परमेश्वर की तरह सदगुण का अधिकारी बने | bible vachan

सदगुण एक सकारात्मक गुण है जो किसी चीज या किसी को सुधारता है। यह चरित्र का एक गुण है, जो मनुष्य के पास होता है और परिणामस्वरूप, यह उन्हें खुश और संतुष्ट बनाता है। जब लोग सद्गुणों की बात करते हैं, तो वे आमतौर पर उन गुणों का जिक्र करते हैं, जिनके बारे में उनका मानना है कि इससे उन्हें जीवन में अधिक खुशी और संतुष्टि प्राप्त करने में मदद मिलेगी। एक गुण जो कई अलग-अलग व्यक्तियों और लोगों के समूहों में मौजूद होता है।

बहुत से लोग नैतिकता को एक गुण मानते हैं क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि हम एक निश्चित तरीके से कार्य करें। नैतिकता में ऐसे सिद्धांत और विश्वास भी शामिल हैं जिनका लोग पालन या अभ्यास करते हैं। नैतिकता के अलावा, एक गुण आमतौर पर विश्वास से जुड़ा होता है, और इसे एक नैतिक विशेषता के रूप में भी माना जाता है। जब हम नैतिक गुणों की बात करते हैं, तो हम उन गुणों और विशेषताओं के बारे में बात कर रहे हैं जो एक व्यक्ति के पास है, जो समाज के लिए फायदेमंद होता है।

प्रभु यीशु के वचन

यीशु तरह सदगुण का अधिकारी बने

बाइबल का नया नियम में देखा जाता है, कि प्रभु यीशु अपने शिक्षा और जीवन शैली के द्वारा लोगों को सदगुण का परिचय दिया है। जैसे कि उन्होंने कभी भी पाप नहीं किया और अन्धे, लंगड़े, बिमारियों तथा असहायों के उपर कृपा दृष्टि की और उन पर तरस खा कर सदैव सहायता करते थे। इसी प्रकार सभी लोगों के हृदय में भी प्रभु यीशु की तरह सदगुण का वास होना चाहिए।

देखिए भाई साहब, गुणों की कई अलग-अलग परिभाषाएँ होती है। और हम कह सकते हैं कि सदगुण वे चीजें हैं जो हमें अच्छा बनाती हैं। तो आइए हम एक सदगुण व्यक्ति के सही अर्थ को समझने में मदद करने के लिए उन विभिन्न परिभाषाओं में से कुछ को देखें। परिभाषा (1) सदगुण मन और हृदय का वह गुण है जो व्यक्ति को सही बनाता है। जब हम सदगुण की इस परिभाषा का उपयोग करते हैं, तो यह देखना बहुत आसान हो जाता है कि एक सदाचारी स्वभाव वाला व्यक्ति न्याय, सत्य और प्रेम की प्रबल भावना वाला व्यक्ति होता है, जो सदाचारी है।

उसका दृढ़ विश्वास होगा कि जो सही है उसे किया जाना चाहिए और जो गलत है उसे नहीं करना चाहिए। उनका यह भी दृढ़ विश्वास होगा कि हमें नैतिक रूप से ईमानदार और ईमानदारी से जीवन जीना चाहिए। एक नेक व्यक्तित्व वाला कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों से प्यार करता है और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखता है। यदि हम किसी सदगुण को एक नैतिक विशेषता के रूप में परिभाषित करते हैं, तो सदगुण एक ऐसा गुण है जो किसी चीज या किसी को सुधारता है।

तो हम देख सकते हैं कि एक नैतिक गुण वह है जो हमें एक विशेष तरीके से कार्य करने में मदद करता है। एक निश्चित तरीके से कार्य करने से व्यक्ति खुश हो जाएगा और अधिक संतुष्ट महसूस करेगा। तो एक नैतिक गुण एक व्यक्ति को एक निश्चित तरीके से कार्य करने में मदद करता है और यह उन्हें एक खुशहाल और अधिक संतोषजनक जीवन शैली प्राप्त करने में मदद करता है। नतीजतन, सदगुण एक सकारात्मक गुण है, जो मनुष्य को निखारती है। फिर यह भी जान लें कि सदगुण परमेश्वर का वरदान है।

रोमियो 6:23 कहता है,“क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है।” अर्थात बद गुण, जिसे मनुष्य का बुरी चाल चलन या पाप कहा जाता है, वह सदगुण यानी परमेश्वर के इच्छा और आज्ञाओं के विपरित है। क्योंकि बुराई से जीने वाले व्यक्ति सिर्फ अपने जीवन में ही नहीं, बल्कि पूरे मानव समाज में भी ग़लत प्रभाव डालता है। इसलिए प्रभु यीशु की शिक्षाओं के अनुसार सत्य पर चल कर सदगुण का अधिकारी बनना चाहिए।

क्योंकि आप जानते होंगे कि आज हमारे आस-पास बहुत से नेकदिल लोगों के कई अच्छे उदाहरण हैं। देखिए, आपस में सद्गुणों की चर्चा तो बहुत होती है, लेकिन अधिकांश लोगों को उनके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है। बहुत से लोग नहीं जानते कि उनके अच्छे गुणों के बारे में पूछे जाने पर क्या कहना है। पर लोगों को सद्गुणों को पहचानने, अपने अंदर विकसित करने और सत्य के अनुसार चलने की अभ्यास करना चाहिए। लोग अपनी दैनिक जीवन में हर बार सामान्य गलती करते रहते हैं। पर वे वास्तव में मनुष्य का चरित्र का लक्षण है, जो भीतर से आते हैं।

