भजन संहिता 51 क्यों पढ़ना चाहिए? क्योंकि भजन संहिता 51 क्षमा मांगने के लिए एक प्रार्थना है। दाऊद के द्वारा बतशेबा से व्यभिचार करने के बाद ईश्वर नाथन भविष्यवक्ता को भेजता है; और दाउद का पाप को बताता है; तब दाउद परमेश्वर से क्षमा मांगता है।
क्षमा के लिए प्रार्थना। भजन संहिता 51:1-19
¹ हे परमेश्वर, अपनी करूणा के अनुसार मुझ पर अनुग्रह कर; अपनी बड़ी दया के अनुसार मेरे अपराधों को मिटा दे।
² मुझे भलीं भांति धोकर मेरा अधर्म दूर कर, और मेरा पाप छुड़ाकर मुझे शुद्ध कर!
³ मैं तो अपने अपराधों को जानता हूं, और मेरा पाप निरन्तर मेरी दृष्टि में रहता है।
⁴ मैं ने केवल तेरे ही विरुद्ध पाप किया, और जो तेरी दृष्टि में बुरा है, वही किया है, ताकि तू बोलने में धर्मी और न्याय करने में निष्कलंक ठहरे।
⁵ देख, मैं अधर्म के साथ उत्पन्न हुआ, और पाप के साथ अपनी माता के गर्भ में पड़ा॥
⁶ देख, तू हृदय की सच्चाई से प्रसन्न होता है; और मेरे मन ही में ज्ञान सिखाएगा।
⁷ जूफा से मुझे शुद्ध कर, तो मैं पवित्र हो जाऊंगा; मुझे धो, और मैं हिम से भी अधिक श्वेत बनूंगा।
⁸ मुझे हर्ष और आनन्द की बातें सुना, जिस से जो हडि्डयां तू ने तोड़ डाली हैं वह मगन हो जाएं।
⁹ अपना मुख मेरे पापों की ओर से फेर ले, और मेरे सारे अधर्म के कामों को मिटा डाल॥
¹⁰ हे परमेश्वर, मेरे अन्दर शुद्ध मन उत्पन्न कर, और मेरे भीतर स्थिर आत्मा नये सिरे से उत्पन्न कर।
¹¹ मुझे अपने साम्हने से निकाल न दे, और अपने पवित्र आत्मा को मुझ से अलग न कर।
¹² अपने किए हुए उद्धार का हर्ष मुझे फिर से दे, और उदार आत्मा देकर मुझे सम्भाल॥
¹³ तब मैं अपराधियों को तेरा मार्ग सिखाऊंगा, और पापी तेरी ओर फिरेंगे।
¹⁴ हे परमेश्वर, हे मेरे उद्धारकर्ता परमेश्वर, मुझे हत्या के अपराध से छुड़ा ले, तब मैं तेरे धर्म का जयजयकार करने पाऊंगा॥
¹⁵ हे प्रभु, मेरा मुंह खोल दे तब मैं तेरा गुणानुवाद कर सकूंगा।
बलीदान
¹⁶ क्योंकि तू मेलबलि से प्रसन्न नहीं होता, नहीं तो मैं देता; होमबलि से भी तू प्रसन्न नहीं होता।
¹⁷ टूटा मन परमेश्वर के योग्य बलिदान है; हे परमेश्वर, तू टूटे और पिसे हुए मन को तुच्छ नहीं जानता॥
¹⁸ प्रसन्न होकर सिय्योन की भलाई कर, यरूशलेम की शहरपनाह को तू बना,
¹⁹ तब तू धर्म के बलिदानों से अर्थात सर्वांग पशुओं के होमबलि से प्रसन्न होगा; तब लोग तेरी वेदी पर बलि चढ़ाएंगे॥
Conclusion
दोस्तों भजन संहिता 51 बताता है; की जब भी किसी मनुष्य के द्वारा पाप हो जाता है; तब किस प्रकार क्षमा मांगना चाहिए; इस वचन के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करना चाहिए।
ईश्वर चाहता है कि कोई भी मनुष्य अपवित्र ना रहे; बल्कि पवित्रता की जीवन जिएं। मैं उम्मीद करता हूं; की इस वचन से पापों के लिए आपको क्षमा मांगने की शिक्षा प्राप्त होगी। आमीन।।
God bless you for reading to continue…