पाप हो या गुप्त पाप ईश्वर इनसे सदा सर्वदा घृणा करता है। (नितीवचन 6:16-19) कहता है; छः वस्तुओं से यहोवा बैर रखता है, वरन साथ है जिनसे वह घृणा करता है। चाहे वह शारीरिक, मानसिक, या किसी भी प्रकार के पाप क्यों न हो, परमेश्वर की दृष्टि में यह एक अनुचित कर्म है। परन्तु आज हम गुप्त पाप के बारे में चर्चा कर रहे हैं। क्योंकि यह पाप भी मनुष्य को परमेश्वर से अलग करता है।
वचन के मुताबिक प्रभु का ज्ञान प्रत्येक मसीह लोगों को जानने की आवश्यकता है। क्योंकि ईश्वर की वचन का सही जानकारी मिलने से, लोगों के मन में प्रभु के प्रति भय और सम्मान उत्पन्न होगा, फिर वे पाप करने से पहले जरूर सोचेंगे। अगर आप जानना चाहते हैं, कि इस विषय के द्वारा ईश्वर आपको क्या कहना चाहता है, तो इसे पढ़ने की जरूर कष्ट करें। हो सकता है, मन में उठने वाले कुछ सवाल का जवाब शायद आपको मिल जाए।
क्या मनुष्य किसी भी पाप और कर्म को परमेश्वर की दृष्टि से छिपा सकता है?
असंभव! क्योंकि कोई भी पाप या कर्म परमेश्वर की दृष्टि से ओझल नहीं हो सकताा है । चाहे रात में, दिन में या किसी भी गुफा में, जमीन के नीचे, पानी के अंदर या तो कोई भी गुप्त कमरे में क्यों न हो; (इब्रानियों 4:13) के अनुसार ईश्वर की दृष्टि से सृष्टि का कोई भी वस्तु छिप नहीं सकता है। भले ही लोग मनुष्य की दृष्टि से छिप सकते हैं, परंतु परमेश्वर की दृष्टि से छिपना नामुमकिन है। लोग अज्ञानता के कारण पाप और गुप्त पापों को लोगों से छिपकर करते हैं। परंतु उन्हें यह भी मालूम नहीं कि सबका बाप परमेश्वर ऊपर बैठकर देेेख रहा है।
इसलिए सावधान रहें और हर प्रकार के गुप्त पाप और गुप्त बातों से बचे रहे। क्योंकि (भजन संहिता 90:8) कहता है, परमेश्वर ने मनुष्य की अधर्म के कामों को अपने सम्मुख और छिपे हुए पापों को अपने मुख की ज्योति में रखा है। अर्थात परमेश्वर की दृष्टि से कोई भी छिप नहीं सकता है। क्योंकि (अय्यूब 34:21 ) कहता है, ईश्वर की आंखें मनुष्य की चालचलन पर लगी रहती हैं, और वह उसकी सारी चाल को देखता रहता है।
क्या पाप की चर्चा करना भी पाप है?
बिल्कुल! सही है, क्योंकि सुनने को मिलता है कि, बहुत लोग सभी प्रकार के पाप, गुप्त पाप और गुप्त कर्मों की चर्चा आपस में करते रहते हैं। क्योंकि बहुत लोगों को यह भी पता नहीं है, की पाप की चर्चा और पाप की बात बोलना या सुनना भी पाप है। (इफिसियों 5:12) कहता है, कि गुप्त कामों की चर्चा भी लाज की बात है। क्योंकि ( सभोपदेशक 12:14 ) कहता है, परमेश्वर सब कामों और सब गुप्त बातों का, चाहे वे भली हों या बुरी, न्याय करेगा। इसलिए (भजन संहिता 19:12) के अनुसार, अपने भूल-चूक को समझ कर, परमेश्वर से अपने गुप्त पापों से पवित्र करने के लिए निवेदन करना चाहिए। क्योंकि पाप लोगों को परमेश्वर से अलग करता है?
कहीं आप पाप की बीज तो नहीं बोते हैं?
जो लोग परमेश्वर को नहीं जानते हैं, उन्हीं की तरह यदि मसीह भाई-बहन बारंबार पाप करते हैं, तो (अय्यूब 4:8) की वचन के अनुसार, वे पाप को जोतते और दुःख को बोने की काम करते हैं। फिर इसके बदले में क्या फल मिलता है, सिर्फ दुःख ही दुःख है न। जब जैसा काम वैसा फल मिलता है, तो क्यों न अच्छा काम किया जाए। देखिए पाप करके लोग खुद को अशुद्ध करते हैं, इसके साथ-साथ ईश्वर को नाराज़ करते हैं; और लोगों की नजरों से भी गिरने की संभावना रहती है। इसलिए गुप्त पाप या सभी प्रकार के पाप को छोड़कर, अच्छा काम करना चाहिए।
निष्कर्ष
दृश्य अदृश्य सब कुछ को जिस परमेश्वर ने बनाया है, क्या उसकी आंखों से सृष्टि के कोई वस्तुएं छिप सकती है, नहीं! अर्थात ऐसा कोई भी वस्तु नहीं, जो परमेश्वर की आंखों को पर्दा डाल सके। इसलिए गुप्त पाप हो या किसी भी प्रकार की पापों से बच के रहना चाहिए। क्योंकि कोई भी मनुष्य उनकी दृष्टि से छिप नहीं सकता। इससे अच्छा यह है कि पाप से दूरी बनाए रखना ही मनुष्य के लिए बेहतर है। क्योंकि मनुष्य ईश्वर से बड़ा नहीं है, जिससे कि वह आशीष के बदले स्राप लेना चाहेगा। ज्यादा बोलने की जरूरत नहीं; क्योंकि समझदार को इशारा काफी है। धन्यवाद।।