यदि हम समय के साथ अच्छी शिक्षा और सत्य का अनुसरण न करें तो, अपने अंदर में परमेश्वर की तरह सदगुण का विकसित होना मुश्किल हो सकता है। यदि हम बुराई को छोड़ते हैं, तो स्वयं धर्मी बन सकते हैं और सोच सकते हैं कि हम दूसरों से बेहतर हैं क्योंकि हमारे पास कुछ अच्छे गुण है। इस प्रक्रिया को शुरू करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि, लोगों को सच्चाई से चलना शुरू करना है।

हमने कहा था, की एक गुण को आमतौर पर एक चरित्र विशेषता के रूप में परिभाषित किया जाता है जो किसी को अच्छा करने और बुराई से बचने में सक्षम बनाता है, लेकिन हम इस विषय में गहराई से जाकर यह पता लगा सकते हैं कि एक सदाचारी जीवन जीने का वास्तव में क्या मतलब है।

(मत्ती 5:48) बाइबल के सन्दर्भ में बाइबल कहती है, “इसलिये तुम सिद्ध बनो, जैसे तुम्हारा पिता जो स्वर्ग में है, सिद्ध है।” अतः मूल संदेश यह है कि आपको अपने आवेगों को नियंत्रित करना सीखना होगा। आवेग अर्थात अपने मन को, खुदको, संसारिक इच्छा अभिलाषाओं से नियन्त्रित करना होगा। मतलब बाइबल का वचन 1 पतरस 1:16 के अनुसार परमेश्वर की तरह पवित्र बनना होगा।

परमेश्वर की तरह सदगुण का अधिकारी बने

वचन के अनुसार सदगुण होना आवश्यक है

फिर 2 पतरस 1:3-11 की वचन भी एक व्यक्ति को परमेश्वर के अनुसार अच्छे गुण के अधिकारी बनना सिखाती है। क्योंकि उसमें इस प्रकार लिखा है। क्योंकि उसके ईश्वरीय सामर्थ ने सब कुछ जो जीवन और भक्ति से सम्बन्ध रखता है, हमें उसी की पहचान के द्वारा दिया है, जिस ने हमें अपनी ही महिमा और सदगुण के अनुसार बुलाया है।

जिन के द्वारा उस ने हमें बहुमूल्य और बहुत ही बड़ी प्रतिज्ञाएं दी हैं: ताकि इन के द्वारा तुम उस सड़ाहट से छूट कर जो संसार में बुरी अभिलाषाओं से होती है, ईश्वरीय स्वभाव के समभागी हो जाओ। और इसी कारण तुम सब प्रकार का यत्न करके, अपने विश्वास पर सदगुण, और सद्गुण पर समझ। और समझ पर संयम, और संयम पर धीरज, और धीरज पर भक्ति। और भक्ति पर भाईचारे की प्रीति, और भाईचारे की प्रीति पर प्रेम बढ़ाते जाओ।

क्योंकि यदि ये बातें तुम में वर्तमान रहें, और बढ़ती जाएं, तो तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह के पहचानने में निकम्मे और निष्फल न होने देंगी। और जिस में ये बातें नहीं, वह अन्धा है, और धुन्धला देखता है, और अपने पूर्वकाली पापों से धुल कर शुद्ध होने को भूल बैठा है। इस कारण हे भाइयों, अपने बुलाए जाने, और चुन लिये जाने को सिद्ध करने का भली भांति यत्न करते जाओ, क्योंकि यदि ऐसा करोगे, तो कभी भी ठोकर न खाओगे। वरन इस रीति से तुम हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनन्त राज्य में बड़े आदर के साथ प्रवेश करने पाओगे।

देखिए बाइबल का वचन स्पष्ट कह रहा है, कि मनुष्य के पास ईश्वरीय स्वभाव यानी सदगुण होना आवश्यक है, जिसके द्वारा मसीह यीशु की पहचान होती है। फिर वचन यह भी कहती है, कि जिसके पास सदगुण नहीं है, वह अन्धा है। क्योंकि वैसे व्यक्ति बुराई को छोड़कर पश्चाताप करके अपने पापों से शुद्ध होना नहीं चाहता है। यह एक प्रकार से देखा जाए तो, संसारिक जीवन से प्रेम और परमेश्वर की आज्ञाओं से वैर ही है। क्योंकि परमेश्वर सत्य है। कुछ लोग तो महामूर्ख हैं ही, क्योंकि आज्ञा न मान कर स्वयं महाशक्तिशाली, सत्य और सदगुण के अधिकारी परमेश्वर को अपना दुश्मन बनाते रहते हैं।

निष्कर्ष

अन्त में मैं यही कहूंगा कि सभी मनुष्य के पास प्रभु यीशु की तरह सदगुण होना आवश्यक है। क्योंकि यह इसलिए भी उचित है कि, मनुष्य के सद्गुणों से मानव जाति का कल्याण हो सके। जैसे कि परमेश्वर भी हर कोई से इस प्रकार जीवन शैली की आशा रखते हैं। पर यह सिर्फ आप पर निर्भर करता है कि, आप किसकी सुनते हैं? बुराई और असामाजिक तत्वों की अथवा सदगुण के अधिकारी परमेश्वर पिता के वचन को। दोस्तों आज हम इतने ही कहना चाहते हैं। शान्ति का परमेश्वर आपके जीवन से समस्त प्रकार की नकारात्मक गुणों को निकाल कर सद्गुणों से परिपूर्ण करें। आपका दिन शुभ हो। धन्यवाद।।

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