क्या आपके दुख मसीह यीशु के दुख से बड़ा है? दुख क्या होता है? जिन्ह लोगों को दुख ना हुआ हो उसे कैसे पता चल सकता है कि दुख क्या है? लोग दुख में पीड़ित होकर टूट जाते हैं; उन्हें कुछ नहीं सूझती कि वे क्या करें। दुख दो प्रकार की होती है; एक शारीरिक दुख और दूसरा मानसिक दुख।
शारीरिक दुख। क्या आपके दुख मसीह यीशु के दुख से बड़ा है?
जो दुख शारीरिक पीड़ा के द्वारा होती है, उसे शारीरिक दुख कहते हैं। शारीरिक चोट, बीमार, तरह तरह के रोग; या दुर्घटना से शरीर में होने वाले हर प्रकार की दर्द को हम शारीरिक दुख कह सकते हैं; संसार में दुख और सुख दोनों आते जाते रहता है; सृष्टि की अनुभूति के लिए सुख और दुख होना लोगों के जीवन में वास्तविक है।
मानसिक दुख। क्या आपके दुख मसीह यीशु के दुख से बड़ा है?
जो दुख, मन की चिंताओं के द्वारा होती है, उसे मानसिक दुख कहा जाता है। समस्या; बीमारी; संकट; विपत्ति, डर और अनेक प्रकार बुरी सोच के द्वारा मानसिक दुख होती है; मानसिक रूप से चिंता करके जो दुख मिलती है; वह शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालता है; और लोगों को रोगी बना देता है; इसलिए आपको प्रफुल्लित रहकर कम सोचना चाहिए। जिससे आपकी जीवन पर नकारात्मक प्रभाव ना पड़ सके।
जब दुख की बात चल रही है, तो हम यहां पर वचन को पढ़कर जानेंगे कि हमें दुख के समय में क्या करना चाहिए। क्या हमारा दुख सहना परमेश्वर को भाता है?
1 पतरस 2:20 में लिखा है, अगर आप अपराध करके आपको घूंसे या डंडे पड़े उसमें क्या बड़ाई है; क्योंकि वह तो आपकी दुष्टता के चलते आपको दुख मिला है; परंतु यदि आप भला काम करके आपको दुख मिलता है; और आप धीरज धरते हैं; तो परमेश्वर को अच्छा लगता है। अगर आप पाप ना करके आपको दुख सहना पड़ रहा है; तो आप प्रभु यीशु का नाम लेकर खुशी में रहने की कोशिश करते रहें; प्रभु का क्रुस की दुख को अपने जीवन में अनुभव करते रहें; और अपने पाप के लिए पछतावा करें और क्षमा मांगे।
1 पतरस 2:21-24 में लिखा है, इसीलिए आपको चुना गया है, क्योंकि प्रभु यीशु भी दुख उठाकर आप लोगों के लिए आदर्श बन गए हैं। जिसे देखकर आप उनकी अनुसरण करें। हम मनुष्य तो पापी हैं, परंतु वह कोई पाप नहीं किया था। उसके मुंह से कभी भी छल की बात नहीं निकली। वह गाली सुनकर भी किसी को गाली नहीं देता था;
प्रभु यीशु की महान प्रेम
और दुख उठाकर भी किसी को धमकी नहीं देता था; वह अपने आपको सच्चे न्यायी के हाथ में सौंप दिया था। वह लोगों के पाप के लिए; अपने आप को क्रुस पर बलि चढ़ा दिया; जिससे हम भी अपने पापों के लिए; उनके साथ क्रूस पर मर कर धार्मिकता के लिए; जीवन गुजारे। क्योंकि हम उसी के मार खाने से चंगे हो जाते हैं।
यशायाह 53:5 में लिखा है; जब प्रभु यीशु की कोई अपराध नहीं थी; फिर भी वह मानव जाति के उद्धार लिए असहनीय दुख सह लिया;
जिस से हम लोगों को शांति मिले; उस पर इतनी ताड़ना पड़ी कि हम उसके कोड़े खाने से चंगे हो गए।
वह हमें बचाने के लिए इस कदर दिन हो गया, की वह सताया गया; तौभी वह सहता रहा और अपना मुंह न खोला, जिस प्रकार भेड़ वध होने के समय; वा भेड़ी ऊन कतरने के समय चुपचाप शान्त रहती है; वैसे ही उसने भी अपना मुंह न खोला। यशायाह 53:7
सहन शक्ति को बढ़ाएं।
परंतु आजकल के लोगों को थोड़ी सी भी दुख मिलने पर सह नहीं सकते हैं। हम लोगों को भी lockdown या संकट के period में जो भी दुख मिलती है; धीरज धरकर सहना चाहिए। अगर लोगों को अपने बुरे काम के चलते, उन्हें कोई दर्द मिले तो वे पछतावा करके अपना पाप को त्याग करके जो भी दर्द मिले उसे प्रभु का नाम लेकर धीरज से सहें। प्रभु हमारे लिए क्रूस पर असहनीय दुख उठाया है। क्या हम उसके लिए इस lockdown, coronavirus महामारी के समय में कुछ भी दुख ना उठायें? यह जानकर खुश हो जाएं; कि आपको इस समय में अपने किए हुए पापों का भार उठाना पड़ रहा है।
इसलिए आप प्रभु से क्षमा मांगे और अपने किए हुए हरेक पाप को स्मरण करें। हो सकता है; प्रभु आप पर दया करे और इस दुख की घड़ी में आपको क्षमा करे जिससे आप भले चंगे रह सकें।
Pray
प्रिय प्रभु यीशु आपकी क्रुस की पीड़ा से हमारे सामने जो भी दुख आते हैं वह कम है। फिर भी हम मनुष्य आपकी दुखदाई पीड़ा को स्मरण करना नहीं चाहते। परंतु हम हमारी छोटी सी दुख को बार-बार स्मरण करते हैं। आप चाहते हैं कि लोग दुख, संकट, बीमारी और समस्या के समय में आपकी और देखें और आप उन्हें चंगा कर सके, दया कर सके, आप उन्हें आशीष दे सके। परंतु लोग अपने दर्द पर कराहते रहते हैं, और आपकी ओर देखना नहीं चाहते। आप इस वचन के द्वारा उन्हें स्मरण दिलाएं की मूसा जिस तरह इसराइली लोगों के लिए पीतल की सांप को ऊपर में उठाया था;
उसी तरह इस समय और भविष्य के लिए भी आप समग्र मानव जाति के लिए क्रुस पर चढ़ गए थे।
जिन लोगों को सांप काटने पर जब वे पीतल की सांप की ओर देखे थे वे चंगे हो गए। इसी तरह जो लोग संकट बीमार या महामारी के समय में विश्वास करके आपकी और देखे उन्हें जीवन मिलेगा।
विश्वास करने वाले लोगों को आशीष और वरदान से भरने की कृपा करें। सर्वशक्तिमान पिता आपके पुत्र यीशु के नाम पर मैं यह निवेदन करता हूं। आमीन।।
God bless you for reading continue.