पाप से बचने का उपाय The way to escape from sin.

पाप से अब तक कोई भी मनुष्य नहीं बच सका है। यह एक ऐसा बीमारी है जिस की लत से मनुष्य बुराई की ओर कदम बढ़ाता है। कब और कैसे मनुष्य के ऊपर पाप का attacks हो जाता है, वह खुद भी नहीं जान पाता है। तो चलिए आज हम पाप से बचने का उपाय के बारे में चर्चा करते हैं, कि इसकी attacks से कैसे बचा जा सकता है।

एक दिन की बात है, चर्च में प्रार्थना समाप्त होने के पश्चात मैंने एक जवान लड़का के चेहरे पर उदासी देख कर अपने पास बुला कर पूछा, कि बेटा उदासी का कारण बता सकते हो? मेरे द्वारा अचानक से पूछे गए इस प्रकार की सवाल से उसने बहुत ही घबरा गया। परन्तु मैंने उसके पिठ पर थपथपा कर उसको सांत्वना दे कर कहा, डरो मत बेझिझक मुझे बता सकते हो, की समस्या क्या है?

उसने मुझसे कहा कि, कृपया आप मुझे पाप से बचने का उपाय बता सकते हैं? मैं बोला सिर्फ इतनी सी बात के लिए परेशान हो। मैंने कहा, डोंट वरी इसका भी सल्युशन मेरे पास है। मैं इस वीडियो को देखने और सुनने वालों से यह कहना चाहता हूं। कि इस लड़के की तरह सभी मनुष्य के जीवन में पाप एक समस्या बनकर आता है। पाप मनुष्य को किसी ना किसी रूप में हर समय attacks करता रहता है। इसलिए पाप से बचने के लिए, सतर्क हो कर पाप की कार्य कलापों से खुद दूरी बनाए रखना चाहिए।

मैंने उससे पूछा, बेटा रात में कितने घंटे सोते हो? उसने कहा रात के 10:00 बजे से लेकर सुबह 5:00 बजे तक। परंतु पाप की attacks के वजह से मुझे सही तरह से नींद नहीं आती है। फिर मैंने पूछा सुबह 5:00 बजे उठकर तुम करते क्या हो? उसने कहा नित्य कर्म करने के पश्चात body fitness की exercise करने की कोशिश करता हूं। क्या तुम्हारी exercise नित्य चलती है। उसने कहा जी हां और बाकी के समय college की study तथा ट्यूशन करता हूं।

फिर मैंने उससे पूछा की दिन में कितनी बार प्रार्थना करते हो? उसने अपना जवाब सिर हिलाकर ना में दिया। फिर मैंने उससे पूछा तो बाइबल भी नहीं पढ़ते हो? उसने धीरे से कहा न। मुझे उसके जीवन में होने वाली पाप की attacks का कारण समझ में आ गया।

फिर मैंने उससे कहा बेटा, यह तो ठीक है, कि शरीर की fitness के लिए exercise करते हो, संसारिक ज्ञान के लिए पढ़ाई करते हो। पर जिस शरीर की संचालन आत्मा के बल से होती है, उसी आत्मा को तुम भूखा रखते हो। अर्थात प्रार्थना और बाइबल के वचन को पढ़ते नहीं हो। इसलिए पाप की attacks सौ प्रतिशत होती है। फिर उसने कहा कृपया मुझे पाप की attacks से बचने की रास्ता बताइए।

पाप की attacks से कैसे बचें?

मैंने उससे कहा, जिस तरह शारीरिक fitness के लिए exercise किया जाता है। वैसे ही आत्मिक fitness के लिए प्रार्थना और बाइबल के वचन पढ़ना अत्यंत आवश्यक है। अन्यथा पाप के प्रभाव के चलते शरीर दुर्बल हो जाएगी, और सहजता से पाप उस व्यक्ति पर attacks करने में कामयाब हो सकती है। क्योंकि ( मत्ती 26:41 ) की वचन में प्रभु यीशु इस प्रकार कहते हैं, जागते और प्रार्थना करते रहो, कि तुम परीक्षा में न पड़ो: क्योंकि आत्मा तो तैयार है, परन्तु शरीर दुर्बल है। इसलिए लोगों को हमेशा प्रार्थना करते रहना चाहिए।

क्या बाइबल पढ़ने से कोई पाप से बच सकता है?

मैंने उससे कहा बेटा, बाइबल के वचन साधारण किताब में लिखे गए शब्द से बहुत अलग है। क्योंकि किताब की शब्द साधारण होते हैं। परंतु ( इब्रानियों 4:12 ) में लिखी गई बाइबल की वचन कहता है, “परमेश्वर का वचन जीवित, प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है, और जीव, और आत्मा को, और गांठ गांठ, और गूदे गूदे को अलग करके, वार पार छेदता है; और मन की भावनाओं और विचारों को जांचता है।

फिर ( यूहन्ना 1:1 ) कि वचन में भी इस प्रकार लिखा है,“आदि में वचन था, वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था।”अर्थात बाइबल में लिखे गए वचन साधारण नहीं है। वह परमेश्वर के मुख से निकला हुआ जीवित वचन है। वचन आदि में भी था आज भी है, और भविष्य में भी रहेगा। क्योंकी वचन ही परमेश्वर है। इसलिए जब जब आप बाइबल का वचन को पढ़ते हैं, तब तब परमेश्वर वचन के रूप में आपके आत्मा के साथ निवास करता है। इसलिए यह समझ लें की बाइबल के वचन अर्थात परमेश्वर आपके साथ हो तो पाप की attacks से आप बच सकते हैं।

पाप से बचने का उपाय

पाप से बचने के लिए प्रार्थना कैसे करें?

