आज हम भजन संहिता 4 अध्याय को अध्ययन करेंगे। उसमें लिखा है, कि संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का एक गीत। पर हम नहीं मानते हैं, कि यह सिर्फ दाऊद का एक गीत है। बल्कि इस अध्याय भी लोगों को आत्मिक उन्नति के लिए शिक्षा देना चाहती है। यदि आप इसे गहराई से जानना चाहते हैं तो इस वचन के साथ अन्त तक बने रहिए।
भजन संहिता 4 :1
“हे मेरे धर्ममय परमेश्वर, जब मैं पुकारूं तब तू मुझे उत्तर दे; जब मैं सकेती में पड़ा तब तू ने मुझे विस्तार दिया। मुझ पर अनुग्रह कर और मेरी प्रार्थना सुन ले।’
इस वचन में एक व्यक्ति को किस तरह परमेश्वर से प्रार्थना करना चाहिए यह शिक्षा मिलती है। क्योंकि संसार में सब कोई प्रार्थना करते हैं। परंतु यदि प्रार्थना वचन के अनुसार हो, तो बहुत ही बेहतर हो सकता है। इसलिए जब भी प्रार्थना करते हैं तो वचन को प्रार्थना के साथ इस्तेमाल किजिए। जिससे अनुग्रह करने वाला परमेश्वर प्रार्थनाओं को सुनने में देर नहीं करेंगे। क्योंकि सारी सृष्टि को बनाने वाला परमेश्वर मनुष्य का मन की सोच को जानते हैं। पर मनुष्य को सच्चाई से जीवन गुजारना चाहिए। यदि कोई परमेश्वर की इच्छा के अनुसार नहीं जीता है, तो उसके लिए, ( भजन संहिता 4:2 ) की वचन यह कहता है,
भजन संहिता 4 :2
“हे मनुष्यों के पुत्रों, कब तक मेरी महिमा के बदले अनादर होता रहेगा? तुम कब तक व्यर्थ बातों से प्रीति रखोगे और झूठी युक्ति की खोज में रहोगे?”
इस वचन की माने तो लोग परमेश्वर की अनुग्रह के बदले, सही रीति से भक्ति करने के बजाय फिजूल की बातों पर मन लगाते हैं। सत्य से दूर भाग कर झूठी विषय की खोज करते हैं। अर्थात यह समझ लीजिए की मनुष्य परमेश्वर की दृष्टि से एक नासमझ इंसान है। जैसे कि एक मोबाइल फोन की उदाहरण लेते हैं। क्योंकि मोबाइल फोन धारक व्यक्ति दिन भर फेसबुक, यूट्यूब से क्या क्या देखते रहता है, खुद भी नहीं जानता है। इसलिए वचन सही कहता है, कि लोग झूठी बातों से प्रीति रखते हैं।
झूठी बातों से प्रीति रखने का मतलब, मोबाइल फोन पर देखने वाला वाला व्यर्थ की वीडियो ही तो है। क्योंकि लोगों को परमेश्वर की भक्ति पर चिंता नहीं रहती है। सीरियल छूट जाए उसकी चिंता रहती है। फिल्मे, भी पूरी की पूरी देखनी है। लोगों को फिल्में सीरियल की कहानी याद रहती है। पर विडंबना की बात यह है, की परमेश्वर का वचन याद नहीं रहता है। इसलिए ( मत्ती 13:13-15 ) की वचन कहता है, कि लोग देखते हुए नहीं देखते, सुनते हुए, भी नहीं सुनते और न ही समझते हैं। अर्थात लोग बाइबल को पढ़ते हैं, वचन भी सुनते हैं। पर न समझने का कारण लोगों का ध्यान परमेश्वर की वचन पर नहीं रहता है।
इसकी भविष्यवाणी यशायाह नबी के द्वारा पहले से ही हो चुकी थी। कि लोग कानों से सुनेंगे पर समझेंगे नहीं। आंखों से देखेंगे पर उन्हें दिखाई नहीं देगा। क्योंकि लोगों का मन मोटा हो चुका है, अर्थात लोग ठिठ्ठ बन चुके हैं। लोग संगीत को हाई वॉल्यूम देकर सुनते हैं। फिजूल की बातों के लिए हाई वॉल्यूम दिया जाता है।
पर परमेश्वर की वचन को सुनने के समय उसका वॉल्यूम कम कर देते हैं। क्योंकि लोग परमेश्वर के वचन के लिए अपने कान को बंद करते हैं, और आंख को भी मूंद लेते हैं। प्रभु यीशु कहते हैं यदि कोई फिर जाएं मैं उसे चंगा करूंगा और वे आंखों से देख सकेंगे, कानों से सुन सकेंगे और वचन को भी समझ सकेंगे।
