माओं को निकलता था। यूहन्ना यह देख कर मरकुस 9:38 के वचन में आकर यीशु मसीह से कहता है, कि तेरे नाम से एक मनुष्य दुष्टात्माओं को निकलता है। इस पर यीशु उसको कहते हैं, उसे मत रोको। क्योंकि जो मेरा विरोधी नहीं वह मेरे साथ है।
जब प्रभु यीशु सत्तर लोगों को नियुक्त करके सुसमाचार सुनाने के लिए भेजे थे, तो वे आकर कहते हैं, तेरे नाम के कारण दुष्टात्माओं भी हमारे वश में है। वे अनुभव करते हैं, की यीशु के नाम में अद्भुत शक्ति है। इन सारे वचनों से पता चलता है कि यीशु के नाम में बहुत सामर्थ है।
3. यीशु के नाम से उद्धार
मनुष्य होने के नाते हम सब पापी हैं, और पापी होने के नाते हमें उद्धार चाहिए। क्योंकि प्रेरितों के काम 2:21 के वचन कहता है, जो प्रभु का नाम लेगा वही उद्धार पाएगा। यहां पर सोचने वाली बात यह है, की क्या हम उद्धार पाना चाहते हैं? अगर हां है, तो खुद को जांचना है; कि हम किसकी भक्ति कर रहे हैं, प्रभु की, अपनी शरीर अथवा सांसारिक विषय वस्तु की। प्रभु के नाम लेने से उद्धार मिलना, यीशु के नाम की सामर्थ को दर्शाता है। इसलिए प्रभु की नाम को हर पल लेते रहना चाहिए।
4. लोग सत्य का विरोध करते हैं
मरकुस 13:13 और मत्ती 10:22 की वचन के द्वारा प्रभु यीशु पहले से ही लोगों को बता दिए थे, कि उनके नाम लेने से लोग बैर करने लगेंगे। ऐसा किसलिए करते हैं? क्या प्रभु कोई गुनाह कर दिए थे! नहीं, परंतु समझने वाली बात यह है, कि जो कोई भी सत्य बोलता है, संसार के लोग उसका विरोध करते हैं, क्योंकि संसार सत्य को ग्रहण नहीं करता, इसका उदाहरण यह है, कि जब भी चार पांच आदमी किसी स्थान पर इकट्ठा होते हैं, तो उनके मध्य में ईश्वरीय विषय कि बात नहीं की जाती, बल्कि संसारिक विषय वस्तु की चर्चा होती है। क्योंकि पर्दा के पीछे रह कर शैतान लोगों को उकसा कर यीशु के नाम की सामर्थ को दबाना चाहता है। इसलिए प्रभु यीशु कहते हैं, मेरे नाम के कारण सब लोग तुम से बैर करेंगे; पर जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा।
5. दुष्टात्मा यीशु के नाम की आज्ञा को मानता है
प्रेरितों के काम 16:16-18 के वचन में देखने को मिलता है; की मकिदुनिया का मुख्य नगर फिलिप्पी में जो पौलुस वहां रहा करता था, तो उन्हें एक दासी मिली, जिसमें भविष्य बताने वाली आत्मा थी, और लोगों की भविष्य बता कर अपने स्वामियों के लिए धन इकट्ठा करती थी। वह पौलुस और बाकी शिष्यों को देखकर चिल्ला कर कहती थी, कि ये लोग परम प्रधान परमेश्वर के दास हैं, और उद्धार का कथा लोगों को सुनाते हैं। परंतु बार-बार ऐसे कहते रहने से पौलुस दुखी होकर उस आत्मा को यीशु के नाम से निकलने की आज्ञा दी, और तुरंत वह वहां से निकल गई। इस वचन से पता चलता है; की प्रभु यीशु के नाम की सामर्थ से दुष्टात्माएं निकलते हैं।
6. यीशु नाम में रिहाई
यीशु के नाम की सामर्थ से बहुत प्रकार के बंधन से रिहाई मिल सकती है। परंतु आपका विश्वास मजबूत हो इसलिए नीचे कुछ रिहाई का संदेश दिया गया है। लूका 7:37-50; मरकुस 2:5 के वचन में यीशु पापीनी स्त्री और झोले के मारे की पाप क्षमा करते हैं। अर्थात पाप के बंधन से छुटकारा।
लोगों को बीमारियों से आजाद मिलती है। मत्ती 4:24
मृतकों को जीवित करके मृत्यु के यीशु मृत्यु के बंधन से बचाते हैं। लूका 7:11-15; यूहन्ना 11:1-45; मरकुस 5:21-43
दुष्टों का तो बन्दीगृह में रहना स्वाभाविक है। परंतु ईश्वर अच्छे लोगों को बन्दीगृह से भी रिहा करते हैं। इस बात का प्रमाण प्रेरितों के काम 5:18-20, प्रेरितों के काम 12:1-17, प्रेरितों के काम 16:19-40 के वचन में प्रभु की रिहाई की चमत्कार देखने को मिलता है। इस से पता चलता है कि यीशु के नाम की सामर्थ से रिहाई मिलती है।
निष्कर्ष
यीशु के नाम की सामर्थ के बारे लिखने कारण यह है, कि प्रभु खुद चाहते हैं, की उनकी सामर्थ की जानकारी सभी को पता चलता चाहिए। क्योंकि आज के लोग सत्य के बारे में जानने की बजाय अभद्र भाषा बोलना, गाली गलौज और अभद्रता का व्यवहार करने के साथ-साथ खराब विषय वस्तु की खोज में लगे रहते हैं। परन्तु जब भी कोई बिमारी या किसी भी प्रकार की समस्या आने पर प्रभु को पुकारने लगते हैं। प्रभु को दुकान समझकर याद करने की बजाय निरन्तर सच्चाई और खराई से चलना ही बेहतर है। हाल्लेलुइया।