फिर उसने मुझसे कहा की एक ऐसी प्रार्थना बताइए जिसको करने से पाप की attacks से बचा जा सकता है। मैंने कहा बहुत ही बढ़िया सवाल है। फिर मैंने उससे कहा देखो, 5 second से लेकर 5 मिनट, एक घंटा या दिनभर भी प्रार्थना की जा सकती है। जैसे कि सुबह की प्रार्थना, दोपहर की प्रार्थना, शाम की प्रार्थना, खाने से पहले और खाने के बाद, सोने से पहले और सो कर उठने के बाद, काम करने से पहले और काम करने के बाद भी लोग प्रार्थना करते हैं।

परंतु यदि तुम पाप से या पाप की attacks से बचना चाहते हो तो सिर्फ सोने के अलावा बाकी के सभी समय प्रभु यीशु का नाम को मन में लेते रहो। क्योंकि प्रभु यीशु का नाम को अपने मन में लेने से तुम्हें कोई रोक नहीं सकता है। मैं पहले भी कह चुका हूं, अभी भी कह रहा हूं और भविष्य में भी कहूंगा, कि यीशु, यीशु, यीशु, यीशु, यीशु हर बार अपने मन में लेते रहो। फिर अपने जीवन में परिवर्तन महसूस होते हुए देख पाओगे। क्योंकि प्रभु यीशु का नाम कोई साधारण मनुष्य की तरह नहीं है। बल्कि सब नामों से ऊंचा और सर्वश्रेष्ठ है।

क्योंकि ( इफिसियों 1:21 ) कि वचन में इस प्रकार लिखा है, सब प्रकार की प्रधानता, और अधिकार, और सामर्थ, और प्रभुता के, और हर एक नाम के ऊपर, जो न केवल इस लोक में, पर आने वाले लोक में भी लिया जाएगा, बैठाया।”

फिर ( फिलिप्पियों 2:9-10 ) कि वचन में भी इस प्रकार लिखा है, इस कारण परमेश्वर ने उस को अति महान भी किया, और उस को वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है। कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे है; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें।

इसलिए यह समझ लें कि प्रभु यीशु के नाम में वह सामर्थ है। जिसके उच्चारण से आप पाप से और शैतान के attacks से बच सकते हैं। पर आपके अंदर एक बात होना अति आवश्यक है, और वह है विश्वास। क्योंकि मनुष्य के विश्वास के बिना स्वयं प्रभु यीशु भी कुछ नहीं कर सकते हैं।

इसकी पुष्टि के लिए मैं आपको ( मत्ती 9:27-30 ) में लिखी गई वचन के बारे में बताना चाहता हूं। क्योंकि उसमें इस प्रकार लिखा है,

जब यीशु वहां से आगे बढ़ा, तो दो अन्धे उसके पीछे यह पुकारते हुए चले, कि हे दाऊद की सन्तान, हम पर दया कर। जब वह घर में पहुंचा, तो वे अन्धे उस के पास आए; और यीशु ने उन से कहा; क्या तुम्हें विश्वास है, कि मैं यह कर सकता हूं उन्होंने उस से कहा; हां प्रभु। तब उस ने उन की आंखे छूकर कहा, तुम्हारे विश्वास के अनुसार तुम्हारे लिये हो। और उन की आंखे खुल गई और यीशु ने उन्हें चिताकर कहा; सावधान, कोई इस बात को न जाने।

यहां पर प्रभु यीशु की दिलचस्प बात यह है, कि वह उन दो अन्धे को यह नहीं कहा कि ठीक है तुम चंगे हो जाओ। परंतु उसने यह कहा कि क्या तुम्हें विश्वास है, कि मैं यह कर सकता हूं? उनका जवाब हां में था। अर्थात उन दो अन्धे अपने विश्वास की वजह से ही चंगे हुए थे। इसलिए सिर्फ मुंह और मन से ही प्रभु यीशु का नाम लेने से काम चलने वाला नहीं है। बल्कि विश्वास के साथ प्रभु यीशु का नाम लेना पड़ेगा।

निष्कर्ष

मैं उम्मीद करता हूं, सिर्फ उस लड़के ही नहीं, बल्कि इस वचन को पढ़ने सुनने और देखने वाले लोगों के मन में भी प्रभु यीशु सौ प्रतिशत काम करेंगे। परंतु परमेश्वर चाहता है, कि मनुष्य केवल और केवल विश्वास करें, सत्य पर चलें और पाप से बचे रहें। दोस्तों यदि आपको वचन अच्छा लगा तो comments करना ना भूलें। धन्यवाद।।

4 thoughts on “पाप से बचने का उपाय The way to escape from sin.”

  1. धन्यवाद probhu यीशु मसीह के नाम से

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