भजन संहिता 4 :3-4
यह जान रखो कि यहोवा ने भक्त को अपने लिये अलग कर रखा है; जब मैं यहोवा को पुकारूंगा तब वह सुन लेगा। कांपते रहो और पाप मत करो; अपने अपने बिछौने पर मन ही मन सोचो और चुपचाप रहो।
परमेश्वर जानता है कि कौन उसकी आज्ञाओं को मानेगा और कौन नहीं। वह सच्चे भक्तों को जानता है, सच्चाई से प्रार्थना करने वालों की सुनता है। ( 1 यूहन्ना 3:22 ) की वचन कहता है,“और जो कुछ हम मांगते हैं, वह हमें उस से मिलता है; क्योंकि हम उस की आज्ञाओं को मानते हैं; और जो उसे भाता है, वही करते हैं।”
परमेश्वर की आज्ञाओं को वही लोग मानते हैं, जो लोग परमेश्वर से डरते हैं। और परमेश्वर को डरने वाला व्यक्ति कभी भी पाप नहीं करेगा। फिर जो पाप नहीं करता है, उसकी प्रार्थना परमेश्वर सुनते हैं। इसलिए एकांत में बैठकर सोचिए कि क्या आप परमेश्वर की मानते हैं या पाप की। यदि परमेश्वर की आज्ञाओं को मान कर चलते हैं, तो ( भजन संहिता 4 :5 ) की वचन उसके लिए यह कहता है,
भजन संहिता 4 :5
धर्म के बलिदान चढ़ाओ, और यहोवा पर भरोसा रखो।
परमेश्वर मनुष्य से क्या चाहता है? लोगों को किस प्रकार की बलिदान चढ़ाना चाहिए? देखिए ( इब्रानियों 13:15-16 ) की वचन कहता है, इसलिये हम उसके द्वारा स्तुति रूपी बलिदान, अर्थात उन होठों का फल जो उसके नाम का अंगीकार करते हैं, परमेश्वर के लिये सर्वदा चढ़ाया करें। पर भलाई करना, और उदारता न भूलो; क्योंकि परमेश्वर ऐसे बलिदानों से प्रसन्न होता है। दोस्तों यही धर्म की बलिदान है। बस आपको परमेश्वर पर विश्वास और भरोसा करना है।
क्योंकि ( नीतिवचन 21:3 ) की वचन कहता है, धर्म और न्याय करना, यहोवा को बलिदान से अधिक अच्छा लगता है। इसलिए अन्याय, अत्याचार और पाप को छोड़ें और धार्मिकता से जीवन जिएं।
भजन संहिता 4 :6-8
बहुत से हैं जो कहते हैं, कि कौन हम को कुछ भलाई दिखाएगा? हे यहोवा तू अपने मुख का प्रकाश हम पर चमका। तू ने मेरे मन में उससे कहीं अधिक आनन्द भर दिया है, जो उन को अन्न और दाखमधु की बढ़ती से होता था। मैं शान्ति से लेट जाऊंगा और सो जाऊंगा; क्योंकि, हे यहोवा, केवल तू ही मुझ को एकान्त में निश्चिन्त रहने देता है।
देखिए जो लोग पाप को छोड़कर धार्मिकता से जीवन जीते हैं, उनको परमेश्वर के अनुग्रह मिलता है। परमेश्वर उनका भलाई सदैव करते रहता है। और जो आनंद सांसारिक चीजें देती है, उससे कहीं अधिक आनंद पाप को छोड़कर परमेश्वर की शरण में जाने से मिलता है। क्योंकि लोग निश्चिंत रहकर शांति से रात्रि को लेट पाते हैं।
निष्कर्ष
इसलिए लोगों को खासकर के पाप के कार्यकलापों को छोड़कर परमेश्वर की शरणागत हो जाना चाहिए। जिससे शांति से जीवन व्यतीत कर पाएंगे। इसलिए पाप अपराधिक कर्मो को छोड़कर वही कीजिए जिसे परमेश्वर चाहता है। तब आपकी प्रार्थनाएं परमेश्वर सुनेंगे। हम उम्मीद करते हैं की भजन संहिता 4 अध्याय आपको समझ में आ गया होगा। दोस्तों वचन अच्छा लगा हो तो comment जरूर कीजिएगा। शांति दादा परमेश्वर आपके जीवन में असीम करुणा और शांति प्रदान करें। आपका दिन शुभ हो। धन्यवाद।।
Best msg
Praise Tha Lord
God bless you